हाट-बाजारों में पहुंचने लगे धान के विभिन्न किस्मों के बीज
रघुनाथपुर, एक संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र में अमूमन जून के प्रथम सप्ताह में ही बिचड़ा डालने का काम शुरू होता है। लेकिन, कई किसान रोहिणी नक्षत्र में ही धान का बीज डालना शुरू कर देते हैं। किसानों की माने...

रघुनाथपुर, एक संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र में अमूमन जून के प्रथम सप्ताह में ही बिचड़ा डालने का काम शुरू होता है। लेकिन, कई किसान रोहिणी नक्षत्र में ही धान का बीज डालना शुरू कर देते हैं। किसानों की माने तो धान का बिचड़ा डालने के लिए रोहणी नक्षत्र को ही उत्तम माना गया है। किसान अपने बिचड़ा के खेत को किसान तैयार कर रहे हैं। बाजारों में अलग-अलग वेरायटी के बीज पहुंचने लगे हैं। बिचड़ा का खेत तैयार करने के साथ ही किसान धान के बीज डालने की अब प्लानिंग भी शुरू कर दिए हैं।जिले के सभी प्रखंडों के बाजारों में स्थित बीज की दुकानों पर सप्ताह भर के अंदर बीज उपलब्ध होने लगेगा।
किसान विभिन्न तरह के धान के बीज की खरीदारी समय से ही करेंगे। इस साल मानसून बेहतर रहने की उम्मीद की गई है। इसे लेकर किसान भी पर्याप्त मात्रा में बीज लेकर बिचड़ा डालने की तैयारी कर रहे हैं। बाजार से बीज खरीदने के लिए अभी से ही रुपये-पैसे का सभी इंतजाम कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार बीज की दुकानों पर हाइब्रिड बीज की ही मांग अधिक है। हालांकि, चंवरी इलाके के किसान सोना मंसूरी, राजेन्द्र मंसूरी और सोनम आदि किस्म के बीज खरीदते हैं। बता दें कि प्रखंड क्षेत्र में किसान धान की खेती में काफी रुचि लेते हैं। रोहिणी नक्षत्र में ही जिले के दरौली प्रखंड में भी धान का बिचड़ा तैयार करने का काम शुरू कर दिया जाता है। 25 मई से रोहणी नक्षत्र चढ़ रहा है। इसमें अब मात्र 6 दिन ही शेष रह गया है। सिंचाई की समस्या किसानों के लिए नासूर बनी पानी की कमी के चलते ही अधिसंख्य किसान रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज डालने से वंचित रह जाते हैं। जबकि यह सीजन बिचड़ा के लिए उत्तम होता है। किसान ध्रुव प्रसाद ने कहा कि सिंचाई की समस्या उनके लिए आज भी नासूर बनी हुई है। धान का बिचड़ा समय से डालने से समय पर इसका उत्पादन भी हो जाता है। अधिकतर किसान मानसून के दस्तक देने के बाद ही डालते हैं बिचड़ा। जिले में अमूमन 15 जून के आसपास मानसून दस्तक देता है। इसी को देखते हुए किसान सप्ताह भर पहले से बिचड़ा डालना शुरू करते हैं। किसान फिलहाल बारिश होने या भूमिगत जल स्त्रोत से बीज डाल पाते हैं। वर्तमान समय में जहां नहर है, उसी क्षेत्र किसानों रोहणी नक्षत्र में धान का बीज डालते हैं। इधर, धान की खेती करने के लिए किसान अभी से ही मोटर मशीन व अपने ट्रैक्टर की मरम्मत भी करा रहे हैं।
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