RSS के स्कूल से पढ़कर भी वामपंथी हो गए, JNU छात्र संघ के नए अध्यक्ष नीतीश के बारे में सब जान लीजिए
वामपंथी छात्र नेता और जेएनयू छात्र संघ के नए अध्यक्ष नीतीश कुमार की स्कूली शिक्षा अररिया जिला के फारबिसगंज सरस्वती शिशु मंदिर में हुई जो आरएसएस से संबद्ध विद्या भारती संचालित करती है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन) के चुनाव में वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के छात्र नेता और यूनिवर्सिटी में पीएचडी के रिसर्च स्कॉलर नीतीश कुमार ने जीत हासिल की है। बिहार के अररिया जिले के भरगामा प्रखंड के शेखपुरा गांव निवासी नीतीश के पिता प्रदीप यादव किसान हैं और मां पूनम देवी गृहणी हैं। नीतीश आज भले वामपंथी छात्र राजनीति में नया सितारा बनकर उभरे हैं, लेकिन उनकी 10वीं क्लास तक की पढ़ाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध विद्या भारती के सरस्वती शिशु मंदिर में हुई है। विद्या भारती भारतीय संस्कारों वाली शिक्षा पद्धति के प्रसार के लिए देश भर में 30,000 से अधिक स्कूलों का संचालन करती है, जहां लगभग डेढ़ लाख टीचर 30 लाख बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
हिन्दुस्तान ने जब नीतीश कुमार से यह पूछा कि कैसे वो संघ से जुड़े संगठन के स्कूल में पढ़कर भी वामपंथ की तरफ मुड़ गए तो उन्होंने कहा- “स्कूल के दिनों में मुझे आरएसएस की विचारधारा का अनुभव नहीं हुआ। बीएचयू जाने के बाद पता चला कि मोदी सरकार कम्युनल आइडियोलॉजी को बढ़ा रही है। वामपंथी विचारधारा की ओर ज्यादा झुकाव जेएनयू आने के बाद हुआ।” नीतीश के चचेरे भाई सानू यदुवंशी ने कहा कि नीतीश बचपन से ही गरीब एवं गरीब बच्चों के कल्याण के बारे में बातें करता रहता था लेकिन जेएनयू जाने के बाद वह लेफ्ट की ओर बढ़ चला।
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अररिया के नीतीश कुमार ने फारबिसगंज में सरस्वती शिशु मंदिर से दसवीं तक की पढ़ाई करने के बाद पूर्णिया कॉलेज से इंटर की परीक्षा पास की। इसके बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) गए और वहां से एमए की पढ़ाई के लिए जेएनयू पहुंच गए। नीतीश अब एमए के बाद जेएनयू से ही पीएचडी कर रहे हैं। साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नीतीश की दो बहनें हैं जो उनसे बड़ी हैं और दोनों की शादी हो चुकी है। पिछले साल बिहार के ही गया के रहने वाले धनंजय कुमार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे जो आइसा से ही जुड़े हैं।