एतिहासिक नाटक चित्रांगदा का सफल मंचन, श्रोताओं ने सराहा
-फोटो-50 पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से रेणु रंगमंच संस्थान पूर्णिया की ओर से कला भवन नाट्य विभाग के प्रशि

पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से रेणु रंगमंच संस्थान पूर्णिया की ओर से कला भवन नाट्य विभाग के प्रशिक्षण हॉल में नाट्य प्रस्तुति चित्रांगदा नाटक का मंचन किया गया। चित्रांगदा नाटक के लेखक रविन्द्र नाथ टैगोर हैं। नाटक के निर्देशक अजीत कुमार सिंह बप्पा ने सफलता पूर्वक नाटक की प्रस्तुति दी। नाटक चित्रांगदा में मणिपुर के राजा चित्रवाहन को भगवान शिव के वरदान से पुत्री प्राप्त होती है। राजा चित्रवान अपने पुत्री का नाम चित्रांगदा रखा और उसे पुत्र के समान लालन पालन किया। राजकुमारी चित्रांगदा को युद्ध कौशल, धर्मशास्त्र, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, न्याय शास्त्र और धनुर्विद्या से पारंगत किया। चित्रांगदा मात्र पुत्री होने के कारण वह अपने राज्य के लिये एक पुरुष का वेश धारण कर राज्य और प्रजा के रक्षा के लिए मर मिटने को तैयार रहती थी। कभी चित्रांगदा के मन में विचार नहीं उठा कि वह एक स्त्री है। परंतु जब अर्जुन बारह वर्ष के ब्रह्मचर्या के लिये वनवास के जाते हैं और बहुत लम्बे सफर देखने के बाद वह मणिपुर पहुंचते हैं जो अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिये प्रसिद्ध है। तो राजकुमारी चित्रांगदा एक दिन शिकार के लिए जा रही होती है तो उसने अर्जुन को देखा और पहली बार एक स्त्री की तरह मन में विचार आया तब उसे अर्जुन से प्यार हो गया। नाटक में अन्तत: प्रेम में द्वंद प्रतिद्वंद के बीच अर्जुन से विवाह होती है। नाटक में पात्रों ने बेहतर अभिनय का बखुबी प्रदर्शन किया। नाट्य प्रस्तुति को सफल बनाने के लिए रेणु रंगमंच संस्थान के अध्यक्ष लकी चटर्जी अंजनी श्रीवास्तव कला भवन नाट्य विभाग के संयोजक एवं सचिव विश्वजीत कुमार सिंह ,रजनीश मयंक सिंह, प्रियांक सिंह आदि कलाकार लगे हुए थे। इससे पूर्व कार्यक्रम का उदघाटन राजेश्वरी सिंह, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित संजय कुमार सिंह समेत अन्य अतिथियों ने किया।
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