कुपोषण से दव्यिांगता और बौनापन बढ़ने की आशंका
सीतामढ़ी के जगन्नाथ सिंह महाविद्यालय में एनएसएस द्वारा पोषण पखवाड़ा का समापन सत्र आयोजित किया गया। इस दौरान कुपोषण के कारणों और निवारण पर चर्चा की गई। प्राचार्य डॉ. प्रमोद कुमार ने कुपोषण को गंभीर...

सीतामढ़ी। जगन्नाथ सिंह महावद्यिालय चन्दौली में एनएसएस के तत्वावधान में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से संचालित पोषण पखवाड़ा का समापन सत्र आयोजित किया गया। पखवाड़ा के तहत एनएसएस के स्वयं सेवकों ने डोर-टू-डोर कैम्पेन, जागरूकता कार्यक्रम, समूह परिचर्चा, नुक्कड़-नाटक,आदि कार्यक्रम किए। समापन सत्र में ‘कुपोषण : कारण और निवारण विषय पर गोष्ठी की गई। अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. प्रमोद कुमार व संचालन कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. संतोष कुमार गौड़ ने किया। प्राचार्य ने कहा कि कुपोषण एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। निवारण के लिए सरकार अनेक स्वास्थ्य सेवाएं चला रहीं है। मुख्य वक्ता जन्तु वज्ञिान के प्रो. नवल किशोर ने कहा कि मनुष्य के शरीर में स्वस्थ उतकों और अंगों को कार्य करने हेतु आवश्यक प्रोटीन, विटामिन, खनिज एवं अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण होने वाली स्थिति कुपोषण कहलाती है। जिससे एनीमिया, विकलांगता, बौनापन एवं समय पूर्व मृत्यु होने की आशंका बढ़ जाती है। डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने बताया कि गरीबी,अशक्षिा एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारणों से कुपोषण की समस्या बढ़ रही है। जारी रिपोर्ट की मानें तो बिहार की लगभग 63 प्रतिशत महिलाएं एवं 69 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं। प्रो संजय कुमार ने सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वास्थ्य सेवाएं- राष्ट्रीय पोषण मिशन, एकीकृत बाल विकास सेवा, मिशन-45, मिशन पोषण -2.0, मध्यान भोजन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा आदि सेवाओं पर वस्तिार से बात रखी। डॉ. शम्भू प्रसाद, डॉ. हारून रसूल व प्रतिभा कुमारी द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका,आशा दीदी का सहयोग का जक्रि किया गया। खुशी ने गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के पौष्टिक आहार पर चर्चा की। मेघा ने पोषण ट्रेक्टर वेव एप के बारे में जानकारी दी। स्वयं सेवकों में अर्चना, नंदिनी, रीतू, चंदा, देव, गोपाल, गुड्डू आदि ने विचार रखा।
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