हताशा और इस्तीफों की बाढ़; भारत से जंग की आग में जल रहे पाक जनरल मुनीर, उनकी फौज का क्या हाल?
पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल मुनीर भले ही कश्मीर को लेकर आग उगल रहे हों और भारत से युद्ध के लिए तड़प रहे हों, लेकिन उनकी सेना में उथल-पुथल मची हुई है। पाकिस्तान की फौज इस वक्त खुद अस्तित्व के संकट में है।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हालिया बयान के बाद पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मुनीर भड़काऊ बयान देकर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में उनके "कश्मीर हमारी जुगुलर वेन यानी गर्दन की नस है" वाले बयान को कई विशेषज्ञों ने सीधे तौर पर आतंकियों को उकसाने वाला बताया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या उनके सैनिक भी उतने ही तैयार और उत्साहित हैं, जितने वह खुद दिखने की कोशिश कर रहे हैं?
हाल ही में दिए पाक जनरल मुनीर ने बयान में कश्मीर को पाकिस्तान की "जुगुलर वेन" यानी ‘शिरा’ बताया और कहा, "हमारा रुख स्पष्ट है, यह हमारी शिरा थी, हमारी ही रहेगी और हम इसे भूलेंगे नहीं। हम अपने कश्मीरी भाइयों की जंग को नहीं छोड़ेंगे।" इस बयान के कुछ ही दिन बाद जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, जिससे इस बात को बल मिला कि जनरल का यह बयान सिर्फ रट नहीं, एक रणनीतिक इशारा था।
साख संकट में सेना, जनता के निशाने पर जनरल
पाकिस्तानी सेना एक बड़े विश्वास संकट से जूझ रही है। सेना के राजनीतिक हस्तक्षेप और इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद आम जनता का गुस्सा खुलकर फूट पड़ा। सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों और PTI समर्थकों की गिरफ्तारियों ने सेना को जनता की नजरों में दोषी बना दिया। यही वजह है कि पहली बार सेना के खिलाफ खुली नफरत सड़कों और सोशल मीडिया पर दिखने लगी है, जो सीधे तौर पर सैनिकों के मनोबल को चोट पहुंचा रही है।
सेना में इस्तीफों की बाढ़!
हाल ही में सोशल मीडिया पर कई ऐसे दस्तावेज वायरल हुए, जिनमें दावा किया गया कि पाकिस्तानी सेना में बड़ी संख्या में अधिकारी और जवान इस्तीफा दे रहे हैं। अप्रैल 26 को जारी एक कथित एडवाइजरी में सेना के जवानों से 'मनोबल बनाए रखने' और 'राष्ट्र के प्रति निष्ठा जताने' की अपील की गई थी। हालांकि पाकिस्तान के अखबार डॉन ने इन दस्तावेजों को फर्जी करार दिया है, लेकिन उसने भी माना कि सैनिकों के मन में असंतोष और थकान एक हकीकत है।
दबाव में सैनिक, नेतृत्व हताश
पाकिस्तानी सैनिकों को अब दो मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है — एक तरफ आंतरिक विद्रोह और जनता का गुस्सा, दूसरी तरफ बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में लगातार हो रहे आतंकी हमले। केवल मार्च 2025 में ही 335 लोग आतंकवाद में मारे गए, जो एक दशक का सबसे खतरनाक महीना रहा। बम धमाके, घात लगाकर हमले, और निरंतर तनाव ने सैनिकों को मानसिक और शारीरिक रूप से थका दिया है।
पाकिस्तानी फौज में दरार
कई विश्लेषकों का मानना है कि सैनिकों में बड़ी संख्या में इमरान खान समर्थक हैं, जो मौजूदा सैन्य नेतृत्व से नाराज हैं। सेना के भीतर टॉप जनरल्स और फील्ड लेवल जवानों के बीच अविश्वास की दरारें गहरी हो रही हैं। यह स्थिति सैन्य अनुशासन और युद्ध क्षमता दोनों के लिए खतरा है।
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