तकनीकी नवाचार से आत्मनिर्भर बनेगा भारत : मंत्री
दरभंगा में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। यह सम्मेलन मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और आईएसटीई, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित किया गया है। मंत्री...

दरभंगा। यांत्रिक एवं औद्योगिक तकनीकों (आईसीएमआईटी 2025) पर आधारित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ शनिवार को हुआ। मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (डीसीई) एवं आईएसटीई, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन का शुभारंभ एमआईटी, मुजफ्फरपुर में हुआ, जबकि इसका समापन रविवार को डीसीई में किया जाएगा। डीसीई के प्राचार्य प्रो. संदीप तिवारी ने बताया कि सम्मेलन का उद्घाटन राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कृष्ण कुमार मंटू ने किया। मंत्री ने कहा कि तकनीकी नवाचार ही भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा। ऐसे सम्मेलनों से युवाओं को दिशा और संबल मिलता है। सरकार तकनीकी संस्थानों को हर संभव सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।
स्वागत करते हुए एमआईटी के प्राचार्य प्रो. एमके झा ने कहा कि आईसीएमआईटी 2025 बिहार की तकनीकी शिक्षा को वैश्विक मंच से जोड़ने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। डीसीई के प्राचार्य प्रो. तिवारी ने कहा कि इस आयोजन से दोनों संस्थानों के बीच शैक्षणिक समन्वय को नई ऊर्जा मिली है और यह छात्रों के शोध कौशल को विश्वस्तरीय मंच प्रदान करता है। एनआईटी, पटना के पूर्व निदेशक प्रो. यूसी राय ने कहा कि शोध और नवाचार की संस्कृति को संस्थागत रूप देना ही तकनीकी संस्थानों की असली जिम्मेदारी है। पूर्णिया विवि के कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह ने कहा कि तकनीकी शिक्षा के साथ मानवीय मूल्य और सामाजिक उत्तरदायित्व भी जरूरी हैं। आईएसटीई, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. प्रताम सिंह काका साहेब देसाई ने कहा कि भारत को तकनीकी नेतृत्व में अग्रणी बनाने के लिए शिक्षकों और शोधकर्ताओं की सतत भागीदारी आवश्यक है। आईसीसी बिहार के चेयरमैन प्रभात कुमार सिन्हा ने कहा कि इंडस्ट्री-इंस्टीट्यूट इंटरेक्शन से ही युवाओं को रोजगारोन्मुखी कौशल मिलेगा। सेंटर फॉर स्मार्ट गवर्नोंस के सलाहकार प्रीतम कुमार सिन्हा ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत डिजिटल गवर्नेंस में वैश्विक मानक स्थापित करे। इंफोटेक निदेशक ज्ञानेंद्र शरण ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन में युवाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी। सम्मेलन में 275 शोध सारांश प्रस्तुत हुए, जिनमें से 177 चयनित हुए। डीसीई के फैकल्टी विनायक झा ने बताया कि रविवार को आयोजित होने वाले सम्मेलन के समापन समारोह की तैयारी पूरी कर ली गई है।
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