कोसी-सीमांचल में कांग्रेस को अधिक सीट मिलनी चाहिए, महागठबंधन की बैठक से पहले बोले सांसद पप्पू यादव
- पटना में गुरुवार को महागठबंधन में शामिल घटक दलों की अहम बैठक भी होनी है। लेकिन इस बैठक से पहले पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने बड़ी मांग रखी है। पप्पू यादव ने कहा है कि कोसी और सीमांचल क्षेत्र में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए।
बिहार में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और राजद समेत अन्य घटक दलों ने मजबूती के साथ उतरने की बात कही है। पटना में गुरुवार को महागठबंधन में शामिल घटक दलों की अहम बैठक भी होनी है। ऐसी उम्मीद है कि इस बैठक में महागठबंधन में शामिल दलों के बीच बिहार चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हो सकती है। लेकिन इस बैठक से पहले पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने बड़ी मांग रखी है। पप्पू यादव ने कहा है कि कोसी और सीमांचल क्षेत्र में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए।
पप्पू यादव ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कोसी-सीमांचल का राजनीतिक परिदृश्य ऐसा है कि यहां बिना जाति-धर्म की राजनीति होती है जो कांग्रेस की होती है। लोग यहां विकास, सामाजिक न्याय और स्थिरता को प्राथमिकता देते और इस विचारधारा में कांग्रेस बिल्कुल फिट फैलती है। इसीलिए सीमांचल-कोसी में अधिक सीट कांग्रेस को मिलनी चाहिए। ताकि हम एनडीए को सीमांचल-कोसी में हरा सकें। पप्पू यादव ने कहा कि अगर एनडीए को कोसी-सीमांचल में हराना है तो कांग्रेस को यहां अधिक सीटें मिलनी चाहिए।
सीमांचल को लेकर कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यहां कि कुल 24 सीटें महागठबंधन के लिए सत्ता तक पहुंचने की एक बड़ी सीढ़ी बन सकती है। एक वक्त था जब सीमांचल कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन धीरे-धीरे इस इलाके पर कांग्रेस की पकड़ कम होती गई। कहा जाता है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने एमवाई समीकरण के जरिए कोसी-सीमांचल की सीटों को बहुत ही अच्छे से साधा था। हालांकि, साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां राजद का रथ भी रुक गया और आरजेडी को इस चुनाव में इस इलाके की सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी।
सीमांचल की चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज की 24 विधानसभा सीटें किसी भी पार्टी के लिए बेहद खास महत्व रखती हैं। इसी तरह कोसी की सहरसा, मधेपुरा और सुपौल की 13 विधानसभा सीटें भी सभी राजनीतिक दलों के लिए बेहद मायने रखती हैं।