वायु प्रदूषण से जहरीली हुई शहर की हवा, सांसों में घुल रही धूल और धुआं
मुजफ्फरपुर में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो गई है। धूल और धुएं के कारण लोग बीमार हो रहे हैं। प्रशासन की लापरवाही और सड़कों पर पानी का छिड़काव न होने से स्थिति और बिगड़ रही है। एक्यूआई स्तर खतरनाक...
मुजफ्फरपुर। घरों की खिड़कियों से जब हवाओं को अंदर आने की मनाही हो तो समझ सकते हैं कि उस शहर की हवा कितनी दमघोंटू होगी। सांसों में घुल रही धूल और धुएं के कारण बढ़ती बीमारियों ने हर शहरी की चिंता बढ़ा दी है। सड़कों को तो छोड़िए, गली-मोहल्लों में धूल के कारण घर का सामान ढंककर रखना पड़ता है। लोगों का कहना है कि शहर के सभी इलाकों में सड़कों पर नियमित पानी का छिड़काव नहीं हो रहा है। पेड़ों के पत्तों पर जमी धूल और प्रतिबंधित गाड़ियों के आवागमन से वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। प्रशासन की ओर से प्रदूषण की समस्या का ठोस हल नहीं निकाला गया तो आने वाले समय में हर शहरी को मास्क पहनकर घर से निकलना पड़ेगा।
मुजफ्फरपुर में वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति शहरवासियों में चिंता की बड़ी वजह बन गई है। लोगों का कहना है कि प्रशासन के स्तर पर बेहतर प्लानिंग और गंभीर प्रयास नहीं होने के कारण दिनोंदिन शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। देश के प्रदूषित शहरों की सूची में जिले का नाम शामिल है। पिछले पांच वर्षों में मुजफ्फरपुर में वायु प्रदूषण का ग्राफ चार प्रतिशत की दर से बढ़ा है। वर्तमान में जिले का औसत एक्यूआई 80 से 140 के बीच रह रहा है। बुद्धा कॉलोनी और एमआइटी दाउदपुर कोठी इलाके का एक्यूआई शहर में लगातार सबसे अधिक रहता है। बेला इंडस्ट्रियल एरिया के आसपास आवासीय परिसर में रह रहे लोगों को वायु प्रदूषण के कारण अधिक परेशानी हो रही है।
ब्रह्मपुरा, लक्ष्मी चौक, बैरिया बस पड़ाव, चांदनी चौक, भगवानपुर चौक से लेकर शहर के अन्य हिस्सों में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है। लोगों की शिकायत है कि निर्माण कार्यों में लगातार लापरवाही बरती जा रही है। ग्रीन घेरा नहीं लगाया जा रहा है। निर्माण वाले इलाकों में पानी का नियमित छिड़काव नहीं किया जा रहा है। पौधरोपण के नाम पर प्रशासन कोरम पूरा कर रहा है। पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा रही है, जिसके कारण ये सूख जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में डीजल ऑटो और जुगाड़ गाड़ियों पर प्रतिबंध है। इसके बाद भी लगातार ये गाड़ियां चल रही हैं। इनसे काफी धुआं निकलता है। इसके साथ मिलकर धूलकण लोगों को बीमार बना रहे हैं।
4% प्रतिवर्ष की दर से प्रदूषण बढ़ना चिंताजनक :
लक्ष्मी चौक इलाके में रहने वाले धर्मेंद्र कुमार व आदित्य कुमार कहते हैं कि प्रदूषण के कारकों के खिलाफ सख्ती और कार्रवाई जरूरी है। प्रशासन के लापरवाह रवैया के कारण शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। रिपोर्ट में चार प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से प्रदूषण का ग्राफ बढ़ने की बात कही गई है। यह शहरवासियों के लिए चिंताजनक है।
निर्माण स्थलों के पास ढंक कर नहीं रखते गिट्टी-बालू :
दीपक कुमार और मनीष कुमार ने कहा कि निर्माण स्थलों के आसपास मिट्टी, गिट्टी, बालू आदि सामग्रियां ढंकी नहीं रहने के कारण बड़ी मात्रा में यह उड़कर हवा में फैल जाती है। इसका उचित प्रबंधन होना चाहिए। इसे सड़क से हटाकर और ढंककर रखने की जरूरत है। साथ ही निर्माण स्थलों के पास ग्रीन घेरा लगाया जाना चाहिए, ताकि वहां से धूलकण नहीं उड़े। इन इलाकों में भारी गाड़ियों के परिचालन पर रोक लगनी चाहिए, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
बढ़ रहा प्रदूषण, घट रहा हरित क्षेत्र :
जिस तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, उस अनुपात में शहरी इलाके में हरित क्षेत्र का दायरा बढ़ने की बजाय घट ही रहा है। मानक के अनुसार 21 प्रतिशत हरित क्षेत्र होना चाहिए। सुमित झा, अर्जुन आदि का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर यदाकदा पौधरोपण तो किया जाता है, लेकिन उसके बाद पौधों की देखभाल नहीं होने से वे सूख जाते हैं। इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता।
महीने में 60 सिगरेट पीने के बराबर प्रदूषित हवा में सांस ले रहे शहरवासी :
एक्यूआई की रिपोर्ट के अनुसार शहर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर के कारण शहरवासी प्रतिदिन करीब दो सिगरेट और महीने की औसतन 51 से 60 सिगरेट के बराबर प्रदूषित हवा ग्रहण कर रहे हैं। इस कारण लोगों में अस्थमा, फेफड़े से संबंधित रोग, हृदय रोग, एलर्जी, कोल्ड फ्लू जैसी बीमारियां हो रही हैं। जो लोग पहले से इन बीमारियों से ग्रसित हैं, उनकी परेशानी और बढ़ गई है। ऐसे लोगों को एयर प्यूरिफायर, कार फिल्टर, मास्क के उपयोग और घर में रहने की सलाह इस रिपोर्ट में दी गई है। वायु प्रदूषण के कारण तेजी से बढ़ रही सांस संबंधित बीमारियों को लेकर स्थानीय डॉक्टर भी मास्क लगाने की सलाह देते हैं।
बोले जिम्मेदार :
वायु प्रदूषण नियंत्रण को लेकर विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। शहर से निकलने वाले कचरे, उन्हें जलाने से उत्पन्न हानिकारक गैस, निर्माण कार्यों के दौरान उड़ने वाले धूलकण के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। पर्षद की ओर से संबंधित विभागों को कहा गया है कि वे कचरा प्रबंधन प्रणाली विकसित करें। निर्माण स्थलों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव करें और सड़क के दोनों ओर मिट्टी न रहे, इसको लेकर नियमित रूप से साफ-सफाई कराएं। टूटी सड़कों की मरम्मत और पेड़-पौधे लगाने के लिए भी संबंधित विभागों को निर्देश दिया जा रहा है।
- संपूर्णानंद ठाकुर, क्षेत्रीय पदाधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, मुजफ्फरपुर
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