मनरेगा से लगाए गए पौधों की संख्या के हिसाब से नहीं दिख रही हरियाली
मुंगेर जिले में मनरेगा के तहत पौधारोपण की वास्तविक स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता संजय केसरी के अनुसार, विभागीय आंकड़ों के अनुसार 7370 पौधे लगाए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर हरियाली का...

मुंगेर, एक संवाददाता। जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत कराए गए पौधारोपण (विशेष रूप से सरकारी भूमि पर) की वास्तविक स्थिति पर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि, मनरेगा के तहत पौधरोपण योजना शुरू होने के समय से अब तक संपूर्ण जिले में लाखों की संख्या में पौधरोपण कराया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर नगण्य है। इस संबंध में आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संजय केसरी में कहा कि, मनरेगा के तहत वर्ष- 2020 से 2025 के बीच ही विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में लगभग 7370 पौधे केवल मनरेगा के द्वारा लगाए गए हैं।
इसके अतिरिक्त विभिन्न अवसरों पर अन्य विभागों के द्वारा भी बड़े पैमाने पर पौधारोपण कराए जाते रहे हैं। ऐसे में, यदि इतने बड़े पैमाने पर पौधे लगाए गए होते, तो मुंगेर जिले के ग्रामीण इलाकों में हरियाली साफ नजर आनी चाहिए थी, हर सार्वजनिक स्थल पर मनरेगा द्वारा लगाए गए पेड़-पौधे ही नजर आते। लेकिन, स्थिति इसके ठीक विपरीत है। उन्होंने कहा कि, मनरेगा द्वारा निजी जमीन पर लगाए गए पौधे तो दिखाई पड़ते हैं, लेकिन सार्वजनिक जगहों पर योजना के तहत लगाए गए पौधे काफी कम संख्या में दिखाई पड़ते हैं। या तो योजना का केवल उद्घाटन कर पौधे लगाए ही नहीं गए और राशि निकाल ली गई, अथवा पौधे लगाए गए तो उनका रखरखाव ठीक से नहीं किया गया, जिसके कारण वे जीवित नहीं रह सके। हालांकि, विभाग द्वारा लगभग 84 प्रतिशत पौधों के जीवित होने की बात बताई जाती है। लेकिन, यह आंकड़ा केवल लगभग 65 प्रतिशत पौधों की जांच पर आधारित है। यह जांच भी संभवतः निजी जमीन पर लगाए गए पौधों से संबंधित है, क्योंकि निजी जमीन पर लगाए गए पौधों की उत्तरजीविता सभी जगह अच्छी पाई गई है। श्री केसरी ने कहा कि, ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करने पर यह साफ होता है कि, कहीं भी सार्वजनिक जमीन पर उतनी संख्या में पौधे नजर नहीं आते, जितने की विभाग द्वारा जानकारी दी जाती है। कई पंचायतों में तो ऐसे पौधरोपण स्थलों की पहचान ही नहीं हो पा रही है। इसका एक उदाहरण केवल सदर प्रखंड परिसर में देखा जा सकता है, जहां पिछले वर्ष जिलाधिकारी द्वारा प्रखंड परिसर स्थित मैदान के दक्षिणी किनारे पर एवं अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यालय के सामने पौधारोपण कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया था। इसके तहत वहीं स्थित मूक-बधिर विद्यालय के पीछे बड़े पैमाने पर पौधारोपण करने की योजना थी। लेकिन, आज न तो उद्घाटन की जगह पर कोई पौधा बचा है और न ही निर्धारित जगह पर कोई पौधा है। दोनों स्थानों पर केवल घास एवं खरपतवार उगे हुए हैं। यह स्थिति लगभग संपूर्ण जिले की है। इस वर्ष भी मनरेगा को जिले के विभिन्न प्रखंडों की 96 पंचायत में कुल 230400 पौधे लगाने का लक्ष्य मिला है। यदि इतने पौधे लगाने के बाद इनका भी रखरखाव उचित ढंग से नहीं किया गया अथवा उचित तरीके से निगरानी नहीं की गई, तो ये भी भविष्य में काफी कम संख्या में दिखाई देंगे। स्थानीय लोगों की मानें तो पौधारोपण की यह योजना सार्वजनिक जमीन के मामले में सिर्फ कागजों पर ही पूरी हुई है, जबकि सार्वजनिक जमीन पर पौधे या तो लगाए ही नहीं गए या फिर वे देखभाल के अभाव में नष्ट हो गए। लोगों का कहना है कि पौधरोपण योजना के नाम पर बड़े पैमाने पर अनियमितता और भ्रष्टाचार की आशंका है, जिसे उजागर किया जाना चाहिए। जमीनी सच्चाई तो जांच से ही सामने आ सकती है। कहते हैं अधिकारी: मुंगेर में मनरेगा के द्वारा लगाए गए पौधों की उत्तरजीविता लगभग 84 प्रतिशत है। जीवित पौधों की जांच जांचकर्ता द्वारा पौधों के पास खड़ा होकर और फोटो खींच कर किया जाता है। इसलिए जांच में किसी गड़बड़ी की संभावना नहीं है। योजना पर किसी का भी लगाया गया आरोप सही नहीं है। पौधे मरते हैं यह स्वाभाविक है। लेकिन, पौधों का मृत्यु दर इतना अधिक नहीं है कि, उसे संज्ञान में लिया जाए। वैसे सार्वजनिक क्षेत्र की जमीन पर लगाए गए पौधों की जांच कराई जाएगी। यदि कुछ गड़बड़ी पाई गई तो संबंधित लोगों पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। -साहेब यादव, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा, मुंगेर।
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