Traffic Jam Crisis in Samastipur Residents Demand Solutions जाम और अतिक्रमण की समस्या से मिले मुक्ति, तभी मिलेगी राहत, Samastipur Hindi News - Hindustan
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जाम और अतिक्रमण की समस्या से मिले मुक्ति, तभी मिलेगी राहत

समस्तीपुर में जाम की समस्या लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। शहर की लगभग 10 लाख की जनसंख्या गर्मियों में मानसिक तनाव का सामना कर रही है। प्रशासन की लापरवाही के कारण जाम का समाधान नहीं हो पाया है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरFri, 25 April 2025 05:30 PM
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जाम और अतिक्रमण की समस्या से मिले मुक्ति, तभी मिलेगी राहत

समस्तीपुर। शहर में जाम प्रमुख समस्या है। हर दिन हर शहरवासी को इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है। गर्मी के समय में जाम की समस्या लोगों को मानसिक तौर पर बीमार कर देता है। शहर की आबादी लगभग 10 लाख है। इतनी बड़ी आबादी आम और खास दिनों में जाम की समस्या से परेशान रहती है। नगर निगम बनने के बाद भी इस समस्या का कोई निदान नहीं हो सका है। लोग जाम के कारण उच्च रक्तचाप समेत कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। शहर के लोग जाम और अतिक्रमण की समस्या से निजात की मांग कर रहे है समस्तीपुर शहर के लोग जाम की समस्या से परेशान रहते हैं। किसी भी आम और खास दिन में लोगों को बाजार में जाम झेलना पड़ता है। शहर की आबादी लगभग 10 लाख है। जाम की समस्या से लोगों में उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग जैसी समस्या बनी रहती है। शहर की सड़कों और फुटपाथों पर फुटकर दुकानदारों का अतिक्रमण है। जाम की एक वजह यह भी है। लोगों को आने-आने में परेशानी होती है। जहां-तहां ऑटो खड़ा करने से भी जाम की समस्या बनी रहती है। राजीव कुमार कहते हैं कि शहर की सबसे बड़ी समस्या जाम ही है। जाम से निपटने के लिए लगातार असफल प्रयास किया जाता है और असफल परिणाम देखने को मिलता है। शहरवासी जब एक जगह से दूसरी जगह या फिर रोजमर्रा की चीजें लेने के लिए निकलते हैं तो अक्सर जाम की समस्या से जूझते हैं। कई घंटे के बाद अपने गंतव्य पर पहुंचते हैं।

मुकेश कुमार का कहना है कि शहरवासी जब निकलते हैं तो यह मानकर निकलते हैं कि जाम के कारण कई घंटे का समय लग सकता है। जाम की वजह से शहरवासियों का समय बर्बाद होता है लेकिन इनका सुधी लेने वाला कोई नहीं है। सड़क पर मनमाने ढंग से यातायात संचालित किया जाता है। मनोज साह का कहना था कि नगर निगम ने शहर में पार्किंग की व्यवस्था भी नहीं की है। इसके कारण फुटपाथ और सड़क के किनारे वाहन खड़े करने के लिए शहरवासी मजबूर होते हैं। नगर निगम और यातायात विभाग की लापारवाही से शहर की सड़कें ही पार्किंग स्थल में तब्दील हो जाती हैं। जाम की समस्या से घंटों जूझने के बाद लोग एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासन को इससे फर्क नहीं पड़ता कि शहर में जाम की समस्या दिनोंदिन गहराती जा रही है। शहर के प्रमुख चौक-चौराहे पर जाम की समस्या देखने को मिलता है। कचहरी रोड, ताजपुर रोड, स्टेशन रोड, मारवाड़ी बाजार, गोला रोड, मगरदही घाट सहित अन्य स्थानों के पास अत्यधिक जाम होने के कारण आम लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। डॉ. संतोष राय ने कहा कि वाशिंगटन यूनिवर्सिटी द्वारा एक अध्ययन में पता चला है कि लंबे समय तक जाम में फंसे रहने के कारण लोगों को उच्च रक्ताचाप बढ़ जाता है। क्योंकि वायु प्रदुषण में पीएम 2.5 कण फेंफड़े को बीमार करने का काम करता है। इसी कारण अस्थमा, मूड स्विंग और अनेकों बीमारी को आमंत्रण देने का काम कर रहा है जाम। शहर में लगभग एक लाख लोग जाम की समस्या से जूझते हैं। हर किसी का घंटेभर का समय रोज जाम में निकल जाता है। इस बर्बादी के पीछे कौन जिम्मेवार है, जाम की वजह से रोड रेज की भी समस्या बढ़ी है।

मनोज जायसवाल का कहना कि शहर में मनमानी तरीके से यातायात को संचालित किया जा रहा है। शहर में बड़े वाहन के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो जाम की समस्या से निजात पाया जा सकता है। जाम की वजह से इंधन की बर्बादी होती है और प्रदूषण में कई गुना वृद्धि होती है। यातायात रूट निकालकर शहर को जाम की समस्या से निजात दिलाया जा सकता है। शहर के बुद्धिजीवी समाज से जुड़े सदस्यों का कहना है कि अगर शहर में स्कूलों बसों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो जाम की समस्या कम हो सकती है। शहर के विभिन्न जगहों पर मल्टी लेवल पार्किंग की व्यवस्था की जानी चाहिए। ऐतिहासिक, पौराणिक व धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र होने के बावजूद शहर में ट्रैफिक जाम से लोग आए दिन बहुत परेशान हो रहे हैं।

बोले-जिम्मेदार

शहर छोटा है, वाहनों का अधिक दबाव रहता है, मगरदही घाट से मथुरापुर घाट तक जाने के लिये एक ही पुल है। जाम को समाप्त करने के लिए अतिक्रमण हटाओ अभियान भी चलाया जाता है। टेंपो और ई-रिक्शा जाम का मुख्य कारण है। आने वाले समय में टेंपो और ई-रिक्शा का रूट निर्धारण किया जाएगा और इसे अलग-अलग रंगों में विभाजित किया जाएगा।

-सुनील कांत, यातायात थानाध्यक्ष,समस्तीपुर

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