धूप और छांव से बीमारियों की चपेट में आ रहे लोग
झाझा में मौसम के बदलाव के कारण वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ गया है। रेफरल अस्पताल और पीएचसी में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। डॉक्टरों ने मौसमी बीमारियों से बचने के लिए सलाह दी है। बदलते मौसम में...

झाझा । निज प्रतिनिधि मौसम के बदले मिजाज से वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में रेफरल अस्पताल समेत पीएचसी में मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। क्योंकि वर्तमान में कभी कड़ी धूप तो कभी बारिश के साथ सुबह-शाम हल्की ठंड पड़ रही है। चिलचिलाती धूप से जहां एक ओर शरीर में जलन महसूस होती है। वहीं उमड़ते घुमड़ते बादलों और हल्की बारिश के बाद सुबह के समय में हल्की ठंड महसूस हो रही है। बदलते मौसम के कारण वायरल इंफेक्शन के जीवाणु ज्यादा एक्टिव हो गए हैं। बुखार, खांसी, छींक, नाक बहना आदि कई परेशानियां शुरू हो गई हैं।
इसका खतरा उनलोगों को सबसे ज्यादा देखा जा रहा है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। चिकित्सकों के अनुसार, मौसम के बदलाव के समय इंफेक्शन से बचना चाहिए। बदलते मौसम में जो बीमारियां अधिक होती है, उसमें गले में खरास और दर्द, जुकाम होना, आंखों में जलन, लाली और खुजली, सिर दर्द, तेज बुखार आदि शामिल हैं। रेफरल अस्पताल में पहुंचे मरीजों को पदस्थापित चिकित्सक मौसमी बीमारियों से बचने की सलाह दे रहे थे। डॉ. सत्यजीत प्रियदर्शी ने बताया कि बदलते मौसम में उल्टी होना, उल्टी के चार-पांच घंटे बाद पानी जैसा शौच होना, शौच का रंग हरा होना, प्यास ज्यादा लगना, आंखें और तालू अंदर की तरफ जाना, जीभ सूखना, 100 या 102 डिग्री सेल्सियस तक बुखार होना, बार-बार उल्टी व शौच होने से शरीर सुस्त पड़ जाना यह सभी डायरिया के लक्षण है। कई बार जब हम बेमौसम की चीजों का सेवन करते हैं, जैसे खूब ठंडा पानी पीना, आइसक्रीम-कुल्फी खाना या बेमौसम के फल और सब्जियों का सेवन करना, आदि से वायरल रोगों का खतरा बढ़ जाता है। मौसमी फलों और सब्जियों के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वहीं वायरल इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है। बताया मौसम में बदलाव के समय वायरल इंफेक्शन के जीवाणु ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। इसलिए बदलते मौसम में सार्वजनिक जगहों पर छींकते या खांसते समय हमेशा रूमाल का प्रयोग करना चाहिए। छींकते समय मुंह पर रूमाल रखने से आपके साथ अन्य लोगों को भी वायरल इंफेक्शन से खतरा कम हो जाता है। इस मौसम में वातावरण में मौजूद वायरस एक-दूसरे में सांस के जरिये, छींकने या खांसने पर ड्रॉप्लेट्स से फैलते हैं। इसे रेस्पिरिटरी इन्फेक्शन का वायरस कहते हैं। कहा जीवाणु की बढ़ोत्तरी के लिए यह अनुकूल मौसम है। बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्रियों को अगर अच्छी तरह नहीं रखा जाए तो यह दूषित हो जाता है। अस्पताल में मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए सभी प्रकार की दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। अस्पताल प्रबंधन द्वारा भी सभी चिकित्सकों को निर्देश दिया गया है कि वे मरीजों के इलाज करने के साथ उन्हें उचित सलाह भी जरूर दें।
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