Bamboo Farming Challenges in Siwan Farmers Demand Support and Industry Development बोले सीवान : बांस अनुसंधान केंद्र की शाखा और सिंचाई की बेहतर सुविधा चाहिए , Siwan Hindi News - Hindustan
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बोले सीवान : बांस अनुसंधान केंद्र की शाखा और सिंचाई की बेहतर सुविधा चाहिए

सीवान जिले में बांस की खेती तो होती है, लेकिन किसान उचित मूल्य नहीं मिलने से परेशान हैं। बांस आधारित उद्योग की कमी और सरकारी अनुदान की अनुपस्थिति के कारण किसान बांस की बुआई कम कर रहे हैं। बांस की...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानSun, 27 April 2025 12:00 AM
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बोले सीवान : बांस अनुसंधान केंद्र की शाखा और सिंचाई की बेहतर सुविधा चाहिए

जिले के सभी क्षेत्रों व गांव में बांस की खेती तो होती ही है। बांस की बुआई इन दिनों अब किसान नहीं कर रहे हैं। दियारा और चंवरी इलाके में बांस उत्पादक किसानों को अगर सरकार अनुदान दे तो इसका उत्पादन और बढ़ाया जा सकता है। जिले में बांस उद्योग की स्थापना तो जरूरी है ही, बांस अनुसंधान केन्द्र की एक शाखा यहां भी जरूरी है। बांस अधारित उद्योग नहीं होने के कारण कम कीमत पर ही अपने बांस को बेचने की मजबूरी किसानों की बनी हुई है। नीलगाय, सुअर, बंदर के आतंक से भी किसान परेशान हैं। बांस की इनसे सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। बांस के लिए सीवान की मिट्टी काफी उपयुक्त है। इसमें किसानों की अपार संभवनाएं भी है। सीवान जिले में आम अमरूद और केले के बाद बांस ही ऐसी है, जिसे बड़े पैमाने पर लगाया जाता है। जिले में हर साल 15 से 20 हजार बांस क्षेत्र में सिर्फ शादी ब्याह के लिए काटी जाती है। बावजूद इसके उचित मूल्य नहीं मिल पाने के कारण ही बांस उत्पादक किसानों के हाथ खाली ही रहते हैं। कड़ी मेहनत करके किसानों के बहाये पसीने से उपजा बांस किसानों के जीवन में खुशहाली नहीं ला पा रहा है। यह टीस किसानों के दिल में भी है और किसान व्यक्त भी करते रहे हैं। अब तो इसकी बुआई के प्रति भी जिले के किसानों की दिलचस्पी भी कम होने लगी है। सवाल यह है कि किसानों को इसका लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है। इसका एक वजह यह है कि जिले में बांस अधारित उद्योग की स्थापना अब तक नहीं हो सकी है। फलतः किसानों को सरकारी सहायता व मूल्य से भी कम कीमत पर इसे बेचना पड़ता है। इससे किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। किसान बांस उत्पादन के बाद इसे लेकर बाजार तक भी नहीं जा सकते हैं, क्योंकि इसके लिए कोई स्थाई बजार नहीं है। व्यापारी व खुदरा बेच उन्हें बिक्री के बाद वह खुशी नहीं मिल पाती है जिसकी आस वह बांस बोने के समय लगाए रहते हैं।

50 से 60 वर्षों तक होता है एक बांसवाड़ी से उत्पादन

सीवान जिले में प्रति वर्ष औसत 15 से 20 हजार तक बांस शादी व्याह में काटी जाती है। यहां के किसानों की मेहनत का ही यह नतीजा है कि एक बांस की कोठी से 50 से 60 बर्षो तक बांस उत्पादन हो पाता है। उत्पादन के लिहाज से यह आंकड़ा मानक तय करने वाला है। लेकिन, जिले में कोई बांस आधारित उत्पादों को तैयार करने का कोई प्लांट नहीं होने से किसानों का अपेक्षित आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है। स्थिति ऐसी है कि किसानों को खुले 100 से 200 सौ रुपये तक में एक बांस को बेचने की मजबूरी होती है। जबकि सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं होता है।

लावारिस पशुओं और बंदर से मिले सुरक्षा

बांस का उत्पादन बढ़ाने और इसका लाभ किसानों को मिले, इस पर कई काम करने होंगे। किसानो ने कहा कि यहां बांस आधारित उद्योग की आवश्यकता है। वैसे तो बांस जिले के सभी क्षेत्रों व गांव में मिलेगा लेकिन कुछ क्षेत्रों में इसका उत्पादन अधिक होता है। उन क्षेत्रों में इसके सुरक्षा, बढ़ावा देने व इसके उन्नत किस्म के प्रजाति को उपलब्ध कराने की जरूरत है। बांस की सुरक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है। नीलगाय, बंदर और लावारिस पशुओं की वजह से किसान परेशान हैं। बरसात में जब बांस के कोपल निकलते हैं इन्हें तोड़ कर बर्बाद कर देते है। किसानों के लिए उचित व सरकारी स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था भी की जानी चाहिए।

बांस अधारित उद्योग की हो स्थापना

किसानों द्वारा उत्पादित बांस को वस्तुओं के रूप परिवर्तित करने के लिए जब तक उद्योग धंधों को विकसित नहीं किया जाएगा, तब तक किसानों को इसका न तो समुचित लाभ मिलेगा नही विकास ही हो सकता है। सरकार की मंशा है कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो, लेकिन किसान व उपयोग कर्ता की बीच दूरी अधिक है। व्यवस्था की कमी के कारण बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। सीधे लाभ से किसान वंचित हो रहे हैं। किसान उत्पादित वस्तुओं का रूप परिवर्तित कर नया माल तैयार करना आवश्यक होता है। इसके बाद ही इसकी सही कीमत मिल पाती है। बांस की उत्पाद से कई प्रकार के सामग्रियां बनाई जाती हैं। बांस से छठ पूजा के लिए डाला, दऊरा, कलसूप, शादी में दउरा, डाल, मंडप छादन, घर व झोपड़ी निर्माण आदि होता है। मौत पर अंतिम यात्रा में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। जब तक इस पर आधारित उद्योग धंधों का विकास नहीं होगा, तब तक यहां के किसान पूर्ण रूपेण संपन्न नहीं होंगे।

प्रस्तुति : शैलेश कुमार सिंह , रितेश कुमार

सुझाव :-

1. किसानों को उचित दर पर उन्नत किस्म के बांस बीचड़ा उपलब्ध कराने व अनुदान देने की आवश्यकता है।

2.बांस उत्पादक किसानों के लिए उद्योग-धंधा शुरू करने और विकसित करने की जरूरत है।

3-बांस के बनें उत्पाद को सुरक्षित व भंडारण के लिए किसानों को गोदाम के निर्माण को लेकर पर्याप्त सहायता भी मिले।

4. किसानों को बांस की सिंचाई और रखवाली में आसानी हो, इसके लिए बिजली कनेक्शन दिया जाए।

5.बांस से तैयार वैवाहिक समानो के लिए स्थानीय स्तर पर बजार लगाने की जरूरत है।

शिकायतें :-

1.किसानों को बांस की उचित कीमत नहीं मिलती, उन्हें औने-पौने दाम पर बेचना पड़ता है।

2. बांस उत्पाद के भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से इसका रखरखाव भी सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।

3. बांस आधारित एक भी उद्योग-धंधे यहां नहीं लगाए गए हैं। इससे बांस खेती को नहीं मिल रहा बढ़ावा।

4. सहकारी समितियां भी उदासीन बनी हुई है। बांस को बढ़ावा देने व उचित किमत मिलने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।

5. नीलगाय, बंदर, लावारिस पशुओं से बांस की सुरक्षा चिंता का विषय है, किसान हर रोज हैं परेशान।

हमारी भी सुनिए

1. सीवान में बांस की खेती तो अच्छी-खासी किसान कर लेते हैं। लेकिन बांस उत्पादन करनेवाले किसानों को सरकारी स्तर से अनुदान नहीं दिया जाता है। इस वजह से किसान बांस की बुआई कम कर दिए हैं।

उपेन्द्र सिंह

2. बांस की खरीदारी भी सरकारी दर पर होती तो बेहतर होता। किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीचड़ा उपलब्ध कराया जाए। इससे बांस की पैदावार में वृद्धि होगी और किसानों को उचित लाभ मिलेगा।

हरि किशोर सिंह

3. सीवान में भी एक बांस अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र होना चाहिए। जिससे समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जा सके। कृषि विज्ञान केन्द्र भगवानपुर हाट से किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

बिजेंद्र सिंह

4. बांस उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए क्रय केन्द्र और प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना की जानी चाहिए। इससे किसानों का समय पर बांस का उचित मूल्य मिल सकेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी।

रवि कुमार

5. बांस के उत्पाद के भंडारण के लिए किसानों को गोदाम बनाने के लिए सरकार को सहायता उपलब्ध करानी चाहिए। ताकि मूल्य वृद्धि होने के समय किसान इसे बाजार में बेचकर इसका सीधा लाभ प्राप्त कर सके।

लोकनाथ साह

6. जिले के दियारे इलाके में बांस की पैदावार अच्छी होती है। लेकिन किसानों को प्रमाणित व उचित किस्म नही मिल पाता है। इससे किसान स्थानीय स्तर पर ही बांस की प्रचलित किस्म की बुआई करते हैं।

सत्येंद्र सिंह

7. उचित मूल्य पर सही किस्म की उपलब्धता से बांस उत्पादन में वृद्धि होगी। यहां बांस आधारित उद्योग लगाने से किसानों को सही कीमत मिल सकेगा। इसमें सरकार को दिलचस्पी लेनी चाहिए।

मुकेश कुमार

8. बांस आधारित उद्योग लगने से यहां के कई लोगों को इसमें रोजगार भी प्राप्त होगा। इससे यहां के किसानों को फायदा होगा। क्षेत्र की आर्थिक रूप से तरक्की भी होगी।

अमित कुमार

9. रघुनाथपुर, सिसवन, आंदर, दरौली और गुठनी प्रखंड क्षेत्र में फैला दियारे एक बहुत बड़ा हिस्सा बांस के लिए योग्य है। नदी के तटीय इलाकों में बांस का उत्पादन बेहतर होगा।

अवधेश सिंह

10. जिले के सरयू नदी में प्रतिवर्ष कटाव होता है। कटाव रोकने के लिए बांस का इस्तेमाल किया जाता है। इस लिहाज से इन इलाकों में बांस लगना चाहिए। इससे किसानों को भी फायदा मिलेगा।

अमित सिंह

11. बांस के कोपल को बंदर नीलगायों और जंगली पशुओं से खतरा बढ़ गया है। झुंड के झुंड बंदर बांस में पहुंचकर बांस की कोपल को बर्बाद कर देते है। ऐसे में इसकी तारबंदी भी जरूरी हो गया है।

श्याम सुंदर सिंह

12. बांस में उकठा रोग लगने परेशान किसान बांस की खेती भी अब कम करना शुरू कर दिए हैं। बांस के बचाव व उत्पाद तैयार करने के लिए यहां पर लोगों को प्रशिक्षण जरूरी है।

प्रभुनाथ सिंह

13. कृषि विभाग किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है। कोई कारगर दवा या सुझाव भी नही मिलता जिससे बांस की बिमारी पर किसान काबू पा सके।

गणेश सिंह

14. बांस में उकठा बीमारी किसान के लिए चिंता का विषय बनते जा रहा है। पिछले पांच छः साल से इस बीमारी से किसान परेशान है। इसका समाधान कृषि वैज्ञानिकों को करके किसानों को बताना चाहिए।

राम कुमार

15. बांस के दुश्मन बंदर भी बने हुए हैं। किसान के बांसवाड़ा में पहुंचकर कोपल को नोच-चोथकर बर्बाद कर देते हैं। बंदरों की संख्या दक्षिणांचल में अधिक है। किसान इनसे परेशान हैं।

रविन्द्र सिंह

16. धीरे-धीरे बांस खत्म होते जा रहा है। उन्नत किस्म नहीं होने इसके रख रखाव व संरक्षण का प्रशिक्षण नहीं मिलने के कारण किसान कितना रखवाली करे। किसानों का दर्द न सरकार समझ रही है और न ही इसके लिए जिम्मेदार कोई अधिकारी।

अक्षयवर सिंह

17.बांस लगाने के लिए की बार सिंचाई की जरूरत होती है। पानी आजकल महंगा हो गया है। प्रतिघंटे 200 रुपये या इससे अधिक खर्च करना पड़ता है। ऐसे में सरकार बांस लगाने के लिए सरकारी सहायता दे।

स्वामी नाथ सिंह

18. जिले के चंवरी इलाके की भूमि बहुत ही उर्वरा है। सरकार आर्थिक लाभ मुहैया कराए तो किसान बांस की खेती बड़े पैमाने पर कर सकते हैं। सरकारी प्रयास हो तो किसान भी प्रयास करेंगे।

लखनदेव सिंह

19. बांस समाज के लिए बहुत ही लाभकारी है। शादी व्याह से लेकर मरने तक इसकी जरूरत है। इसके संरक्षण बढ़ावा की जरूरत है। सरकारी पहल जरूरी है। किसानों को सलाह व सहयोग मिलना चाहिए।

आनंद सिंह

20. बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को उन्नत बीचड़ा कीटनाशक के लिए अनुदान की व्यवस्था होनी चाहिए। तभी हम बांस का अधिक से अधिक हिस्से में उत्पादन कर सकेंगे।

विधु भूषण वर्माह

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