मानसिक विभाग ने पांच महीने में की स्किजोफ्रेनिया के सौ नए रोगियों की पहचान
पूर्णिया के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय में मानसिक विभाग में पिछले पांच महीने में 100 नए स्किजोफ्रेनिया रोगी की पहचान हुई है। कुल 242 रोगियों का उपचार चल रहा है। मानसिक बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों...

पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के मानसिक विभाग में जांच और उपचार के दौरान पिछले पांच महीने में नए 100 स्किजोफ्रेनिया रोग के मामले की पहचान हुई है। विभागीय जानकारी में वर्ष 2025 के जनवरी से 23 मई तक के रिपोर्ट में अभी तक मानसिक विभाग में कुल 242 रोगी का उपचार चल रहा है। इनमें 100 नए रोगी शामिल हैं जबकि 142 पुराने रोगी हैं। इस तरह के रोग में रोगी के परिजनों को पूरी तरह से सजग और सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे रोग होने की स्थिति में इसे आगे बढ़ने से रोका जा सकता है।
....समय पर दवा लेने से कम हो सकती है परेशानी: मनोसामाजिक कार्यकर्ता एबी ज्वाईनल बताते हैं कि मानसिक बीमारी में स्किजोफ्रेनिया बड़ा रोग में माना जाता है। इसलिए समय पर दवा और काउंसेलिंग के बताए बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। रोगी को तुंरत ऐसी कोई भी स्थिति दिखने पर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इस रोग में चिकित्सकीय सलाह से नियमित रूप से दवा का सेवन किया जाता है तो रोग ठीक हो सकता है और सामान्य रूप से चल सकता है। इसकी दवा जिस प्रकार से ब्लड प्रेशर बढ़ने पर लगातार चलता है। इसी रूप में इस रोग का भी दवा चलता है। इसलिए दूसरे किसी तरह के नुस्खे अपनाने या फिर दूसरा प्रयास करने के बजाय सीधा चिकित्सकीय उपचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राय: यह भी देखा जाता है कि इस तरह के परेशानी किसी युवा को हो गया तो परिवार वाले शादी करा देते हैं कि शायद ठीक हो जायगा, लेकिन ऐसा नहीं होता है। बल्कि शादी विवाह होने के बाद रिश्ता टूट जाता है। इसलिए परेशानी बढ़ने से पहले तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए ताकि चिकित्सकीय रूप से ठीक किया जा सके। यह रोग दवा चलने से ठीक भी हो जाता है। ....स्किजोफ्रेनिया रोग के क्या हैं लक्षण: मानसिक विभाग के मनो विशेषज्ञ की माने तो इस रोग में कई प्रकार के लक्षण होते हैं जिनके आधार पर यह समझा जा सकता है कि इसे स्किजोफ्रेनिया रोग है। विशेषज्ञ की मानें तो इस रोग में ज्यादातर रोगी अपने आप बात करता है। अकेले में खुद मुस्कुराना, लोगों से दूरी बनाकर रखना, छोटी-छोटी बात में किसी से मारपीट कर लेना, बढ़े हुए नाखुन पर किसी तरह की ध्यान नहीं देना, बाल दाढ़ी का बढ़ जाना और इस पर ध्यान नहीं देना, कहीं भी खड़े होकर पॉलिथिन वगैरह जमा करना आदि शामिल है। किसी से उलझने की स्थिति में केस मुकदमा करना, अजीबो गरीब हरकत करना शामिल है। इस रोग में यादाश्त की कमी होती है। यह रोग मानसिक बीमारी में सबसे बड़ी बीमारी मानी जाती है। ऐसे में किसी भी तरह की हरकत होने या ऐसी स्थिति दिखने में मानसिक विभाग में जरूर रोगी को लेकर परिजनों का आना चाहिए। ....स्किजोफ्रेनिया रोग के माहवार आंकड़े: मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मानसिक विभाग के विभागीय आंकड़े में पिछले जनवरी से 23 मई तक नए पुराने से कुल 242 रोगी का अभी उपचार चल रहा है। इस रोग में नए 100 रोगी हैं जबकि पुराने 142 रोगी शामिल हैं। इनमें नए 100 रोगी में जनवरी माह में कुल 11 हैं। इनमें 7 पुरुष और 4 महिला शामिल हैं। जबकि फरवरी माह में 22 जिसमें 15 पुरुष और 7 महिला हैं। मार्च माह में 23 रोगी जिसमें 17 पुरुष और 6 महिला हैं। अप्रैल माह में 29 नए रोगी जिसमें 17 पुरुष और 12 महिला शामिल हैं। इनके अलावा 23 मई तक 15 रोगी में 13 पुरुष और 2 महिला शामिल हैं।
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