Reviving Indian Languages Key to Nobel Success and National Education Policy-2020 भारतीय ज्ञान परम्परा को मातृ भाषाओं के माध्यम से पुन: समृद्ध करने की आवश्यकता: प्रो. मजहर, Gaya Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsGaya NewsReviving Indian Languages Key to Nobel Success and National Education Policy-2020

भारतीय ज्ञान परम्परा को मातृ भाषाओं के माध्यम से पुन: समृद्ध करने की आवश्यकता: प्रो. मजहर

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने कहा कि भारतीयों को कम नोबेल पुरस्कार मिले हैं क्योंकि वे मातृभाषाओं में शिक्षा नहीं लेते। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा को मातृभाषाओं के माध्यम से...

Newswrap हिन्दुस्तान, गयाSun, 30 March 2025 05:02 PM
share Share
Follow Us on
भारतीय ज्ञान परम्परा को मातृ भाषाओं के माध्यम से पुन: समृद्ध करने की आवश्यकता: प्रो. मजहर

नोबेल पुरस्कार के इतिहास में भारतीयों को काफी कम संख्या में पुरस्कार इसलिए मिले है क्योंकि वे अपनी मातृ‌भाषाओं में शिक्षा नहीं लेते हैं। वैश्विक परिदृश्य में विश्वगुरु के रूप में देश को स्थापित करने के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा को मातृ भाषाओं के माध्यम से पुन: समृद्ध करने की आवश्यकता है। उक्त वक्तव्य जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ ने दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के भारतीय भाषा विभाग की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में भारतीय भाषाओं का सम्यक विकास विषय पर आयोजित एक व्याख्यान कार्यक्रम में दिया। प्रो. मजहर आसिफ ने राष्ट्र, शिक्षा, ज्ञान, भाषा, संस्कृति, संस्कार आदि विषयों पर व्यावहारिक एवं रोचक शैली में समझाते हुए सबको अपनी ओर आकर्षित करने का उदाहरण देते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की मूल भावना को स्पष्ट किया। उन्होंने रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया को अपनाकर उपलब्ध संसाधनों के अधिकतम सदुपयोग करने का आह्वान किया।

अपनी परम्परा से जुड़े: केएन सिंह

सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के संदर्भ में शिक्षकों एवं शिक्षार्थियों का आह्वान किया कि वे अपनी परम्परा से जुड़े। उन्होंने कहा कि मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई अन्य विकल्प नहीं है। इससे पहले भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुरेश चन्द्र ने कहा कि भारतीय भाषाओं का सम्यक् विकास के लिए भारतीय भाषों में उत्तम बाल साहित्य की रचना की जानी चाहिए, जिससे नई पीढ़ी को भारतीय मूल परम्परा से जोड़ना आसान हो। भाषा एवं साहित्य पीठ की प्रभारी अधिष्ठाता प्रो. अर्चना कुमारी कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है इसलिए यहां की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में मातृभाषाओं को यथोचित स्थान मिलना चाहिये। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक डॉ. रामचन्द्र रजक, सहायक प्राध्यापक, भारतीय भाषा विभाग ने किया । मंच संचालन भारतीय भाषा विभाग के विद्यार्थी शिवम पटेल और ब्यूटी कुमारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में भारतीय भाषा विभाग के शिक्षक डॉ. शांति भूषण, डॉ. कर्मानन्द आर्य मौजूद रहें।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।