नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सोझी घाट पर राष्ट्रीय नदी रैंचिंग कार्यक्रम आयोजित
यों को न पकड़ने और गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने की दी जानकारी मुंगेर, निज प्रतिनिधि। मंगलवार को शहर के सोझी घाट पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केन्द्

मुंगेर, निज प्रतिनिधि। मंगलवार को शहर के सोझी घाट पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केन्द्रीय अन्तर स्थलीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान बैरकपुर द्वारा नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय नदी रैंचिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर, डॉ. बसंत कुमार दास, निदेशक, आईसीएआर-सीआईएफआरआई के मार्गदर्शन में भारतीय प्रमुख कार्प की एक लाख दस हजार मछली बीजों को गंगा नदी में छोड़ा गया। इनमें 65,हजार रेहू, 33 हजार कतला और 12 हजार मृगला मछलियां शामिल हैं। कार्यक्रम में डीडीसी अजीत कुमार सिंह, जिला मत्स्य पदाधिकारी,मनीष रस्तोगी और आईसीएआर सीआईएफआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी और अनुसंधान दल के सदस्य भी उपस्थित रहे। इस दौरान, आसपास के मछुआरों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। ---------
नदी रैंचिंग से मछलियों की जैव विविधता में होती है वृद्धि :
नदी रैंचिंग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. बसंत कुमार दास ने कहा कि यह पहल न केवल मछली पालन के लिए लाभकारी है, बल्कि गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूत करने में सहायक है। उन्होंने बताया कि नदी रैंचिंग से मछलियों की जैव विविधता में वृद्धि होती है और यह नदी के प्राकृतिक संसाधनों की पुनस्र्थापना में मदद करता है। यह कार्यक्रम गंगा नदी के जलजीवों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से स्थानीय समुदायों के लिए मछली पालन के अवसर भी बढ़ेंगे। आईसीएआर-सीआईएफआरआई द्वारा इस तरह के आयोजन गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 2017 से 2024 तक कुल 16.9 लाख मछली बीजों को बिहार में छोड़ा गया है। इन बीजों में विभिन्न प्रकार की मछलियां शामिल थीं, जो गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को पुन:स्थापित करने में सहायक रही हैं। 2025 में 1,10,000 मछली बीजों को छोड़ा गया है, और 2025 के अंत तक बिहार में 6 से 7 लाख और मछली बीजों को छोड़ने की योजना है।
------
नदी रैंचिंग कार्यक्रमों का विभिन्न क्षेत्रों में दिख रहा प्रभाव:
नदी रैंचिंग से गंगा नदी में मछली संसाधनों में वृद्धि हुई, जिससे पटना में मछली की लैंडिंग 8 प्रतिशत से बढ़कर 14.8 प्रतिशत हो गई। इस कार्यक्रम ने मछुआरों और समुदायों को संसाधनों के बेहतर उपयोग और संरक्षण के लिए जागरूक किया। इसके परिणामस्वरूप मछली पकड़ने की गतिविधियां और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। इसके साथ ही गंगा नदी के संरक्षण के लिए 49 जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 4325 लोगों को डॉल्फिन, मछलियों के संरक्षण, छोटी मछलियों को न पकड़ने और गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के बारे में बताया गया। इन कार्यक्रमों के माध्यम से, स्थानीय लोगों में नदी संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत इस प्रकार के आयोजन जल संरक्षण और मछली पालन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, जो गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने में सहायक साबित हो रहे हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।