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6300 स्कूलों में बच्चों के लिए अब भी शौचालय नहीं

बिहार के 6300 स्कूलों में बच्चों को शौचालय नहीं मिल रहे हैं। इनमें 4854 सरकारी और 1446 निजी स्कूल शामिल हैं। सुपौल, पश्चिम चंपारण और सहरसा जैसे जिलों में स्थिति सबसे खराब है। छात्राओं को शौचालय की कमी...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरMon, 21 April 2025 05:40 PM
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6300 स्कूलों में बच्चों के लिए अब भी शौचालय नहीं

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। 6300 स्कूलों में बच्चों को अब भी शौचालय नसीब नहीं है। सूबे के इन स्कूलों में फंक्शनल टॉयलेट का अभाव है। इनमें 4854 सरकारी और 1446 निजी स्कूल हैं।

जिले में 340 स्कूलों में बच्चे शौचालय के अभाव में दुर्दशा झेल रहे है। सबसे खराब स्थिति सुपौल, पश्चिम चंपारण व अन्य जिलों की है। बिहार शिक्षा परियोजना की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। सुपौल जिले में 25 फीसदी से अधिक स्कूलों में शौचालय नहीं है। सहरसा इस मामले में दूसरे स्थान पर है। यहां 15 फीसदी से अधिक स्कूलों में बच्चों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। पूर्वी चंपारण में 10 फीसदी से अधिक स्कूलों में शौचालय नहीं है। मुजफ्फरपुर में ऐसे स्कूलों की संख्या आठ फीसदी है। पूर्णिया, रोहतास, अररिया जैसे जिलों में स्थिति ठीक है। इन जिलों में एक फीसदी और उससे भी कम स्कूल ऐसे हैं, जहां शौचालय नहीं है।

छात्राओं को झेलनी पड़ रही सबसे अधिक परेशानी

शौचालय नहीं होने के कारण छात्राओं को सबसे अधिक परेशानी होती है। औराई, पारू समेत कई प्रखंडों में ऐसे स्कूल हैं, जहां शौचालय नहीं है। यहां बच्चियां कई तरह की बीमारियों का भी शिकार हो रही हैं। छात्राओं ने कहा कि आमतौर पर हमलोग या तो किसी का घर तलाशते हैं या फिर लंबे समय तक चुप्पी साधे रहते हैं। इसी वजह से हमलोग महीने में कई दिन स्कूल नहीं आते हैं।

महिला शिक्षिकाएं कई घंटे तक नहीं पीतीं पानी

जिले में कई स्कूल ऐसे हैं, जो आज भी बरामदे या किसी झोपड़ी में चलते हैं। इन स्कूलों में बच्चे ही नहीं, महिला शिक्षिका भी घंटों परेशानी झेलनी हैं। महिला शिक्षिकाएं कहती हैं कि कई घंटे हमलोग डर से पानी नहीं पीते हैं। ऐसे स्कूल जो भवनहीन हैं, वहां यह परेशानी अधिक है।

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