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जीवन को सार्थक बनाती है शिवपुराण कथा : पंडित प्रदीप मिश्रा

सिंहेश्वर में आयोजित श्री शिवपुराण कथा के छठे दिन, पंडित प्रदीप मिश्रा ने भगवान शिव की महत्ता और श्रद्धा के साथ कथा सुनने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर को एक लोटा जल चढ़ाने से...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधेपुराSun, 27 April 2025 03:56 AM
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जीवन को सार्थक बनाती है शिवपुराण कथा : पंडित प्रदीप मिश्रा

सिंहेश्वर, निज संवाददाता। सिंहेश्वर में आयोजित सात दिवसीय श्री शिवपुराण कथा के छठे दिन शुक्रवार को प्रख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव महापुराण कथा जीवन को सार्थकता प्रदान करती है। भगवान शंकर का शृंगार केवल एक लोटा जल है। पवित्र मन से जल चढ़ाने पर भगवान शंकर प्रसन्न हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि भगवान शिव की कथा कितने विश्वास और श्रद्धा से सुनते हैं यह आप पर निर्भर करता है। रावण जैसा शक्तिशाली राजा देवाधिदेव महादेव से भय खाता था। रावण जानता था कि भगवान शंकर जिसे देते हैं छप्पड़ फाड़ कर देते हैं। भगवान शिव के विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए पंडित मिश्रा ने कहा कि दुनिया की पहली बारात श्मशान से चली थी। बाबा भोलेनाथ की बारात हिमालय राज के दरवाजे पहुंची थी। एक, दो, तीन नहीं कई मुहूर्त निकल गए लेकिन बारात नहीं पहुंची। शिव महापुराण कहता है कि शुभ कार्य के लिए जाते समय सामने से अर्थी निकले तो कार्य सफल होता है।

पंडित मिश्रा ने कहा कि कोई कहता है कि गर्भवती स्त्री को शिवालय नहीं जाना चाहिए लेकिन यह कहीं नहीं लिखा है। सारे वेद, पुराण और शास्त्र कहते हैं कि दुखी हो, कष्ट में हो या पाप किया हो, एक लोटा जल चढ़ाओ। एक लोट जल से सभी समस्या का समाधान हो सकता है। भगवान भोलेनाथ से मांगने वाला भिखारी नहीं कहलाता। हम सब भोलेनाथ की संतान हैं। उन्होंने कहा कि थोड़ी मेहनत हाथ की होनी चाहिए, बाकी कृपा भोलेनाथ की होती है। पढ़ाई और मेहनत चार गुणा बढ़ानी चाहिए। हर काम करना चाहिए, फिर भगवान शंकर को स्मरण करना चाहिए। संघर्ष जरूरी है। बाबा भोलेनाथ हर इम्तिहान में सफलता दिलाते हैं।

पंडित मिश्रा ने कहा कि अगर बनना है तो जवाब देना छोड़ना होगा। एक-दूसरे को दोष देने की आदत छोड़नी होगी। मौन धारण करना होगा। दुख आएगा, बीमारी आएगी, परेशानी आएगी, लेकिन मन को स्थिर रखना होगा। संसार में दुख आते हैं, पर उनका भान नहीं करना चाहिए। शिवपुराण कथा के छठे दिन कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हालत यह रही कि कथा स्थल पर पंडल में श्रद्धालुओं के लिए ढंग से बैठना मुश्किल हो गया। उमसभरी गर्मी के बावजूद श्रद्धालुओं में कथा सुनने को लेकर भारी उत्साह देखा गया।

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