पेयजल के लिए हाहाकार, पशुपालक कर रहे पलायन
(पेज चार) रहे हैं। बताया कि अधिकांश तालाब व आहार सूख गए हैं। ऐसे में दूर-दूर तक पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में पशुओं को लेकर पलायन

चेनारी, एक संवाददाता। कैमूर पहाड़ी की तराई वाले इलाकों में पेयजल के लिए हाहाकार मचा है। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी पशुपालकों को हो रही है। वे पानी की खोज में सुबह-शाम मवेशियों को लेकर कोसों दूर निकल रहे हैं। बताया कि अधिकांश तालाब व आहार सूख गए हैं। ऐसे में दूर-दूर तक पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में पशुओं को लेकर पलायन को मजबूर हो रहे हैं। पशुपालकों ने बताया कि भूमि संरक्षण विभाग द्वारा खोदे गए दर्जनों तालाबों में पानी नहीं है। कहा तालाब खुदाई में भारी अनियमितता बरती गई। बताया कि विभाग द्वारा क्षेत्र में 400 से अधिक तालाब खोदे गए हैं। लेकिन किसी में पानी नहीं है। कहा सभी तालाब की गहराई तीन से चार भी नहीं है। पेयजल की किल्लत के कारण कई लोग अपने आंखों के तारे बने गाय,बछड़े और बैलों को सस्ते दामों में बेच रहे हैं। औरैईयां के रोगी यादव ने कहा कि पेयजल किल्लत के कारण हम सभी चेनारी व शिवसागर ब्लॉक में शरण लिए हुए हैं। कुछ लोग कुदरा, करगहर में पशुओं को लेकर पलायन कर गए हैं। जिनके पास एक-दो मवेशी हैं, वे उन्हें बेचकर पीछा छुड़ा रहे हैं। बताया कि पहले सदोखर, बैरिया, बंडाडीह, दुर्गावती नदी, तुर्की आदि गांवों में बड़े-बड़े तालाब थे। जिसका जीर्णोद्धार नहीं किया गया। इससे वे सूखने लगे हैं। नेऊरी के सचिता सिंह यादव ने कहा कि गांव में पीने के लिए किसी तरह पानी मिल जाता है। लेकिन, मवेशियों को पिलाने में भारी कठिनाई होती है। गर्मी में मवेशी के शरीर पर पानी नहीं डालने से कई बीमारियां फैल रही हैं। पशुपालकों ने डीएम से भूमि संरक्षण विभाग द्वारा खोदे गए तालाबों की त्वरित जांच कर कार्रवाई की मांग की है।
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