गुठनी में जालंधर वध देखकर रोमांचित हुए श्रद्धालु
ओदिखोर गांव में चल रहे श्रीशतचंडी महायज्ञ के चौथे दिन जालंधर वध का मंचन किया गया। नारद जी ने इंद्र को भगवान शिव के पास भेजा, जिसके परिणामस्वरूप जालंधर का जन्म हुआ। जालंधर ने कई देवताओं से युद्ध किया,...

गुठनी, एक संवाददाता। ओदिखोर गांव में चल रहे श्रीशतचंडी महायज्ञ में चौथे दिन जालंधर वध का मंचन किया गया। इसे देख दर्शक रोमांचित हो उठे। कथा के माध्यम से दिखाया गया कि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र नारद ने इंद्र को उकसा कर भगवान शिव के पास उनका राज्य मांगने के लिए भेजा। पहले तो वह इंद्र को समझाते रहे, लेकिन जब वह नहीं माने, तो उनके क्रोध से जालंधर की उत्पत्ति हुई। जप-तप के बल पर वह अजेय शक्तियां प्राप्त कर लेता है और युद्ध में देवराज को परास्त कर देता है। इंद्र उसके डर से छिप जाते हैं, लेकिन नारद जी उसे देवराज के बारे में सबकुछ बता देते हैं। अपनी शक्तियों के मद में चूर जालंधर भगवान विष्णु, ब्रह्मा व शंकर से भी युद्ध करने पहुंच जाता है। अंत में भगवान विष्णु अपनी लीलाओं के द्वारा उसका वध कर देते हैं। उसकी पत्नी वृंदा भगवान को पत्थर होने का श्राप दे देती हैं। तभी से भगवान शालिग्राम के रूप में पूजे जाते हैं। उसके श्राप को सुनकर देवीलक्ष्मी उसे भी काष्ठ हो जाने का श्राप दे देती हैं। तब से वह तुलसी के रूप में धरती पर विद्यमान है। आज भी तुलसी के बिना भगवान शालिग्राम का भोग नहीं लगता है। इस सजीव मंचन ने सभी का मन मोह लिया। शतचंडी महायज्ञ के चौथे दिन रासलीला का आरंभ एनडी मिश्रा व बसंत शर्मा ने राधा कृष्ण की पूजा व आरती के साथ किया गया। यज्ञाचार्य पंडित रंजीत तिवारी हैं तथा वैदिक अनूप पांडेय, विनीत कुमार मिश्र, दिनेश पांडेय, कुंदन कुमार तिवारी हैं। यजमान डॉ कमल यादव, रविन्द्र शर्मा पत्नी मुन्नी देवी हैं।
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