थाना दिवस के दौरान 10 माह में भूमि विवाद के निपटाए गए 286 मामले
गोपालपुर थाने में सबसे अधिक पहुंचे फरियादी, कुचायकोट में दिखी उदासीनता हर शनिवार को अंचल कार्यालय से जुड़े थानों में होता है थाना दिवस का आयोजन

कुचायकोट। एक संवाददाता राज्य सरकार ने भूमि विवादों के त्वरित समाधान के उद्देश्य से थाना दिवस की शुरुआत की थी। जिले के कुचायकोट अंचल में इसके मिश्रित परिणाम देखने को मिल रहे हैं। बीते 10 महीनों में कुल 38 थाना दिवसों के दौरान 333 मामलों में से 286 का समाधान किया गया, जबकि शेष अब भी लंबित हैं। सरकार के निर्देशानुसार हर शनिवार को अंचल कार्यालय से जुड़े थानों में अवकाश के बावजूद थाना दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सीओ, राजस्व कर्मचारी और थाना प्रभारी की संयुक्त उपस्थिति में जमीन से जुड़े विवादों की सुनवाई की जाती है। नोटिस के माध्यम से दोनों पक्षों को बुलाकर आपसी सहमति से विवाद निपटाने का प्रयास होता है। गोपालपुर में 158 में से 152 मामलों का हुआ निष्पादन गोपालपुर थाना क्षेत्र में जुलाई से अप्रैल के बीच कुल 158 आवेदन मिले, जिनमें से 152 मामलों का समाधान आपसी सहमति से किया गया। 5 मामले अभी लंबित हैं, जबकि एक मामला निरस्त किया गया है। थानाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार के अनुसार, प्रत्येक फरियादी की बात गंभीरता से सुनी जाती है और निष्पक्षता से कार्रवाई की जाती है। विशंवभरपुर में 104 आवेदन आए, 90 का हुआ समाधान विशंवभरपुर थाना में अब तक 104 आवेदन आए, जिनमें 90 का समाधान हो चुका है। हालांकि, एक दर्जन से अधिक मामले अब भी लंबित हैं। पीड़ित हर शनिवार को उम्मीद लेकर थाना दिवस पर पहुंचते हैं। लेकिन कई बार समाधान में देरी से असंतोष भी देखने को मिलता है। कुचायकोट में सबसे कम फरियादी अंचल मुख्यालय स्थित कुचायकोट थाने की स्थिति कुछ अलग है। 10 महीनों में हुए 38 थाना दिवसों में महज 71 आवेदन आए। इनमें से 64 मामलों का निपटारा हुआ, जबकि 7 अब भी लंबित हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार थाना का मुख्य गेट बंद रहने से लोग समझते हैं कि थाना दिवस आयोजित नहीं हो रहा। वे बिना शिकायत दर्ज कराए ही लौट जाते हैं। ------------ वर्जन, थाना दिवस योजना ने निश्चित रूप से कई भूमि विवादों को सुलझाने में मदद की है। लोगों के बीच न्यायिक व्यवस्था के प्रति विश्वास भी बढ़ाया है। हालांकि, अधिकारियों की उदासीनता, जागरूकता की कमी और प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव ने इस पहल की गति को धीमा कर दिया है। आवश्यक है कि लोगों को इसकी जानकारी दी जाए। अधिकारियों की जवाबदेही तय हो, ताकि यह जनहितकारी पहल प्रभावी रूप से सफल हो सके। -पूनम सिंह, अध्यक्ष, प्रखंड मुखिया संघ
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