हिसुआ : वार्ड 13 के महादलितों को नहीं मिल रहा सरकारी लाभ
हिसुआ, संवाद सूत्र। हिसुआ नगर परिषद का वार्ड 13 पूर्णतः नवोदित वार्ड है, जिसका गठन हाल ही में नगर परिषद के विस्तार के वक्त किया गया है।

हिसुआ, संवाद सूत्र। हिसुआ नगर परिषद का वार्ड 13 पूर्णतः नवोदित वार्ड है, जिसका गठन हाल ही में नगर परिषद के विस्तार के वक्त किया गया है। पूर्व में यह वार्ड नरहट प्रखंड की पालीकला पंचायत का हिस्सा था और यह छोटी पाली गांव के नाम से जाना जाता था, जिसे नए परिसीमन के तहत हिसुआ नगर परिषद में शामिल कर दो वार्ड का गठन कर दक्षिणी भाग को वार्ड 13 और उत्तरी भाग को वार्ड 11 का रूप दिया गया है। वार्ड 11 के बगल से ही उत्तरी छोर पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 82 बोधगया-राजगीर फोरलेन सड़क गुजरी है, जबकि वार्ड संख्या 13 के दक्षिणी छोर से होकर गुजरा पूर्व मध्य रेलवे दानापुर मंडल का प्रमुख रेल मार्ग गुजरा है। किउल-गया और राजगीर-कोडरमा रेलखंड यहां से गुजरती है। नवादा जिले के एकमात्र जंक्शन तिलैया जंक्शन का नया भवन भी अब इसी वार्ड का हिस्सा है, जहां नित्य दिन हजारों यात्री ट्रेन पकड़कर अपने गंतव्य की ओर रवाना होते हैं। जिले के अतिमहत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन होने के कारण इस वार्ड में लोगों की गतिविधियां चौबीसों घंटे जारी रहता है। रेलवे स्टेशन आने-जाने के लिए हिसुआ विश्वशांति चौक से लेकर जंक्शन तक सड़क बनी हुई है, जो स्टेशन रोड के नाम से जानी जाती है। जबकि हिसुआ शहर के पश्चिमी छोर पर बसे दर्जनों गांव के लोग कम दूरी पड़ने के कारण आज भी छोटी पाली होकर आते-जाते हैं। इस कारण इस गांव और वार्ड की गलियां दिन और रात हर वक्त लोगों के आवागमन से गुलजार रहती है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि रेलवे स्टेशन आने-जाने वाली गलियों में न तो रात के अंधेरे से बचने के लिए स्ट्रीट लाईट का प्रबंध कहीं है और न ही भीषण तपती गर्मी में गले की प्यास बुझाने के लिए प्याऊ की व्यवस्था के अलावा शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएं हैं। स्थानीय वार्ड वासियों को इस बात का सबसे बड़ा मलाल है कि वार्ड के बंटवारे में उनके वार्ड के हिस्से कुछ नहीं आया जबकि उसी गांव के गठित दूसरे वार्ड 11 में बेहतर शिक्षा के लिए प्राथमिक और मध्य विद्यालय के साथ ही दो-दो आंगनबाड़ी केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र स्थापित है। जबकि वार्ड 13 के हिस्से सिर्फ दो आंगनबाड़ी केंद्र है, वह भी सरकारी जमीन के आभाव में भवन विहीन है। वार्ड की आबादी लगभग 5 हजार के करीब वार्ड की आबादी लगभग 5 हजार के करीब है जबकि मतदाताओं कि संख्या 17 सौ के आसपास है। सीमांकन के लिहाज से देखा जाय तो वार्ड दक्षिण में रेलवे लाईन के उस पार बसे बड़ी पाली गांव के समीप से लेकर उत्तर दिशा में तिलैया बिगहा तक फैला है। जबकि पूरब में इसका सीमांकन स्टेशन रोड से लेकर पश्चिम में तमसा नदी तक है। यह वार्ड आज भी नरहट थाना क्षेत्र और रजौली पुलिस अनुमंडल में शामिल है, जबकि स्थानीय लोग काफी अर्से से दूरी और परेशानी के लिहाज से इसे हिसुआ थाना क्षेत्र और हिसुआ पुलिस अनुमंडल में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जिसे आजतक पूरा नहीं किया जा सका है। नलजल की व्यवस्था ठीकठाक नगर परिषद के इस वार्ड के भीतर जहां बाकी बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं, वहीं इस वार्ड में नलजल की सुविधा ठीकठाक दिखाई देती है। नलजल से नियमित आपूर्ति के लिए रेलवे लाईन के उस पार दक्षिण दिशा में बसे महादलित टोले में एक बोरिंग उपलब्ध है, जबकि रेलवे लाईन के इस पार दक्षिण दिशा में एक दो नहीं बल्कि तीन-तीन बोरिंग उपलब्ध है, जहां से नियमित वार्ड के प्रत्येक घरों तक पानी की सप्लाई की जाती है। पाईप लीकेज की समस्या भी यहां अन्य वार्डो की तुलना में कम दिखाई पड़ता है। वार्ड के विकास गति की बात की जाय तो नगर परिषद के अन्य वार्डों के तरह यहां भी विकास कार्य तीव्र गति से नहीं हुआ है। हालांकि स्थानीय वार्ड पार्षद के कार्यों और वार्ड के विकास के लिए जारी उनके कार्यों पर स्थानीय वार्डवासी संतोष जताते हैं। लोग अपने वार्ड पार्षद से काफी उम्मीद लगा कर रखते हैं। स्ट्रीट लाईट नहीं रहने से फैला रहता है अंधेरा इस वार्ड के लोगों को सबसे ज्यादा इस बात का मलाल है कि जिले का एकमात्र रेलवे जंक्शन होने के बावजूद भी तिलैया जंक्शन के आसपास बुनियादी सुविधाओं का घोर आभाव है। सबसे ज्यादा खतरा जर्जर स्थिति में पहुंच चुके स्टेशन रोड के बीचोबीच बने गड्ढे से उत्पन्न होता है, जहां आए दिन दुर्घटनाऐं होती रहती है। खासकर रात के अंधेरे में सड़क किनारे और सड़क के बीचोबीच बने बड़े-बड़े गड्ढे से अधिक खतरा बना रहता है। स्थानीय लोग स्टेशन रोड के नवनिर्माण के साथ ही सड़क किनारे और जंक्शन के समीप स्ट्रीट लाईट लगाने की मांग लम्बे अर्से से करते आ रहे हैं, जिसपर न ही रेलवे प्रशासन और न ही नगर परिषद प्रशासन ध्यान देना जरूरी समझ रहा। तिलैया जंक्शन पर जल्द बुनियादी सुविधा हो बहाल अपना दर्द बयां करते हुए स्थानीय लोग कहते हैं कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे दिवंगत अटल बिहारी बाजपेई और तत्कालीन रेल मंत्री रहे वर्तमान मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल के दौरान तिलैया स्टेशन को जंक्शन का दर्जा प्राप्त हुआ था, लेकिन जिस तीव्र गति से स्टेशन का विकास और हिसुआ-कोडरमा रेलवे लाईन का निर्माण होना चाहिए था, वह नहीं हुआ। इसके लिए लोग यहां से जीतकर गए सांसदों को जिम्मेदार मानते हैं, जिन्होंने चुनाव के वक्त विकास कि बातें कहते हुए झोली फैलाकर लोगों का वोट हासिल किया लेकिन जीतने के बाद इसके विकास के प्रति रूचि नहीं दिखाई। उदाहरण देते हुए लोगों नें कहा कि इसके कई वर्षों बाद बने नवादा रेलवे स्टेशन का लगभग पूर्णतः विकास हो गया है। वर्तमान प्रतिनिधि जितनी संजीदगी नवादा-बिहार शरीफ रेलवे लाईन के प्रति दिखा रहे हैं, उतनी तिलैया-कोडरमा रेलखंड के निर्माण और तिलैया जंक्शन के विकास के प्रति रूचि नहीं ले रहे हैं। वर्षो पूर्व बने नए स्टेशन भवन में बिजली और पंखे की भी व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि सुरक्षा के लिहाज से जंक्शन परिसर में बाउंड्री वॉल भी नहीं है, इस कारण यहां आने-जाने वाले यात्री खुद को काफी असुरक्षित महसूस करते हैं। महादलित आज भी सरकारी लाभ से हैं वंचित इस वार्ड की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहां के आज भी सैकड़ों घरों के महादलित सरकारी लाभ से वंचित हैं। उन्हें किसी प्रकार कि सरकारी स्तर से लाभ नहीं मिल सका है, जिससे उनकी स्थिति दिनों-दिन बद से बदतर होती जा रही है। स्थानीय वार्ड पार्षद ने महादलितों के दर्द बयां करते हुए कहा कि रेलवे लाईन के उसपार दक्षिण दिशा में महादलित समुदाय के सैकड़ों लोगों का आशियाना है। लेकिन दुर्भाग्य इस बात कि है कि जीस जगह पर ये लोग बसे हुए हैं, उसे कुछ लोग अपना जमीन बताकर इसे विवादित कर दिए हैं। मामला न्यायालय में लंबित है, जिसके फैसले का इंतजार यहां के स्थानीय महादलित समुदाय के लोगों को है। फिलहाल इन्हें आवास योजना, बेहतर नाली और गली, शौचालय सहित स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र का लाभ नहीं मिल पा रहा है। लोगों की व्यथा: सभी का फोटो नाम से वार्ड में विकास गति की तीव्रता नहीं दिखाई देती है। हिसुआ सहित कई अन्य जगहों से लोग ट्रेन पकड़ने तिलैया जंक्शन आते हैं। स्टेशन आने-जाने वाले रास्ते में प्याऊ का निर्माण होना आवश्यक है। महादलित टोला में किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं कराया जाना नगर परिषद की लापरवाही है। -दीपू कुमार, वार्डवासी। जंक्शन के आसपास शाम ढलते हीं अंधेरा छा जाता है। स्टेशन परिसर में बाउंड्री वॉल भी नहीं है, जिससे रात्रि के वक्त महिलाएं खुद को असहज और असुरक्षित महसूस करती है। लोगों को जंक्शन तक आने-जाने के लिए बेहतर सड़क और लाईट की व्यवस्था चाहिए। -अखिलेश कुमार, वार्डवासी। रेलवे लाईन के उस पार दक्षिण दिशा में बसे महादलितों को किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं दी जाती है। यहां के महादलित बद से बदतर स्थिति में जिंदगी जीने को मजबूर हैं। हमें भी बेहतर नाली-गली, सड़क और विद्यालय चाहिए। सभी मूलभूत सुविधा से आखिर कब तक हम वंचित रहें। -राकेश कुमार, वार्डवासी। स्टेशन रोड की जर्जर सड़कें हर वक्त दुर्घटनाओं को आमंत्रित करती रहती है। कई दुर्घटनायें होने के बावजूद भी स्टेशन रोड की मरम्मत नहीं कराया जाना रेलवे और नगर परिषद की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। इसके साथ ही इस वार्ड के महादलित टोला में भी विकास कार्य कराने की ओर वार्ड पार्षद को ध्यान देना होगा। -पंकज कुमार, वार्डवासी। क्या कहते हैं जिम्मेदार: मैं यह स्वीकार करता हूं कि जिस रफ्तार से वार्ड में विकास कार्य होना चाहिए, उतनी तीव्रता से नहीं हुआ है। फिर भी अपने प्रयास से नाली-गली और पेवर ब्लॉक बिछाने का कार्य कराया हूं। स्टेशन परिसर पर स्ट्रीट लाइट खराब रहने से लोगों में आक्रोश है। कई दफा रेल अधिकारियों से लाइट लगाने का गुहार लगा चुका हूं, जिसपर आजतक अमल नहीं किया जाना रेलवे प्रशासन की लापरवाही है। स्टेशन परिसर में बाउंड्री वॉल सहित कई अन्य सुविधाएं नदारद है, जिसपर रेल प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है। रेलवे लाईन के पार दक्षिण दिशा में बसे महादलितों को खुद की भूमि उपलब्ध नहीं होना बहुत ही गंभीर समस्या है। फिलहाल अभी जिस जगह पर वह लोग रह रहे हैं, वह विवादित भूमि है, जिसका वाद अभी न्यायालय में लंबित है। खुद की जमीन उपलब्ध नहीं होने से आवास योजना, नाली और पक्की गली का निर्माण सहित अन्य सुविधाएं उन्हें नहीं मिल पाती है। हालांकि इसके वह वाजिब हकदार हैं। सरकारी जमीन नहीं होने के कारण ही आजतक आंगनबाड़ी केंद्र भवन विहीन बना हुआ है। - पंकज कुमार, स्थानीय वार्ड पार्षद, वार्ड 13, हिसुआ नगर परिषद, नवादा।
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