समाज के बदलते मूल्यों पर जरूरी है चर्चा
दरभंगा में मिथिला लेखक मंच ने संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें नाटक 'सेनुरक मोल' और 'सुरदास' की समीक्षा की गई। मुख्य अतिथि शंभू नाथ मश्रि ने कहा कि नाटक समाज में बदलते मूल्यों पर चर्चा करने का...

दरभंगा। मिथिला लेखक मंच के तत्वावधान में रविवार को संगोष्ठी का आयोजन वैद्यनाथ विमल की अध्यक्षता में किया गया। संगोष्ठी में राधेश्याम पोद्दार रचित नाटक सेनुरक मोल और सुरदास की समीक्षा हुईं। मुख्य अतिथि कलकत्ता के नाटककार शंभू नाथ मश्रि ने कहा कि अभिनयात्मक विधा एक विशष्टि विधा है। इसके माध्यम से समाज के बदलते मूल्यों पर चर्चा जरूरी है। उन्होंने कहा कि नाटक सामाजिक कुरीतियों के समाधान की दिशा भी देते हैं। इन कसौटियों पर उपर्युक्त दोनों नाटक सफल साबित हुए हैं। प्रो. उदय शंकर मश्रि ने कहा कि मिथिला में नाटक पर बहुत काम हुआ है। लेखक राधेश्याम पोद्दार ने कहा कि समाज में दहेज प्रथा की कुरीतियों को दिखाने और समाधान दिखाने का प्रयास किया है। डॉ. सत्येंद्र कुमार झा ने कहा कि दोनों नाटक समाज को संदेश देने में सफल हैं। डॉ. विजय शंकर झा, डॉ. उषा चौधरी, सुनिता झा, डॉ. वद्यिानाथ झा, चंद्रेश, प्रो. चंद्र मोहन पड़वा, प्रो. चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, राम प्रसाद पोद्दार, डॉ. सुमन कुमार पोद्दार, विपिन झा, शिवम कुमार झा, सुमित कुमार झा, भवन मश्रि, प्रिंस राज, सुभाष कुमार झा, पंकज ठाकुर, रौशन कुमार राही, दुर्गानंद ठाकुर, चंद्रमोहन पोद्दार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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