टिकुलिया संगम घाट पर चचरी के सहारे होता है आज भी आवाजाही
टिकुलिया संगम घाट पर आजादी के 75 साल बाद भी पुल का निर्माण नहीं हुआ है। स्थानीय लोग चचरी के सहारे आवागमन कर रहे हैं, जिससे उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के...

टिकुलिया संगम घाट पर चचरी के सहारे होता है आज भी आवाजाही हाल बिशनपुर बाजार स्थित टिकुलिया सुरसर नदी संगम घाट का
लोगों ने कहा कि पुल निर्माण की वर्षों से मांग हो रही है अनसुनी
कुमारखंड, निज संवाददाता। प्रखंड के बिशनपुर बाजार पंचायत स्थित सुरसर नदी संगम घाट पर आजादी के 75 वर्ष बाद भी इलाके की हजारों की आबादी को चचरी के सहारे आवागमन की विवशता बनी हुई है। इस पंचायत के लोगों के अलावे पूर्वी क्षेत्र के लोगों तथा सुरसर नदी के पश्चिमी भाग स्थित बिशनपुर सुंदर , टेंगराहा सिकियाहा पंचायत में रहने वाले हजारों की आबादी के लिए सुलभ आवागमन वाले इस रास्ते में सुरसर नदी पर पुल नहीं बनने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सुरसर नदी में संगम घाट पर पुल नहीं रहने से पश्चिम भाग में रहने वाले लोगों को प्रखंड मुख्यालय सहित अन्य जगह आने-जाने में 15 किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता है। जबकि पूर्वी भाग में रहने वाले हजारों की आबादी को भतनी, शंकरपुर, सिंहेश्वर, त्रिवेणीगंज सहित अन्य जगह जाने में घूम कर 10 किलोमीटर लंबी दूरी तय कर भतनी होते जाना मजबूरी बना हुआ है। आवागमन की इस समस्या को लेकर स्थानीय लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया में जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारी की उदासीनता के कारण पुल का निर्माण एवं स्टेट हाईवे से लेकर महादलित टोला टिकुलिया होते भतनी जाने वाली कच्ची सड़क को पक्की सड़क के रूप में निर्माण नहीं हो पाना मानते हैं। सुरसर नदी संगम घाट पर स्थानीय ग्रामीण के सहयोग से चचरी का निर्माण कर किसी तरह आवागमन जान जोखिम में डालकर किए जा रहे हैं। मालूम हो कि यहां पर पुल नहीं होने से अब तक कई लोग डूब कर मौत के घाट उतर चुके हैं। जिसमें करीब डेढ़ साल पूर्व बालकृष्ण सरदार (25), 5 साल पूर्व मोहम्मद अकबर, 6 साल पूर्व गणेशी सरदार सहित ऐसे ही कई अन्य लोग डूबकर मर चुके हैं। ग्रामीण रघुनंदन सरदार, रामविलास साह, सुरेंद्र ठाकुर, सदरे आलम, पोलाय सरदार , बेचन चौधरी, शिवनारायण मेहता, हरिलाल मेहता ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसान मजदूर वर्ग के ज्यादातर लोगों के साथ आज तक यहां के जनप्रतिनिधियों विधायक व सांसद सिर्फ छलावा किया है। संगम घाट पर पुल बन जाने से सही मायने में लाखों की आबादी को आवागमन सुलभ हो पाएंगे। जिस पर आज तक एक भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं जा पाया है। इस संबंध में बीडीओ प्रियदर्शी राजेश पायरट ने बताया कि इस समस्या को लेकर संबंधित विभाग को आवश्यक कार्रवाई के लिए सूचना भेजी जाएगी।
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पुल नहीं रहने से छात्रों व मरीजों को होती परेशानी
कुमारखंड। सुरसर नदी संगम घाट पर आजादी के 75 साल बितने के बाद भी एक अदद पूल नहीं बन पाया है। जिससे सुरसर नदी के पश्चिमी भाग में स्थित भतनी, कांकड़, परसाही, लक्ष्मिनियां पथराहा आदि इलाकों में रहने वाले ऐसे छात्र छात्राओं जो टिकुलिया हाईस्कूल, एनपी काॅलेज कुमारखंड में पढ़ाई करने आते हैं, को स्कूल आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्कूल व कॉलेज आने वाले छात्रों को पांच से दस किलोमीटर की दूरी तय करने के बदले पुल नहीं रहने से दस से बीस किलोमीटर दूरी तय करने की मजबूरी बनी हुई है। इसी तरह नदी के पूर्वी भाग में स्थित गांव के लोगों को भतनी बाजार, त्रिवेणीगंज, शंकरपुर, सिंहेश्वर आदि जगहों पर आने जाने के लिए दस किलोमीटर ज्यादा दूरी तय कर जाना मजबूरी बनी हुई है।
फोटो केएमडी 3 - टिकुलिया संगम घाट पर सुरसर नदी पर बना चचरी पुल
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