मंत्री के आश्वासन के बाद भी उदयन डीह पर्यटन स्थल नहीं बना
उदयनाचार्य, महान दार्शनिक, का जन्म 984 ई. में रोसड़ा के करियन गांव में हुआ था। उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा के लिए बौद्ध विद्वानों से शास्त्रार्थ किया। हालांकि, उनके योगदान को उचित सम्मान नहीं मिल सका...

रोसड़ा। अपने ही घर में उपेक्षित हैं दुनिया को दर्शन का पाठ पढ़ाने वाले महान दार्शनिक उदयनाचार्य। सनातन धर्म की रक्षा के लिए उदयनाचार्य को बौद्ध धर्म के विद्वानों व धर्म प्रचारकों के साथ शास्त्रार्थ भी करना पड़ा था। सनातन धर्म की रक्षा के लिए ही उदयनाचार्य ने मिथिला की पावन धरती रोसड़ा के करियन डीह में जन्म लिया था। राजनेताओं के छलावे आश्वासन के कारण उदयनाचार्य के डीह को वह सम्मान नहीं मिल सका, जिसका वह हकदार है। 2018 में उदयन डीह पर आयोजित दो दिवसीय उदयनाचार्य स्मृति पर्व को संबोधित करते हुए सूबे के पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने उदयन के डीह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने का आश्वासन दिया था।
इतना ही नहीं सूबे के कला व संस्कृति मंत्री ने तो आचार्य उदयन की स्मृति में प्रत्येक साल राजकीय समारोह का आयोजन करने का आश्वासन दिया था। पर मंत्री द्वय का आश्वासन ठंडे बस्ते में दब कर रह गया। स्मृति पर्व के अवसर पर मिले आश्वासन से लोगों को एक नयी उम्मीद जगी थी , जो दिवा स्वप्न बनकर रह गयी। हालांकि आश्वासनों का घूंट करियन के लोग पिछले लंबे समय से पीते आ रहे हैं। बाबजूद उन्हें भरोसा है कि आज नहीं तो कल किसी की मति तो फिरेगी। पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री विन्देश्वरी दूबे, डॉ. जगन्नाथ मिश्र, लालू प्रसाद यादव आदि ने भी महान दार्शनिक के माटी को नमन कर पर्यटक स्थल का दर्जा देने का आश्वासन देकर छल चुके हैं। 1956 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का आगमन भी उदयन की धरती पर हुआ था, उन्होंने भी इस डीह की माटी को नमन किया था । 1960 में पुरातत्व विभाग के द्वारा डीह की खुदाई की गयी थी, जिसमें प्राचीन शैली के बर्तन और कुछ देवी-देवताओं की मूर्तियां प्राप्त हुई। भूमि के अभाव में नहीं मिल सका सांसद निधि : 2018 में उदयनाचार्य स्मृति पर्व के अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए तत्कालीन समस्तीपुर सांसद रामचन्द्र पासवान ने उदयन डीह के विकास को सांसद निधि से 50 लाख की राशि प्रदान करने की घोषणा की थी । पर भूमि उपलब्ध नहीं होने के कारण सांसद निधि नहीं दिया जा सका था । उदयनाचार्य का जन्म दसवीं शताब्दी में हुआ था उदयनाचार्य का जन्म दसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में 984 ई. में गंगा दशहरा के दिन रोसड़ा अनुमंडल मुख्यालय से 12 किमी उत्तर की दिशा में अवस्थित करियन गांव में हुआ था। उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की। महान दार्शनिक उदयनाचार्य के संबंध में विभिन्न ग्रंथों में चर्चाएं वर्णित है। भविष्यपुराण में व्यास जी की भविष्यवाणी , स्वामी विवेकानंद द्वारा विवेकानंद साहित्य में उदयनाचार्य को विश्व प्रसिद्ध महान दार्शनिक का संबोधन, न्याय कुष्मांजलि का उद्धरण प्रस्तुत किया जाना, बंगाल एशियाटिक जेनरल बुद्धिज्म ऑफ इंडिया विद्वत विभूति, मैथिली अकादमी द्वारा प्रकाशित लेख , दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति काशीनाथ झा की रचना, डॉ. मनमोहन झा के द्वारा उदयनाचार्य पर शोध ग्रंथ की रचना आदि उदयन की पौराणिकता को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है ।
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