खुद बीमार है PMCH, इलाज तो बाद की बात; किससे, क्या, कैसे तक नहीं बता पा रही वेबसाइट
मुजफ्फरपुर की रेप पीड़िता दलित बच्ची की इलाज के बिना मौत से बदनामी के नए आरोप झेल चल रहा पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) खुद ही बहुत बीमार है। पीएमसीएच वेबसाइट पर किससे, क्या और कैसे जैसी जानकारी ही नहीं है।
मुजफ्फरपुर की दलित रेप पीड़िता की बिना इलाज के मौत से पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) की बदनामी का नया दौर चल रहा है। पीएमसीएच में घंटों इंतजार और इलाज हाथ से निकलने के बाद भर्ती की गई 9 साल की बच्ची की मौत से विपक्षी आंदोलित हैं और इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को कोस रहे हैं। सड़क से राजभवन तक प्रदर्शन और मार्च चल रहा है। चार महीने बाद विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये मामला अब ठंडा होता दिख नहीं रहा। दलितों के बड़े बड़े नेता चिराग पासवान और जीतनराम मांझी एनडीए में हैं। कांग्रेस ने जब दोनों की चुप्पी पर सवाल उठाया तो चिराग ने नीतीश को चिट्ठी लिखी है। सरकार ने मुजफ्फरपुर से लेकर पटना तक स्वास्थ्य और पुलिस विभाग में कुछ ऐक्शन लिया है।
यूट्यूबर एक्टिविस्ट मनीष कश्यप की पीएमसीएच में डॉक्टरों द्वारा पिटाई की चर्चा थमी भी नहीं थी कि इस केस ने बिहार के 100 साल पुराने और सबसे बड़े अस्पताल में अराजकता की हद तक फैली अव्यवस्था को सबसे सामने ला दिया है। प्रशासनिक लापरवाही ऐसी है कि पीएमसीएच खुद ही बीमार दिख रहा है। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल की वेबसाइट पर एक मरीज को कोई भी काम की जानकारी नहीं मिल सकती। वेबसाइट है लेकिन नाम का। साइट के ज्यादातर सेक्शन में कोई सूचना नहीं है, कोई पेज नहीं खुलता। विभागों की लिस्ट वाले पेज पर विभाग चाहे कोई भी हो, सबके आगे किसी वार्ड का एक ही फोटो लगा है।
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पीएमसीएच की साइट खोलने पर जो पेज खुलता है, उसमें ओपीडी, इमरजेंसी, डिपार्टमेंट, 24x7 सेवा, मेडिकल सर्विस के नाम के डब्बे बने हैं लेकिन क्लिक करने पर एक का भी पेज नहीं खुलता है। मतलब, डब्बा बनाकर छोड़ दिया गया है, पेज नहीं बनाया गया है जहां इन सेवाओं के बारे में कोई डिटेल जानकारी ले सके। डिपार्टमेंट का एक टैब ऊपर भी दिया गया है, उसे क्लिक करने पर एक पेज आता है, जिसमें सारे विभागों के नाम हैं। उनको क्लिक करने पर ओपीडी का समय और किस दिन किस डॉक्टर की ड्यूटी है, ये पता चलता है। कुछ विभागों में किसी की ड्यूटी नहीं दिखती। कई और विभागों में भी आधा-अधूरा रोस्टर है, किसी में दो दिन का, किसी में तीन दिन।
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पीएमसीएच में कौन किस पद पर है और उससे कैसे संपर्क किया जा सकता है, ये बताने के लिए टैब बनाया गया है- संगठन चार्ट। लेकिन इसको क्लिक करने पर कोई पेज नहीं खुलता। यहां तक कि अस्पताल के अधीक्षक के मैसेज के टैब से भी कोई पेज नहीं खुलता है। साइट के ऊपर में ही और भी टैब हैं, मसलन अस्पताल सुविधाएं, मरीजों के लिए, मीडिया, नोटिस और हमें संपर्क करें। कोई भी टैब काम नहीं कर रहा है। साइट का पहला पेज खुलने पर थोड़ा नीचे जाने पर दवा और ब्लड बैंक का भी बक्सा बना हुआ है लेकिन खुलता एक भी नहीं है।
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साइट पर लेटेस्ट अपडेट का सेक्शन है लेकिन वहां न्यूज और टेंडर दोनों टैब में 1 जनवरी 2023 की तारीख डालकर आगे Coming Soon लिखकर छोड़ दिया गया है। वेबसाइट के बिल्कुल नीचे अस्पताल के पता, ई-मेल और फोन नंबर की जगह है। फोन नंबर की जगह xxx xxx xxxx लिख दिया गया है। नंबर है नहीं या बताना नहीं है, पता ही नहीं चलता। कुल मिलाकर ये कि पीएमसीएच वेबसाइट से कोई मरीज या उसका परिवार, अस्पताल के बारे में कुछ भी पता नहीं कर सकता है। इस डिजिटल युग में अस्पताल की वेबसाइट की अनदेखी से आप समझ सकते हैं कि पीएमसीएच में ओपीडी से इमरजेंसी तक परेशान करने वाली और जानलेवा अव्यवस्था क्यों है।