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अब राह नहीं भटकेगी आपकी चिट्ठी, डिजिपिन बताएगा सही पता; इसरो और आईआईटी ने तैयार किया है

हर ग्रिड को 10 डिजिट का एक अल्फान्यूमेरिक कोड दिया गया है। इसी कोड को डिजिपिन का नाम दिया गया है।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, अजय कुमार पांडेय, मुजफ्फरपुरMon, 2 June 2025 10:42 AM
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अब राह नहीं भटकेगी आपकी चिट्ठी, डिजिपिन बताएगा सही पता; इसरो और आईआईटी ने तैयार किया है

डाक विभाग से जुड़े डाकिया अब आपके पत्रों को सही पते तक पहुंचाने में कोताही नहीं कर सकेंगे। इसके लिए विभाग ने सेटेलाइट तकनीक और जियो लोकेशन पर आधारित हर घर के लिए विशेष डिजिटल पिन तैयार किया है। इससे चिट्ठियों और डाक पार्सलों को सही पते पर पहुंचाने में कोई गलती नहीं होगी। इसरो और आईआईटी हैदराबाद ने इसे तैयार किया है। नई तकनीक का प्रयोग करते हुए जिले में जुलाई महीने से डाक पत्रों के वितरण करने की तैयारी में डाक विभाग जुट गया है।

पीएमजी पवन कुमार सिंह ने बताया कि डाक वितरण की इस डिजिटल योजना को एड्रेस एज अ सर्विस (आस) नाम दिया गया है। इसमें सेटेलाइट की सहायता से हर घर की मैपिंग की गई है। इसकी प्रभाव क्षमता को बढ़ाने के लिए अक्षांश व देशांतर को शामिल करते हुए चार मीटर बाई चार मीटर क्षेत्र का एक ग्रिड तैयार किया गया है। हर ग्रिड को 10 डिजिट का एक अल्फान्यूमेरिक (एबीसी123 जैसा) कोड दिया गया है। इसी कोड को डिजिपिन का नाम दिया गया है। बताया कि आपके पते की पहचान केवल साल 1972 में शुरू पोस्टल इंडेक्स नंबर (पिन) कोड से ही नहीं, बल्कि इस डिजिटल पिन (डिजिपिन) से भी होगी।

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जीएनएसएस सुविधा वाला एप विभाग ने तैयार किया

डिजिपिन की जानकारी के लिए ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) सुविधा वाले डिवाइस की जरूरत होगी। विभाग ने जीएनएसएस सुविधा वाला वेब पोर्टल और एप तैयार किया है। अभी इसका बीटा वर्जन जारी किया गया है। एप में कोई लॉगइन करने की जरूरत नहीं होगी। सरकारी सेवाओं की डिलिवरी में भी डिजिपिन की मदद ली जा सकेगी।

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आईआईटी हैदराबाद व इसरो की मदद से तैयार हुई डिजिपिन

डाक महाध्यक्ष सिंह ने बताया कि विभाग ने इस डिजिपिन को तैयार करने में आईआईटी हैदराबाद, इसरो और शहरी विकास मंत्रालय की मदद ली है। इसमें डाकिया को पत्र या पार्सल डेलिवर करने वाले घर तक पहुंचने में आसानी होगी। वह हेंड हेल्ड मशीन या अपने मोबाइल फोन की मदद से पते में दर्ज डिजिपिन के अक्षांश और देशांतर की मदद से बिना किसी से पूछे पहुंच जाएंगे। अभी किसी पते में मकान नंबर, गली, ब्लॉक आदि इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए कई बार डिलिवरी में परेशानी होती है। लेकिन जियो लोकेटेड एड्रेस कोड होने से पते की सटीक जानकारी मिलेगी। इससे सिर्फ डाक पहुंचाने में ही नहीं, आपात स्थिति में बचाव कार्य में भी मदद मिलेगी

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