Severe River Erosion and Flooding Threaten Farmers in Gorukhalk Panchayat Bihar गोरुखाल पंचायत में नदी कटाव बड़ी समस्या, Kishanganj Hindi News - Hindustan
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गोरुखाल पंचायत में नदी कटाव बड़ी समस्या

गोरुखाल पंचायत में नदी कटाव बड़ी समस्या गोरुखाल पंचायत में नदी कटाव बड़ी समस्या गोरुखाल पंचायत में नदी कटाव बड़ी समस्या

Newswrap हिन्दुस्तान, किशनगंजWed, 28 May 2025 01:27 AM
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गोरुखाल पंचायत में नदी कटाव बड़ी समस्या

पोठिया। निज संवाददाता पोठिया प्रखंड के गोरुखाल पंचायत में नदी कटाव व बाढ़ की बड़ी समस्या है। हर वर्ष बाढ़ व नदी के कटाव से किसानों का लाखों का नुकसान होता है। बारिश के समय ग्रामीणों को प्रत्येक वर्ष इलाके के ऊंचे स्थानों पर शरण लेना नियति बन गया है। जिसमें बोरोगच्छ, जहाँगीरगच्छ,जहांगीरगच्छ आदिवासी टोला,जंगलबस्ती,मागुरजान कदम घुट,भेरभेरी,तथा डेंगकांटी के तीन वार्ड के तकरीबन 5000 हजार की अबादि प्रभावित है। पिछले तीन वर्षों से डोंक नदी किनारे बोल्डर पिचिंग निर्माण की मांग ग्रामीणों द्वारा की जा रही है। पिछले वर्ष 2023 बाढ़ के तेज बहाव से गांव के कई सड़को का कटाव हो गया था।

गांव के दर्जनों किसानों का लहलहाते फसल सहित खेत नदी की तेज धार में बह गया था। किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत गोरुखाल पंचायत के तीन वार्डो के लोग डोंक नदी के कटाव का तांडव पिछले 35 वर्षों से झेल रहे हैं। वार्ड संख्या एक,नो तथा दस के सात गांवों में 1990 से प्रत्येक वर्ष डोंक नदी का पानी बरसात के समय गांव तथा घरों में प्रवेश कर जाता है। ग्रामीण मो शाहिद, मो. नोशाद,मो. खुशरो,सहित दजनों ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ का प्रकोप तो आज़ादी के बाद से ग्रामीण झेल रहे हैं। लेकिन 1990 के बाद से डोंक नदी के बाढ़ तांडव अधिक ही बढ़ गया है। 2023 में बढ़ इतना तवाही मचाया की तीनों वार्डो के लोगो को घरबार छोड़ कर माल मवेशियों के साथ स्कूलों में शरण लेना पड़ा। गांव का बोरोगच्छ से मदरसा तक जानेवाली पीएमजीएसवाय पांच कीमी पक्की सड़क बोरोगच्छ झुलली सड़क सड़क बाढ़ बहाव से पूरी तरह ध्वस्त हो गया। मशलन बेलुआ रामगंज प्रधानमंत्री सड़क का भी संपर्क टूट गया। जिसे लेकर तत्कालीन जिला अधिकारी श्रीकांत शास्त्री को गांव के सड़क का जायजा लेना पड़ा, 23 जुलाई को श्री शास्त्री ने कई अधिकारियों के साथ कटाव स्थल का दौड़ा किया। और तत्काल सड़क का मरम्मती कराया। लेकिन दूसरे ही साल पुन: सड़क कटाव के चपेट में आ गया जो यथास्थिति में पड़ा है। इस प्रकार बोरोगाछ,जहांगीरगच्छ,जहांगीरगच्छ आदिवासी टोला,जंगलबास्ती,मागुरजान,कदम घुटू,भेराभेरी तथा ढेंगकाठी गांवों में बरसात और बाढ़ इन तमाम गांवों में डॉक नदी का पानी प्रवेश कर जाता है। और गांव में तबाही और बरबादी का मंजर साथ ले आता है। इतना ही नहीं पिछले 35 वर्षो में किसान मो खुसरो,मो मिनाज,मो जियाउल हक,रामजी टुडू,मिलक्कू आदि किसानों का चायपत्ती का पौधा सहित तकरीबन 50 एकड़ खेत डोंक नदी के बीचधार में बह गया। वहीं जहांगीरगछ मुस्लिम टोला का मस्जिद, ईदगाह सहित कब्रिस्तान डोंक नदी में बह गया है। बोले जम्मेदार इजहारुल हुसैन, किशनगंज, विधायक ने कहा कि मेरे संज्ञान में क्षेत्र के डोंक था महानन्दा नदियों से हो रही कटाव को लेकर है। मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस विषय को लेकर एक लिखित पत्र दे चुका हूं। वैसे ग्रामीणों के मांग पर जिला पदाधिकारी के संज्ञान में देकर बीस फिट तक तटबंध निर्माण हेतु बात करूंगा। बीस फीट तक का तटबंध निर्माण के लिए जिला से प्रावधान है। ग्रामीणों की मांग पर इसका प्रयास करूंगा। जिससे निर्माण कराए गए ईदगाह तथा श्मशान घाट जो फिलहाल कटाव के जद में है। इससे कटाव से बचाव होगा। कमरूल हुदा पूर्व विधायक ने कहा कि दरअसल बिहार सरकार कटाव के नाम पर जो नदियों में बांस बंबू ब्रेकेटिंग,बोरी में मिट्टी भरकर तटबंधों का निर्माण कर रही है। इससे कुछ नहीं होता,डॉक तथा महानन्दा नदियों का धार इतनी तेज गति से बहती हैं की उसे नदी की तेज धार निर्माणाधीन तटबंधों को ही बहा ले जाती हैं। मशलान वही ढाक के तीन पात वाली कहावत है। मो. शाहिद आलम सामाजिक कार्यकत्र्ता ने कहा कि जिस प्रकार से नदियों का अनवरत हो रही कटाव से सड़क,पुल पुलिया, धार्मिक स्थल आदि का कटाव हो रही है। काफी चिंता का विषय है। सरकार को कटाव को लेकर गंभीरता से विचार करना होगा। नही तो गोरूखल पंचायत के कई गांवों के लोगो को पलायन हेतु मजबूर हो जाना पड़ेगा। नौशाद आलम, शिक्षक सह समाज सेवी ने कहा कि गोरूखाल पंचायत काफी संवेदनशील पंचायत है। पश्चिम बंगाल बॉर्डर से महज दो किमी की दूरी पर पंचायत की पूरी आबादी है। पंचायत के डोंक नदी के दूसरे दियारे में पश्चिम बंगाल का दर्जनों इलाको की आबादी है। सुरक्षा के लिहाज से पंचायत क्षेत्र की सड़के अच्छी होने की जरूरत है। ताकि पुलिस प्रशासन की सुलभ तरीके से पंचायत क्षेत्र में जल्द से जल्द पहुंच सके। नदी से हो रही कटाव को स्थाई रूप से रोकना आवश्यक है। कटाव के कारण ही सड़कों पुल पुलिया ध्वस्त होने से सड़क संपर्क टूट जाता है। जिससे प्रशासनिक अधिकारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। मो. खुशरु जिरानगच्छ गांव निवासी ने कहा कि गांव में सुखार के बाद जैसे ही बरसात आती है,ग्रामीणों का पसीने छूटने शुरू हो जाते है। नदी के कटाव को देखते ही में में पलायन का भय समा जाता है। लोग ऊंचे स्थानों की खोज शुरू कर देते है। बाढ़ के भय से लोग हमेशा डरे सहमे रहते है। सरकार से मेरी फरियाद है की नदी में बाढ़ तटबंध का निर्माण हो। बरियार मरांडी, मुखिया मिर्जापुर पंचायत जिसे ही नदी का जल स्तर बढ़ने लगता है खेत में लगी फसलों तथा जमीन की कटाव का चिंता बढ़ने लगते है। हमारे नेताओ को चाहिए की हम ग्रामीणों को नदी के बाढ़ की तांडव से स्थाई बांध निर्माण कराकर ग्रामीणों को बाढ़ की तबाही व बरबादी से मुक्ति दिलाए। डोंक नदी के बाढ़ का तांडव गोरुखाल, नौकट्टा, कोलत्था,सरोगारा, रायपुर तथा पाडलाबाडी पंचायतों में प्रत्येक वर्ष बारापता है। एयनूल हक,जहांगीरगच्छ निवासी किसान नदी का कटाव से मेरा खेत नदी के बीच धार में समा गया है। कुछ किसान तो नदी के कटाव से खेती की पूरी जमीन ही नदी के बीच धार में बह गया।आज मजदूर बनकर सूबे से बाहर रोजगार के लिए भटक रहे है। चाय पत्ती के खेती करनेवाले किसानों का भी जमीन चाय के हरे भरे पौधो के साथ बह गया है। नैमूल हक गोरुखल पंचायत निवासी समाज सेवी ने कहा कि पंचायत क्षेत्र के कई सड़कें बाढ़ से ध्वस्त हो जाने की वजह से चार पहिए वाहनों की आवाजाही में परेशानी हो रही है। किसान अपनी फसल को घुमावदार रास्ते से मंडियों तक ले जाते है। नदी के कटाव से मो नियाज़ का तीन एकड़ खेत चायपत्ती सहित नदी के बाढ़ से बह गया है। इस प्रकार रामजी टुडू,मो. मिली, नियाजू,जियाउल का भी चाय का खेत बहकर नदी के तेज धार में चला गया। आलिया बेगम, मुखिया पाड़लाबाड़ी पंचायत ने कहा कि डोंक नदी की धार इतनी तेज रफ्तार से बहती की इसका कटाव बड़ी भयानक है। देखते ही देखते दर्जनों एकड़ खेत नदी के बीच धार में बह जाती है। डोंक नदी का कटाव प्रखंड के दस पंचायतों हो रही है। मेरा पाड़लाबाड़ी पंचायत इसका भुक्तभोगी है। हलादा गांव के दर्जनों परिवारों मकान, लहलहाते खेत 2008 के दौरान डोंक नदी में समा गया। लोगो को दूसरे गांव में विस्थापित होना पड़ा। बिहार सरकार को चाहिए की डोंक नदी के दोनो किनारों पर स्थाई रूप से बांध का निर्माण करना चाहिए। रीना प्रवीन, निवासी समाज ने कहा कि डोंक नदी का कटाव से लोग त्रस्त है। यदि तटबंध का निर्माण बरसात शुरू होने से नहीं कराया गई तो इस बार बरसात के समय नदी कटाव शुरू होते ही वार्ड संख्या एक,नो तथा दस के ग्रामीणों को गांव से अन्य स्थानों पर पनाह लेना परेगा। दूसरी ओर यदि जर्जर हुए सड़क का निर्माण नहीं हुई तो लोगों का संपर्क बंगाल के मुख्य बाजारों तथा प्रखंड बी अन्य स्थानों से संपर्क टूटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। जरिमन निशा, गृहणी ने कहा कि नदी कटाव से बरसात के समय सड़क का दुरुस्त नहीं होने से खास कर गरीब तबकों के लोगों को इसका सर्वाधिक खामियाजा भुगतना पड़ता है। रोगियों को अस्पतालों तक पहुंचाना भी बड़ी मुश्किल हो जाता है। इसलिए प्रशासन और विधायक तथा सांसद को चाहिए की बरसात के पहले जर्जर सड़कों का निर्माण एवं डोंक नदी पार तटबंध का निर्माण होना आवश्यक है। निखत शाहीन, मुखिया पंचायत सरोगरा ने कहा कि डोंक नदी पार भी महानन्दा बेसिन योजना की तरह सरकार को चाहिए की डोंक नदी के गोरुखाल पंचायत से मिर्जापुर,सरोगारा, कोलथा, पाडलाबाड़ी से रायपुर पंचायत तक बांध का निर्माण होनी चाहिए। तब ही इन तमाम पंचायतों की अवादियो को डॉक नदी के बाढ़ की प्रकोप से नदी के दियारे में बसानेवालो की मुक्ति मिलेगी। ओर बाढ़ से किसानों, आमजनो स्थाई रूप से समाधान मिलेगी। बॉक्स के लिए बाढ़ से हर वर्ष होता है व्यापक नुकसान पोठिया प्रखंड अंतर्गत गोरुखाल पंचायत प्रखंड मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर पश्चिम बंगाल के चोपड़ा तथा रामगंज के सीमा से सटा है। यही कारण है,की पंचायत क्षेत्र काफी संवेदनशील माना जाता है। दूसरी ओर पंचायत क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति की पहचान डोंक नदी के कारण प्रतिवर्ष बदलते जा रहा है। पंचायत का मांगुरजान से कोईमारी तक डोंक नदी के कटाव से आधे दर्जन से अधिक गांव व सड़कों प्रति वर्ष प्रभावित होते जा रहा है। गोरुखाल पंचायत के तकरीबन ढाई सौ परिवार डोंक नदी के बाढ़ का तांडव प्रति वर्ष झेलने को मजबूर हैं। आधे दर्जन से अधिक किसानों का लगभग 40 एकड़ जमीन में लगाई गई चाय पौधो के साथ नदी के बीच में समा कर रेत में तब्दील हो गया है।

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