साहित्य सम्मेलन में नृत्य-गीत-संगीत के साथ मना आनंदोत्सव
सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने आनंदोत्सव-2025 का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के आंदोलन को बल मिल रहा है। समारोह में कई...

सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने साहित्य सम्मेलन में आयोजित आनंदोत्सव-2025 का उद्घाटन किया। मौके पर उन्होंने कहा कि हिन्दी को देश की राष्ट्रभाषा बनाए जाने के आंदोलन को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से प्रचुर बल मिल रहा है। सम्मेलन की ओर से विगत वर्षों में आयोजित हुए महाधिवेशनों के माध्यम से इस आंदोलन का आरंभ हुआ और अब यह राष्ट्रीय-स्तर पर गंभीर चिंतन का विषय बन चुका है। इससे आशा बंधती है कि हिन्दी शीघ्र ही भारत की राष्ट्रभाषा घोषित होगी। 43वें महाधिवेशन की सफलता के उपलक्ष्य में आयोजित इस आनंदोत्सव में पूर्व राज्यपाल ने सम्मेलन की कार्यसमिति और अधिवेशन की स्वागत समिति के सदस्यों विदुषी आचार्या कृष्णा सिंह की स्मृति में 'सम्मेलन-गौरव', 'सम्मेलन मार्तंड ',सम्मेलन-सिरध्वज', 'सम्मेलन-सुधा', 'सम्मेलन-प्रभा' और 'सम्मेलन-प्रकाश' उपाधियों से सम्मानित किया। समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि जिस प्रकार एक परिवार की सुरक्षा और उसके विकास के लिए एक भाषा आवश्यक है। अध्यक्षता सम्मेलन-अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि विगत एक दशक में आयोजित हुए सम्मेलन के महाधिवेशनों से संपूर्ण भारतवर्ष में एक बार फिर से हिन्दी के प्रति नयी चेतना के साथ नूतन उत्साह उत्पन्न हुआ है। उन्होंने जयंती पर पद्मश्री अलंकरण से विभूषित हास्य-व्यंग्य के सुप्रसिद्ध कवि डॉ रवींद्र राजहंस तथा विदुषी आचार्या कृष्णा सिंह को भी श्रद्धापूर्वक स्मरण किया, जिनकी स्मृति में सभी साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। डॉ. कुमार अरुणोदय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह उत्सव उनके सम्मान के लिए आयोजित किया गया है, जिन्होंने सम्मेलन के विगत अधिवेशन को राष्ट्रव्यापी बनाने में अपना पूरा मन-प्राण लगाया। इस अवसर पर डॉ. पुष्पा जमुआर की दो पुस्तकों 'मगही पुष्प मधु' तथा 'शब्द मुखर हो उठे' का लोकार्पण भी किया गया। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पांडेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डॉ. कल्याणी कुसुम सिंह ने किया।
इन्हें मिला सम्मान: पूर्व राज्यपाल ने सम्मेलन-कर्मियों को भी 'सम्मेलन-सेवी' उपाधि प्रदान की। सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष जियालाल आर्य, डॉ. उपेंद्रनाथ पांडेय, डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. मधु वर्मा, डॉ. कल्याणी कुसुम सिंह तथा सम्मेलन के 93 वर्षीय प्रधानमंत्री डॉ. शिववंश पांडेय को 'सम्मेलन-गौरव-सम्मान', डॉ. पुष्पा जमुआर, डॉ. पूनम आनन्द, डॉ. शालिनी पांडेय, डॉ. पल्लवी विश्वास, आराधना प्रसाद, डॉ. सुमेधा पाठक, डॉ. अर्चना त्रिपाठी, सागरिका राय, शमा कौसर 'शमा'तथा चंदा मिश्र को 'सम्मेलन-सुधा', डॉ. ध्रुव कुमार, आरपी घायल, बच्चा ठाकुर, कुमार अनुपम, श्याम बिहारी प्रभाकर, ई. अशोक कुमार, प्रो. सुशील कुमार झा, बांके बिहारी साव, कृष्ण रंजन सिंह, डॉ. मनोज गोवर्द्धनपुरी, ई. आनन्द किशोर मिश्र, जय प्रकाश पुजारी व अन्य को विभिन्न उपाधियों से सम्मानित किया गया।
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