बिहार में कैसे बने फिल्म, अफसर नहीं ले रहे इंटरेस्ट; 32 डीएम ने शूटिंग की जगह ही नहीं बताई
फिल्मों की शूटिंग के लिए 32 जिलों से शूटिंग के लिए उपयुक्त स्थलों की सूची नहीं दी जा रही है। इसको लेकर कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने नाराजगी जतायी है।

बिहार में फिल्मों की शूटिंग के लिए उपयुक्त स्थलों की खोज में अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति के तहत राज्य में फिल्म निर्माण और शूटिंग करने की स्थिति में करों में छूट के साथ अनुदान का प्रावधान किया गया है, लेकिन जिलों द्वारा शूटिंग के लिए उपयुक्त स्थलों की सूची नहीं दी जा रही है। इसको लेकर कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने नाराजगी जतायी है। विभाग ने बताया है कि तमाम प्रयासों के बावजूद अबतक छह जिलों ने ही अपने यहां के उपयुक्त जगहों की सूची विभाग को सौंपी है।
राज्य सरकार बिहार में फिल्मों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह कवायद कर रही है। इसके लिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड व फिल्म निर्माताओं को शूटिंग के लिए उपयुक्त स्थलों की सूची देनी है। उन स्थलों पर शूटिंग के लिए आवश्यक सुविधाएं व सुरक्षा भी मुहैया कराने की तैयारी करनी है। इससे पहले कला संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव प्रणव कुमार ने मार्च महीने में ही सभी जिलाधिकारियों से सूची की मांग की थी।
मात्र छह जिलों ने भेजा लिस्ट
इसके आधार पर खगड़िया, जहानाबाद, गया, बांका, औरंगाबाद व शेखपुरा ने ही अपने अपने जिले में उपलब्ध लोकेशन की जानकारी दी है। राज्य सरकार के निर्देश पर विभाग की निदेशक रूबी ने सभी जिलों को शूटिंग के लिए संभावित स्थलों की सूची जल्द देने का निर्देश दिया है, ताकि सूची के आधार पर काम शुरू कराया जा सके।
उल्लेखनीय है कि जिन 32 जिलों ने शूटिंग के लिए संभावित स्थलों की सूची नहीं दी है, उनमें मुजफ्फरपुर भी शामिल है। जिले में कई धार्मिक, साहित्यिक, शैक्षणिक, और पुरातात्विक स्थल हैं, जो शूटिंग के लिहाज से उपयुक्त हैं। यदि इन स्थलों की सूची भेजी जाएगी तो वहां आधारभूत संरचना का विकास हो सकेगा और इससे सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होगी। बता दें कि अलग-अलग राज्यों में सरकार क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए काम करते रही है। इसके निर्माण से स्थानीय लोगों को जहां रोजगार मिलेगा। वहीं, लोकल कलाकार भी बेहतर कर पाएंगे।
सूची में देनी है यह जानकारी
विभाग ने कहा है कि सबसे पहले स्थल का जिक्र होना चाहिए। उसके बाद स्थल की ऐतिहासिकता, धार्मिक स्थल, प्राकृतिक स्थल, शैक्षणिक संस्थाान, बाजार या व्यावसायिक क्षेत्र, पुरातात्विक स्थल के संबंध में जानकारी होनी चाहिए। इसके साथ ही उस स्थल से नजदीकी रेलवे स्टेशन, रेलवे स्टेशन से दूरी, नजदीकी हवाई अड्डा, स्थल के उपयोग के लिए निर्धारित शुल्क और स्थान के स्वामित्व के बारे में जानकारी देनी होगी।