महामंडल विधान का चतुर्थ पूजन कर सिद्ध प्रभु के चरणों में अर्पित किए 64 अर्घ्य
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नौ दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति यज्ञ के दौरान चौथे दिन बुधवार को श्री सिद्धचक्र विधान के चतुर्थ पूजन का परंपरागत धार्मिक माहौल में मंत्रोच्चार के...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नौ दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति यज्ञ के दौरान चौथे दिन बुधवार को श्री सिद्धचक्र विधान के चतुर्थ पूजन का परंपरागत धार्मिक माहौल में मंत्रोच्चार के साथ आयोजित किया गया। चतुर्थ दिवस पर जिला मुख्यालय स्थित दिगम्बर जैन मंदिर परिसर में विश्व शांति एवं प्राणिमात्र के कल्याणार्थ आयोजित इस परम पावन अनुष्ठान का शुभारंभ यंत्राभिषेक, जिनाभिषेक एवं महाशांति धारा के बाद अष्ट द्रव्य से देव शास्त्र गुरू की पूजा से हुई। तदुपरांत जैन धर्मावलंबियों ने पूरे भक्तिभाव के साथ श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का चतुर्थ पूजन कर सिद्ध प्रभु के चरणों में 64 अर्घ्य समर्पित किए।
प्रसिद्ध दिगम्बर जैन संत श्रमण मुनि 108 श्री विशल्य सागर जी महाराज की मंगल प्रेरणा से आयोजित इस सर्व मंगलकारी अनुष्ठान में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। सर्व मंगलकारी मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा है। अम्बाह (मध्य प्रदेश) निवासी पं. महेंद्र जैन शास्त्री के कुशल निर्देशन में यह अनुष्ठान हो रहा है। संध्या समय मंगल महाआरती एवं भक्ति संध्या का आयोजन हुआ। धार्मिक संगीत मंडली की भक्तिमय प्रस्तुति पर श्रद्धालुओं ने भक्तिगंगा में खूब डुबकी लगाई। इस धार्मिक अनुष्ठान में स्थानीय जैन समाज के दीपक जैन, अभय बड़जात्या, उदय बड़जात्या, जय कुमार छाबड़ा, अशोक कुमार जैन, मनोज काला, प्रदीप सेठी, महेश जैन, सुरेश काला, विकास काला, भीमराज गंगवाल, लक्ष्मी जैन, सुनीता बड़जात्या, चंदा बड़जात्या, मंजू बड़जात्या, संतोष पांड्या, सुषमा जैन, प्रेमलता काला, शीला जैन, संतोष छाबड़ा, श्रुति जैन, श्रेया जैन, गहना बड़जात्या, राशि जैन, नैंसी जैन, अनिता जैन, रिया काला एवं टुनकी बड़जात्या सहित भारी संख्या में स्थानीय जैन समाज से जुड़े महिला-पुरूषों ने अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की। ●बालिकाओं में मुनिश्री को आहार देने को लेकर दिखा भारी उत्साह श्री दिगम्बर जैन मंदिर परिसर में विराजमान श्रमण मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी महाराज को आहार देने को लेकर स्थानीय जैन बालिकाओं में भारी उत्साह दिखा। संघस्थ पधारे मुनिश्री को पूरे विधि-विधान व भाव सहित आहार देने में जैन समाज की बालिका श्रुति जैन, श्रेया जैन, रिया काला, गहना बड़जात्या, राशि जैन, गहना जैन व नैंसी जैन ने सक्रिय भूमिका निभाई। ----------------------- इनसेट: संतानों को कार नहीं, संस्कार देने की जरूरत: विशल्य सागर नवादा। श्रमण मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी महाराज ने कहा है कि वर्तमान में लोग भगवान की भक्ति भावना से नहीं, बल्कि कामना की पूर्ति के लिए कर रहे हैं। यही कामना मानव को सांसारिक दुःखों से ग्रसित करती है और मानव इन्हीं सांसारिक दुःखों के भंवर में फंसकर अपना बेड़ा गर्क कर लेता है। मुनिश्री ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। मुनिश्री ने कहा कि भगवान की भक्ति निष्काम भाव से करनी चाहिए। कामनारहित हो निष्काम भाव से की गई भगवान की भक्ति भक्त को भगवत्व के पथ पर अग्रसर करता है। संस्कार के आभाव में बच्चों के चरित्र का निर्माण नहीं हो रहा, जिसकी वजह से वे अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कार के आभाव में संस्कृति को सुरक्षित रखने की परिकल्पना करना बेमानी है। उन्होंने आह्वान किया कि अपनी संतान को कार नहीं, संस्कार दें एवं अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया में अपना सक्रिय योगदान दें। अपने उद्बोधन के दौरान मुनिश्री विशल्य सागर जी महाराज ने ब्रह्मचर्य आश्रम,गृहस्थ आश्रम व सन्यास आश्रम का सारगर्भित विश्लेषण के साथ ही श्री सिद्ध चक्र विधान एवं णमोकार महामंत्र की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर पूज्य माता जी क्षुल्लकश्री एवं ब्रह्मचारिणी भारती बहन व अलका बहन के साथ ही भारी संख्या में स्थानीय जैन धर्मावलम्बी उपस्थित थे।
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