पानी के लिए मैदानी इलाकों में भटकने लगे जंगली जानवर, ग्रामीण चिंतित
(पेज चार) व कुएं के पास देखे जा रहे हैं। हालांकि अब तक जंगली जानवर के हमले से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। फिर भी ग्रामीणों में जंगली

चेनारी, एक संवाददाता । कैमूर पहाड़ी की सेंचुरी इलाका में पेयजल की भारी किल्लत हो गई है। ऐसे में जंगली जानवर पानी के लिए मैदानी भागों में विचरण करने लगे हैं। इससे पहाड़ी क्षेत्र में बसे गांवों में जंगली जानवर से खतरा बढ़ गया है। कई लोगों ने बताया कि शाम होते ही जंगली जानवर गांव के तालाब व कुएं के पास देखे जा रहे हैं। हालांकि अब तक जंगली जानवर के हमले से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। फिर भी ग्रामीणों में जंगली जानवरों से खौफ है। क्योंकि हर साल जंगली जानवर के हमले से लोग घायल होते हैं।
उगहनी के राजवंश पासवान, विनोद शर्मा ने बताया कि पेयजल संकट के कारण जंगली जानवर प्यास बुझाने के लिए पहाड़ की तराई वाले गांवों की तरफ रुख करते हैं। मुखिया ज्ञानचंद सिंह ने कहा कि विभागीय स्तर पर जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। चिलचिलाती धूप में जानवर प्यास बुझाने के लिए जंगलों से बाहर निकलते हैं। कई वनवासियों ने बताया कि कई किलोमीटर चलने पर जंगली जानवरों को पेयजल के लिए नदी-नाले में पानी मिल पाते हैं। वन विभाग द्वारा बनाया गया चेक डैम बेकार पड़ा हैं। कई वर्ष पूर्व बने वॉटर होल से ही काम चल रहा है। अधिकारियों की मानें तो पूर्व में दो दर्जन वॉटर होल बनाये गए थे। इस वर्ष नरवा, चपरी, कुसुम में वॉटर होल बने हैं। पुराने वॉटर होल की साफ-सफाई व मरम्मती हुई है। सिरसर चुआं, बूढ़ी शाख, चपरी, उरदगा, अमवा चुआं, रामपुर, पनारी देवी स्थान के समीप, चार उगहनी के जंगलों, चार सिझुआ नाला के समीप, तीन पचौरा गांव के समीप व जंगल में दो वॉटर होल बनाये गए हैं। जिसमें भारी संख्या में जंगली जानवर पहुंचकर प्यास बुझा रहे हैं। कहते हैं रेंजर वन विभाग के रेंजर अभय कुमार सिंह ने बताया कि बताया दुर्गावती जलाशय परियोजना के जल संग्रह केंद्र, गुप्ताधाम नदी के अलावे कई नदी व झरने किनारे जंगली जानवर जुट रहे हैं। और वॉटर होल बनाने के लिए जगह चयन किया जा रहा है, जहां जंगली जानवर आकर रुकते हैं। इसके लिए विभाग को लिखा जाएगा। कुछ जंगली जानवर भटककर पहाड़ी क्षेत्र से सटे गांवों में आ रहे हैं। जिस पर विभाग की नजर है। बताया कई वॉटर होल में पानी सूख गया है। उसमें टैंकर से पानी भरा जा रहा है। जंगली जानवरों को पेयजल की किल्लत नहीं होने दी जाएगी।
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