Farmers Land Lost to Useless Canals in Siwan Irrigation Woes Persist बोले सीवान : नहरों में समय पर पानी नहीं आ रहा, सिंचाई में हो रही परेशानी, Siwan Hindi News - Hindustan
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बोले सीवान : नहरों में समय पर पानी नहीं आ रहा, सिंचाई में हो रही परेशानी

सीवान में नहरों की खुदाई से किसानों की उपजाऊ भूमि चली गई है, लेकिन समय पर पानी नहीं मिलने से किसानों को सिंचाई में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बरसात में बाढ़ से फसलें बर्बाद हो रही हैं। नहरों...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानTue, 10 June 2025 06:41 PM
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बोले सीवान : नहरों में समय पर पानी नहीं आ रहा, सिंचाई में हो रही परेशानी

सीवान में नहर खुदाई के लिए किसानों की कीमती और उपजाऊ भूमि ली गई, लेकिन यह पूरी तरह नकारा साबित हो रही है। नहर में कभी भी किसानों को सिंचाई के लिए समय पर पानी नहीं मिला। अगर पानी मिला भी तो बरसात के समय। यही कारण है कि किसान बरसात में बाढ़ की समस्या से जूझते हैं। जिले में गंडक नहर जगह-जगह निकाली गई है, जो पूरी तरह हाथी का दांत साबित हो रही है। कभी भी समय पर इसमें पानी नहीं छोड़ा जाता। इससे किसान दूर - दराज में गाड़ी गई बोरिंग से पंप सेट चलाकर फसलों को सिंचाई करते हैं।

नहर में पानी नहीं आने से किसान परेशान है। जिले के सभी प्रखंडों से नहर निकाली गई है जिसमें हजारों हेक्टेयर भूमि चली गई। कितने किसान तो नहर खुदाई के कारण भूमिहीन तक हो गए। किसान बताते हैं कि नहर को देखकर अब खीझ आती है, कि उनकी उपजाऊ और कीमती भूमि इस बेकार नहर में समा गई। जबकि कभी भी समय पर इसमें पानी नहीं आता। सारण मुख्य नहर, लिंक नहर सहित अन्य प्रखंडों से अलग-अलग नहर निकाली गई है दशकों पूर्व नहरों की खुदाई तब की गई थी जब बोर्डिंग, पंप सेट, नलकूप आदि कम थे। इससे किसान फसलों की सिंचाई नहीं कर पाते थे। उस वक्त किसानों को खेती गृहस्थी में क्रांति लाने के लिए नहर सिंचाई व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण साधन खोदा गया था। नहर खुदाई से किसानों को लाभ तो नहीं मिला, उल्टे उन्हें हानि ही हानि होने लगी।अलग-अलग प्रखंडों के किसानों ने बताया कि नहर की खुदाई से उनकी कीमती और उपजाऊ भूमि उसमें चली गई। हालांकि उनके पूर्वज यह कह रहे थे कि जब नहर खोदी जा रही थी तो ऐसा लगा था कि इसमें समय-समय पर पानी आएगा और फसलों की सिंचाई होगी, जबकि यह धोखा साबित हुआ। जब नहर में समय-समय पर पानी ही नहीं देना था तो इसे खोदा ही क्यों गया था जिससे काफी किसान भूमिहीन हो गए और वह दर-दर भटक रहे हैं। किसानों के लिए नहर बनती है शोक किसान बताते हैं कि जब बरसात के मौसम में अधिक बारिश होती है तो यही नहर हम लोगों के खेतों में तबाही मचाती है। उस वक्त नहरों में भी पानी छोड़ दिया जाता है। जिससे बाढ़ की समस्या उत्पन्न होती है। नहरें किसानों के लिए वरदान नहीं बल्कि शोक है। किसानों का यह भी कहना है कि बिहार में आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा पर्व छठ होता है। जब व्रतियों को पानी में खड़ा होकर पर्व का अनुष्ठान करना होता है तो नहरें मुंह चिढ़ाने का काम करती हैं। लोगों का कहना है कि नहरों पर विभाग का कोई ध्यान नहीं है। इस पर सरकार और विभाग को ध्यान देने की जरूरत है। नहरों की पक्की कारण से किसानों कोई लाभ नहीं किसान बताते हैं कि नहरो की पक्की करण जो की गई है अब उसमें लोग कचरा फेंक रहे हैं साथी उपले की पथाई महिलाएं इस नहर में कर रही है जिले के लगभग सभी प्रखंडों से होकर गुजरने वाली नहर में गाद के साथ जंगल जमा हुआ है। बरसात से पहले नहरों की साफ सफाई हो जाए तो किसने की सिंचाई के लिए यह बिहार फायदेमंद साबित होगा। वहीं किसानों ने कहा कि समय पर नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता है जिन वजह से किसानों को निजी पंपी सेट से ही खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है। वहीं बेवक्त नहर में पानी आने से किसानों के फसल नष्ट हो जाते हैं और इसका खामियाजा किसान के बाल बच्चे को उठानी पड़ती हैं। जब फसल ही नुकसान हो जाए तब किसानों की खेती से होने वाली आमदनी बंद हो जाएगी और बच्चों की पढ़ाई लिखाई कैसे होगी। बांध की मिट्टी काट लेने से तटबंध जर्जर हो गए हैं जिले में नहरों की बांध के मिट्टी काट लेने के कारण इसके तटबंध जर्जर हो गए हैं। इसके कारण बरसात में जब पानी आता है तो जगह-जगह नहरें टूटकर किसानों की फसल बर्बाद कर देती हैं। अलग-अलग प्रखंडों से निकलने वाली सारण मुख्य नहर में गाद जम गए हैं। साथ ही तटबंध जर्जर हो गए हैं। बरसात के समय जब इसमें पानी छोड़ा जाता है तो जगह-जगह टूटकर किसानों के लिए यह समस्या खड़ी कर देती है। किसान बताते हैं कि नहरों में असमय पानी छोड़े जाने के कारण सैकड़ों हेक्टेयर भूमि में लगी खरीफ के अलावा सब्जियों की फसल बर्बाद हो जाती है। नहरें उनके सिंचाई के साधन नहीं, बल्कि बर्बादी का कारण बन रहे हैं। नहरों में कूड़े कचड़े फेंके जा रहे हैं। उसके साथ ही घास फूस भी उग आए हैं। जब कभी पानी इसमें आता है तो वह आगे नहीं बढ़ पाता। जिससे तटबंध टूटकर बिखर जाते हैं। किसान बताते हैं कि बरसात के पूर्व नहरों के तटबंधों की मरम्मत होनी चाहिए जिससे बरसात के समय में नहर उनके लिए शोक नहीं बने। किसानों का यह भी कहना है कि जब बरसात के वक्त पानी छोड़ा जाता है और जगह-जगह तटबंध टूटकर बिखर जाते हैं। तब विभाग और पदाधिकारी में हाय तौबा मचती है।उस वक्त नहर कि तटबंध की मरम्मत कर पाना मुश्किल हो जाता है। समय रहते अगर तटबंध की मरम्मत कर ली जाए तो आने वाले समय में विभाग और किसानों के साथ-साथ आम लोगों के लिए नहर समस्या नहीं बनेगी। काफी पुराने बुजुर्ग नहरों की उड़ाही होना जरूरी है। क्योंकि उसमें घास फूस तो उग ही आए हैं। क्षेत्रीय लोगों द्वारा उसमें कूड़े कचरे बहारन आदि फेंके जाने से वह भर गए हैं। इसके कारण पानी का बहाव नहीं हो पाता है। प्रस्तुति : धर्मेन्द्र उपाध्याय, रितेश कुमार। सुझाव 1. नहरों में किसानों के लिए समय-समय पर पानी छोड़ना चाहिए, ताकि वह फसलों को सिंचाई कर सकें। 2 नहर खुदाई में किसानों की कीमती जमीन चली गई इसका अफसोस नहीं। समय पर पानी नहीं आता है 3 जब सिंचाई की जरूरत होती है तो नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता, बरसात में पानी छोड़ने बाढ़ आ जाती है। 4. जगह-जगह नहर बांध टूटे हुए हैं जिसकी मरम्मत की जानी चाहिए। जिससे बाढ़ की स्थिति पैदा नहीं हो। इसके लिए काम करने की जरूरत है। 5. समय-समय पर नहरों की उड़ाही होनी चाहिए। जिससे उसमें कूड़ा कचरा, घास फूस की सफाई हो सके और पानी आने में दिक्कत ना हो। शिकायतें : 1. बरसात के समय नहर में पानी छोड़े जाने से बाढ़ की स्थिति आने के कारण हमलोगों की फसलों की होती है बर्बादी। 2. नहर की साफ सफाई और उड़ाही नहीं होने से पानी का नहीं होता है बहाव। 3. नहर में पानी समय-समय पर नहीं छोड़े जाने के कारण पंपसेट का लेना पड़ता है सहारा। 4. नहर खुदाई में किसानों की कीमती जमीन ले ली गई। कई तो भूमिहीन भी हो गए। 5. कई जगहों पर नहर के आर पार किसानों को खेती करने के लिए आने जाने में होती है परेशानी। नहरों पर पुल का हो निर्माण। हमारी भी सुनिए 01. किसानों की कीमती जनीन लेकर नहर खुदाई की गई तो उसमें पानी भी मिलना चाहिए जबकि समय पर कभी भी पानी नहीं छोड़ा जाता। किसान पंप सेट से सिंचाई करते हैं तो इन नहर के बनने से किसानों कोई लाभ नहीं होता हैं। सूखी पड़ी है नहर। किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। - गौरी शंकर शाही 02. नहर में पानी रहने पर किसानों को कई लाभ मिलता है। साथ ही यह किसानों के लिए काफी उपयुक्त है। नहर में पंपसेट लगाकर फसलों की सिंचाई की जाती है। नहर का अस्तित्व को बचाने की जरूरत है। लोग नहर में उपले भी लगाते हैं। - शिवनाथ शाही 03 . बरसात में नहर कहर बरपाती है। नहर तटबंध जर्जर है जिससे पानी चारों ओर बिखर जाता है और त्रासदी आती है। बरसात से पहले नहर के किनारे बसे लोगों के लिए उपयुक्त जगह या नहर की बंध की मरम्मत होनी चाहिए। - भवसागर शाही 04. नहर किनारे मिट्टी भर रही हैं। नहर सिकुड़ती जा रही है। नहर को अतिक्रमण करने से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। नहर के उड़ाही समय-समय पर होनी चाहिए। कई लोग गलत तरीके से नहर पर घर और रोड़ बना चुके हैं। आखिर हमारी समस्याओं का समाधान कब होगा, समझ में नहीं आ रहा। - विनोद शाही 05. नहर के तटीय इलाके को लोग अतिक्रमित कर रहे हैं। नहर में ही कूड़ा-कचड़ा फेंकते हैं। जिससे वह भरता जा रहा है। इसके अस्तित्व को बचाना होगा। इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा। नहर प्रमंडल विभाग को विशेष ध्यान देना चाहिए। हमारी समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस योजना बनाने की जरूरत है। - नीरज शाही। 06. नहर का अतिक्रमण किया जा रहा है। किसानों की कीमती जमीन नहर में ले ली गई है। कुछ किसान तो भूमिहीन भी हो गए। उन्हें साल में एक बार मदद देनी चाहिए, वे भी जरूरत भर अनाज खरीद लें। अतिक्रमण हटाने के लिए विशेष पहल करने की जरूरत है। - उमेश दुबे। 07. किसान परिवार नहर में पानी आने का इंतजार करते हैं। जबकि उनके अरमान चूर हो जाते हैं। नहर के किनारे वे दूर के पंप सेट से पानी लाकर सिंचाई करते हैं। नहर किसानों को चिढ़ा रही है। किसानों को काफी परेशानी हो रही है। - राजन शाही। 08. कई जगहों पर नहर का तटबन्ध टूटा हुआ है। इसे मरम्मत करने की जरूरत है। बरसात के पूर्व बिखरे तटों की मरम्मत की जानी चाहिए। जब बारिश और बाढ़ आती है तो तटबंध की मरम्मत की जाती है। - विजय सिंह। 09. नहर किसानों के लिए सिंचाई का साधन है, जबकि इसमें सिंचाई करने के समय पानी ही नहीं रहता है जिससे किसान चाह कर भी खेती नहीं करते हैं। नहर में पानी समय पर छोड़ जाना चाहिए। इससे काफी राहत होगी। - चंद्रशेखर तिवारी। 10. बरसात में जब नहर उफनती और वहां से निकलने में दिक्कत होती है। जबकि नहर के तटबंध को नहीं बनाया जा रहा है। तटबंध मजबूत होनी चाहिए। मजबूत रहने से भविषय में परेशानी नहीं होगी। - सोनू ओझा। 11. कुछ लोग नहर किनारे में ही केला, ककडी आदि रोपे हुए हैं जिससे नहर सिकुड रही है। नहर क्षेत्रीय लोगों के लिए एक धरोहर है। नहर में कूड़े फेंके जाते हैं। कचरा फेंकने का काफी दुष्परिणाम सामने आता है। - चंद्रशेखर सिंह। 12. बरसात में नहरें बड़ी समस्या बनती है। बाढ़ आने से किसानों की फसल डूब जाती है। लोगों को घरों से निकलना मुश्किल हो जाता है। बच्चों को पानी में डूबने का डर बना रहता है। बरसात पूर्व बांध मरम्मत होनी बाहिए। - मनीष राय। 13. नहरों में छठ के अर्घ दान के समय पानी ही नहीं रहता। इससे लोगों को दरवाजे पर गड्ढे खोदकर पर्व का अनुष्ठान करना पड़ता है। जरूरत के समय देखकर नहर में पानी छोड़ा जाए। - शंभूनाथ सुरोपम। 14. नहर की सुंदरता पानी से है, जबकि इसमें कभी पानी नहीं रहता है। बरसात में सिर्फ पानी छोड़ने से बाढ़ आती है। नहर में हमेशा पानी छोड़ने की जरूरत है। इससे सभी किसानों को लाभ होगा। - रामकृष्ण तरुण। 15. नहर में पशु ही नहीं आमजन भी स्नान करते हैं, सीवान सहित आसपास से गुजरने वाली किसी भी नहरों में पानी नहीं रहता। सिर्फ बरसात के समय में पानी छोड़कर परेशानी खड़ी की जाती है। - प्रकाश सिंह। 16. नहरों में घास उग आते हैं जिसमें गाद भर गई है। साथ ही घास फूस उगने से पानी को आगे बढ़ने में अवरोध पैदा होता है। नहर की सफाई होनी चाहिए। सफाई होने से पशुओं को पानी के लिए दिक्कत नहीं होगी। - मनोज कुमार। 17. गंडक नदी में बरसात में उस वक्त ज्यादा पानी आ जाता है, जब जरूरत नहीं होती। मरम्मत की जरूरत है। सारण जिले की सभी नहरों के तटबंध जर्जर हैं। बरसात में पानी आने पर बाढ़ पैदा हो जाती है। - नागेंद्र सोनी। 18. नहर के तटीय क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की जरूरत पड़ती है। जबकि नहर हमेशा धोखा देती है। कभी भी इसमें पानी नहीं रहता। जब फसल तैयार रहती है तब नहीं आता है पानी। उस वक्त आता जब किसान की फसल बर्बाद होती हैं। - अंशु सोनी। 19. नहर किनारे घर बनाकर रह रहे लोगों को इसके अस्तित्व को बचाने के लिए भी ध्यान देना चाहिए। नहर कूड़े-कचड़े से भरती जा रही है। तटबंध के जर्जर होने से बाढ़ की स्थिति बनती है। नहर में गंदगी नहीं रहनी चाहिए है। - राजेंद्र उपाध्याय। 20. बरसात के दिनों में नहर किनारे घर रहने से समस्या होती है। नहर पानी के लिए खोदा गया था लेकिन इसमें समय से पानी ही नहीं आता। बरसात में पानी छोड़कर तबाही मचाई जाती है। इसके लिए उपाय करना होगा। - विजय सिंह।

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