पुल के आभाव में नाव से आवागमन करना ग्रामीणों की मजबूरी
बोले खगड़िया::::पुल के आभाव में नाव से आवागमन करना ग्रामीणों की मजबूरीपुल के आभाव में नाव से आवागमन करना ग्रामीणों की मजबूरीपुल के आभाव में नाव से आवा

गोगरी, एकसंवाददाता। गोगरी प्रखड अंतर्गत पौरा पंचायत के सहरौन गांव के दो वार्डों के लोगों को सालों भर नाव से ही सवारी कर अपने घरों तक पहुंचना पड़ रहा है। इसके कारण यहां के ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चारों ओर से नदी से घिर इस गांव में आवागमन को सुलभ करने के लिए पुल के निर्माण कराने के प्रति जनप्रतिनिधियों ने कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई है। बताया जा रहा है कि अगर इस गांव में आवागमन के लिए पुल का निर्माण कराया जाए तो निश्चित रूप से ही यहां के दो वार्डों के लोगों के अतिरिक्त पंचायत के विभिन्न क्षेत्र के किसानों के खेतों तक यानि दियारा इलाके में आवागमन में काफी सुविधा मिलेगी और किसानों को यहां खेती करना आसान होगा।
वर्त्तमान में खाद बीज के साथ साथ फसल तैयार होने पर खाद्यान्न को भी नाव से ही पार कराना पड़ता है। ऐसे में यहां के लोगों को उपज की सही कीमत नहीं मिल पाती है। किसानों को खेती में लागत अधिक एवं आमदनी कम होती है। इस समस्या से निजात के लिए यहां के लोगों ने पुल के निर्माण की मांग को तेज कर दिया है। बताया जा रहा है कि सहरौन गांव कोसी नदी के पार में बसा हुआ है। यहां के लोगों को मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए नाव का ही सहारा है। यहां के दो वार्डों में पांच हजार से अधिक आबादी बसा हुआ है। कई दशकों से स्थानीय लोग कोसी नदी में पुल निर्माण की मांग कर रहे है लेकिन आज तक पुल निर्माण करने कोई प्रक्रिया नही किया गया है। स्थानीय सुशील बिहारी ने बताया कि अगर सहरौन गांव के किसी लोग की रात्रि में अचानक तबियत बिगड़ जाती है तो नाव के सहारे ही पार होकर किसी क्लिनिक में जाकर इलाज कराना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी तो गर्भवती महिला को होती है। रात्रि में किसी महिला को अगर प्रसव पीड़ा होने लगती है तो सुबह होने तक का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे दवा नहीं बल्कि दुआ के सहारे ही समय गुजारा जाता है। वहीं सुबह होने के बाद उन्हें नाव के सहारे पार होकर अनुमंडलीय अस्पताल जाना पड़ता है। पुल के आभाव में सहरौन गांव के लोग अभी भी विकास से कोसो दूर हैं। वहीं अगर किसी भी चुनाव हो सहारोन गांव के मतदान केंद्र पर जिनकी ड्यूटी लगती है तो कर्मियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ईवीएम व अन्य मतदान सामग्री लेकर नाव से आवागमन कराने में काफी मशक्कत करना पड़ता है। पुल के आभाव में सहरौन गांव के लोग आज भी समस्याओं से भरी जिंंदगी जीने की विवश है। कोसी नदी पर पुल की सुविधा नहीं रहने से गांव विकास से दूर है। सहारोन गांव आवागमन करने कोसी नदी पर पुल निर्माण कराने सहारोन के लोगों ने लोकसभा चुनाव के दौरान वोट बहिष्कार किया था। हालांकि बाद में प्रशासनिक पहल के बाद बाद में मतदान कराया गया था लेकिन इस दौरान विकास को गति देने के लिए अधिकारियों को जनत से कई वादे किए गए थे। इन वादों के पूरा होने का भी इंतजार लोगों को है। बोले मुखिया पौरा पंचायत के सहरौन गांव को सड़क से जोड़ने के लिए पुल निर्माण कराने विधायक, सांसद का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। पुल के आभाव के कारण इस गांव के लोगों का आवागमन का मुख्य साधन नाव है। कोसी नदी पर पुल निर्माण होने से सहरौन के लोग मुख्य सड़क से जुड़ जाएंगे पिंकी देवी, मुखिया, पौरा पंचायत बोले लोग:- पौरा के सहारौन गांव की आबादी को आवागमन के लिए एक पुल की जरूरत है। जिससे लोगों की समस्याएं खत्म हो पाएंगी। आदर्श कुमार, छात्र सहारौोन गांव आवागमन करने के लिए नाव ही सहारा है। पुल के आभाव में लोगो को काफी परेशानी झेलना पड़ रहा है। पुल नही रहने से सहारोन विकास से दूर है। लव कुमार, समाजसेवी पौरा से सहारौन जाने के लिए कोसी नदी पर पुल जरूरी है। पुल के आभाव में सहारोन गांव की आबादी को काफी जिल्लत की जिंदगी जीना पड़ता है। सुजीत यादव, समाजसेवी सहारौन स्थित कोसी नदी पर पुल का निर्माण होने से यहां के दो वार्ड में विकास कार्य दिखेगा। पंचायत स्तर से विकास कार्य कराया जा रहा है लेकिन पुल का निर्माण नहीं होने से समस्या बनी हुई है। नीतीश कुमार, समाजसेवी सहरौन गांव में बीमार होने पर भी लोगों का तुरंत इलाज संभव नहीं हो पाता है। खासकर गर्भवती महिलाओं को नाव से यात्रा करना काफी कष्टकारी होता है। रुपा कुमारी, छात्रा सहारोन गांव आवागमन करने कोसी नदी पर पुल की आवश्यकता है। जनप्रतिनिधियों को पुल निर्माण कराने की ओर पहल करना चाहिए। पंकज सिंह, समाजसेवी बोले खगड़िया::::2:::: जीएन बांध को एनएच 31 से जोड़ने वाली सतीशनगर कोरचक्का सड़क है बदहाल वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री सम्पर्क योजना ये कि या गया था सड़क का निर्माण लोगों क ो आवागमन में हो रही है परेशानी परबत्ता। एक प्रतिनिधि जीएन बांध सें एनएच-31 को जोड़ने वाली स्लुईस गेट स्थित कोरचक्का- सतीशनगर सड़क बदहाल बना हुआ है लेकिन इस समस्या को दूर करने के किसी भी प्रकार का पहल नहंी किया जा रहा है। इस सड़क से गुजरने वाले यात्रियों को काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। शाम ढलते ही सड़क की बदहाली के कारण छिनतई की भी आशंका बनी रहती है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री सम्पर्क पथ योजना की लाखों की राशि सें इस सड़क का निर्माण कराया गया। इस सड़क का निर्माण होते ही कई गांव व आसपास के लोगों का आवागमन सुलभ हो गया था लोगों ने राहत की सांस ली थी लेकिन खराब गुणवत्ता के कारण यह सड़क दिन व दिन जर्जर होते जा रही है। सड़क निर्माण के दूसरे वर्ष ही एक दो जगह सड़क का किनारा धंस गया। एवं कई अन्य जगहों पर भी यह जर्जर हो चुकी है। कुछ दिनों पूर्व दैनिक हिन्दुस्तान में खबर प्रकाशित होने के बाद एजेंसी द्वारा बारिश का मौसम रहने के कारण बोरी डालकर धंसान को रोका गया और बारिश का मौसम समाप्त होने के बाद उसे दुरुस्त किया गया। लेकिन इसके बाद भी यह सड़क बदहाल हो चुकी है। सड़क निर्माण के अभी महज ढाई वर्ष ही हुए हैं। लेकिन सड़कों का हाल देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि कई वर्षों पूर्व ही यह सड़क बनी है। क्या कहते हैं ग्रामीण :-- सौढ़ उत्तरी पंचयात के ग्रामीणों की मानें तो बताते हैं कि संवेदक द्वारा घटिया सड़क निर्माण किया गया है। यही कारण हकि सड़क निर्माण के पहली बारिश में ही कई जगह सड़क धंस गया था । आज स्थिति यह है कि इस जर्जर सड़क से लोग आवागमन करने से कतराते हैं। लेकिन अब तक किसी भी अधिकारियों की नजर इस जर्जर सड़क पर नहीं पड़ी है। इधर सड़क की बदहाली को देखकर स्थानीय लोगों में आक्रोश पनप रहा है। बोले अधिकारी -- सड़क के मरम्मत को लेकर संबंधित विभाग से पत्राचार किया जाएगा। जिससे सड़क को दुरुस्त कराया जा सके और लोगों का आवागमन सुलभ हो सके। संतोष कुमार पंडित बीडीओ, परबत्ता फोटो - 10 परबत्ता प्रखंड के सतीशनगर कोरचक्का की बदहाल सड़क।
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