भारतीय पौधों के फाइटोकेमिकल्स नई औषधि अणुओं की खोज के लिए सोने की खान: प्रो. सामल
दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के बायोइन्फरमेटिक्स विभाग में प्रो. अरिजीत सामल ने अतिथि व्याख्यान में भारतीय पौधों और उनके फाइटोकेमिकल्स के स्वास्थ्य पर प्रभावों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि...
दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के बायोइन्फरमेटिक्स विभाग में गणितीय विज्ञान संस्थान (आईएमएससी), चेन्नई के प्रो. अरिजीत सामल द्वारा अतिथि व्याख्यान दिया गया। प्रो. अरिजीत सामल ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारतीय पौधों और उनके घटक फाइटोकेमिकल्स में मधुमेह, कैंसर, हृदय संबंधी और कई तरह की बीमारियों के इलाज की अपार संभावनाएं हैं। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय पौधों के फाइटोकेमिकल्स नई औषधि अणुओं की खोज के लिए सोने की खान हैं। प्रो. सामल ने बताया कि उनके चेन्नई स्थित प्रयोगशाला ने हाल ही में आईएमपीपीएटी नामक एक डेटाबेस विकसित किया है। मूलतः, यह एक ऑनलाइन स्टोर हाउस है, जिसमें पूरे भारत में उगाए जाने वाले 4000 से अधिक पौधों और 20,000 से अधिक रसायनों की जानकारी है, जो देश में अब तक विकसित सबसे बड़े प्लांट फाइटोकेमिकल डेटाबेस में से एक है।
डेटाबेस को प्राचीन भारतीय जड़ी-बूटियों पर 100 से अधिक ग्रंथों के साथ-साथ प्रकाशित शोध लेखों के 7,000 सार और कई ऑनलाइन संसाधनों के डिजिटलीकरण के बाद विकसित किया गया है। डॉ. सामल एक प्रसिद्ध जैव सूचना विज्ञानी हैं और उन्होंने कई प्रकाशन और पुस्तकें लिखी हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में जैव सूचना विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो आशीष शंकर ने कहा कि उनकी प्रयोगशाला छात्रों एवं शोधार्थियों के प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है। इस कार्यक्रम में बायोइन्फरमेटिक्स विभाग के प्राध्यापक प्रो. आरएस राठौर, डॉ. कृष्ण कुमार ओझा, डॉ, दुर्ग विजय सिंह, डॉ. विजय कुमार सिंह, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. नितिन के साथ कई शोधार्थी और छात्र शामिल हुए।
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