लोग झेल रहे समस्याओं की मार, सड़क और नाले का टेंडर लेकर ठेकेदार फरार
मुजफ्फरपुर का वार्ड नंबर 38 कई समस्याओं से जूझ रहा है। यहां की सड़कों और नालों का निर्माण दो साल से रुका हुआ है। मोहल्ले में पेयजल, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा की कमी है। लोग रोजाना कठिनाइयों का सामना...
मुजफ्फरपुर। शहर का वार्ड नंबर 38 कई समस्याओं से घिरा है। करीब 20 हजार की आबादी वाला यह वार्ड अमर सिनेमा रोड महाराजी पोखर से लेकर चकबासू व आसपास के इलाके को समेटे हुए है। यहां दो सड़कों व नाले के निर्माण का टेंडर हुए दो साल से अधिक हुए, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ। जिस ठेकेदार ने टेंडर लिया, उसका कोई अता-पता नहीं है। वार्ड पार्षद की ओर से नगर आयुक्त को ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करने को लेकर पत्र लिखा गया है। इसके बाद भी अब तक न तो उसे काली सूची में डाला गया और न निर्माण कार्य शुरू करने की पहल हुई।
यहां की अधिकतर नालियां टूटी हैं। इसका गंदा पानी सड़क पर बहता रहता है। मोहल्ले के लोग रोज कठिनाई से जूझ रहे हैं। वार्ड स्थित चकबासू मोहल्ले में महादलितों की आबादी सबसे अधिक है। इस मोहल्ले में नगर निगम के स्टाफ का निवास स्थान है, जिनमें ज्यादातर सफाईकर्मी हैं। इस मोहल्ले में नगर निगम की ओर से स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे यहां रहने वाले लोगों को सदर अस्पताल या निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। मोहल्ले में प्राइमरी विद्यालय भी नहीं है। इससे यहां रहने वाले गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत होती है। बगलामुखी मंदिर के निकट नाले का स्लैब टूटा हुआ है, जिससे सड़क पर नाले का गंदा पानी बहता रहता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि कच्ची सराय में ठेकेदार आधा-अधूरा नाला व सड़क बनाकर भाग गया। हाथी चौक के निकट के मोहल्ले के लोग पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। पेयजल के लिए योजना पारित है, लेकिन इसमें आरसीडी बाधा बना हुआ है। आरसीडी की ओर से रोड काटने की अनुमति नहीं मिल रही है। इससे इस योजना पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है। इसका नतीजा है कि मोहल्ले के लोग पेयजल को लेकर काफी परेशानी झेल रहे हैं।
अंधेरे में रहता है हाथी चौक से गोशाला रोड :
हाथी चौक से गोशाला जाने वाली सड़क का नवनिर्माण तो हुआ, लेकिन रात में यह मार्ग अंधेरे में डूबा रहता है। इस रोड में स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। मोहल्ले में कुछ स्ट्रीट लाइटें लगी हुई हैं, हालांकि इनकी संख्या पर्याप्त नहीं है। इससे कई स्थानों पर शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वार्ड में बनाए गए सामुदायिक शौचालय भी बदहाल हैं। वर्षों से इनकी मरम्मत नहीं हुई है। इससे आसपास के लोगों को काफी परेशानी होती है। कई बार इसकी शिकायत जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों से की गई। इसके बदले बस आश्वासन ही मिला। क्रिश्चन कॉलोनी स्थित कब्रिस्तान के कर्मी के सेवानिवृत होने के बाद नगर निगम की ओर से नई बहाली नहीं की गई, जिससे शवों को दफनाने को लेकर इस समुदाय के लोगों को परेशानी होती है।
नाम में मामूली अंतर से वृद्धों की रुकी हुई है पेंशन :
वार्ड के वृद्धों को पेंशन को लेकर परेशानी है। उनके आधार कार्ड व पेंशन के कागजात में नाम के वर्ण में मामूली अंतर है। इससे लगभग दो साल से उन्हें वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही है। वे सरकारी दफ्तरों से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कार्यालय तक चक्कर लगा रहे हैं। वार्ड में ऐसे वृद्धों की संख्या सौ से अधिक है। इन्होंने बताया कि आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। पेंशन की राशि बहुत बड़ा सहारा है। वार्ड में आने वाले हर अधिकारी से वे अपनी पेंशन के बारे में ही पूछते रहते हैं। वहीं प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत मकान निर्माण की राशि भी लाभुकों को नहीं मिल रही है। इससे मकान निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। वार्ड के अन्य इलाकों में भी बुनियादी सुविधाओं की किल्लत है। स्थानीय लोगों की अपेक्षा है कि नगर निगम प्रशासन मोहल्लों की समस्याओं को गंभीरता से ले, ताकि परेशानी न हो।
बोले जिम्मेदार :
सरकार से जो भी फंड मिलता है, उससे वार्ड में विकास कार्य किया जाता है। एके दास गली में सड़क और नाला निर्माण को लेकर पांच लाख का टेंडर हुआ है। इस पर जल्द ही काम शुरू होगा। सड़क और नाला निर्माण की दो योजनाओं का दो साल पहले टेंडर हुआ, मगर इसके बाद ठेकेदार ही भाग गया। उसे ब्लैक लिस्टेड करने और दोबारा टेंडर निकालने को लेकर नगर आयुक्त को पत्र लिखा गया है। वार्ड में अधिकतर सड़कें और नाले बने हुए हैं।
-शबाना परवीन, पार्षद, वार्ड 38
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