गुरुदेव का काव्य भारतीय संस्कृति का सम्मिलन स्थल : प्रो. सुधा
मुजफ्फरपुर में हिंदी विभाग द्वारा रवींद्रनाथ ठाकुर की जयंती पर संगोष्ठी एवं काव्य-पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन गुरुदेव की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। प्रो. कल्याण...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की जयंती पर शुक्रवार को हिंदी विभाग के सरस्वती सभागार में ‘रवींद्रनाथ की प्रासंगिकता विषय पर संगोष्ठी एवं काव्य-पाठ हुआ। बीआरएबीयू के हिंदी व बांग्ला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुए कार्यक्रम का प्रारंभ गुरुदेव की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। हिंदी विभाग के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ प्रभारी एवं आइक्यूएसी निदेशक प्रो. कल्याण कुमार झा ने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि रवींद्रनाथ ठाकुर भारतीय जातीय संगीत के रचयिता रहे हैं। विभाग की अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सुधा कुमारी ने गुरुदेव की प्रासंगिकता को बताया। कहा कि उन्होंने भारतीय परंपरा का नवीनीकरण किया। वह संस्कृत, वैष्णव और बौद्ध साहित्य को आत्मसात कर नया रचने के लिए साहित्य जगत में आए थे।
कहा कि उनका काव्य भारतीय संस्कृति का सम्मिलन स्थल है। इस दौरान दोनों विभागों के अनेक विद्यार्थियों ने काव्य-पाठ किया। इनमें मो. जावेद, ईश्वर चंद, स्नेहा, मोहित, मनीष, पप्पू, शिवम, अजीता, सुष्मिता, श्यामसुंदर, प्रीति, पल्लवी, शिल्पी, पवन के नाम मुख्य थे। मौके पर हिन्दी विभाग की प्राध्यापक प्रो. कुमारी आशा, सहायक प्राध्यापक डॉ. राकेश रंजन, डॉ. सुशांत कुमार, डॉ. उज्ज्वल आलोक, डॉ. साक्षी शालिनी, बांग्ला विभाग के डॉ. तारक पुरकायत, डॉ. सुनंदा मंडल, किरणबाला रविदास ने विचार व्यक्त किए। संचालन हिंदी विभाग के छात्र मो. जावेद व ईश्वर चंद और धन्यवाद स्नेहा कुमारी ने किया।
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