बेकार पड़ी चंवरों की जमीन में तालाब बना मछली पालन को मिलेगा बढ़ावा
सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता।सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। राज्य के सीवान जिले में चंवर क्षेत्र के बढ़ते महत्व को अब राज्य सरकार के बाद केन्द्र सरकार ने भी स्वीकारा है। इसके तहत पूरे बिहार में सिर्फ...

सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। राज्य के सीवान जिले में चंवर क्षेत्र के बढ़ते महत्व को अब राज्य सरकार के बाद केन्द्र सरकार ने भी स्वीकारा है। इसके तहत पूरे बिहार में सिर्फ सीवान जिला का चयन चंवर क्षेत्र के लिए किया गया है। बताया जा रहा कि केन्द्र सरकार चंवर विकास योजना के तहत सीवान जिले के चंवरों का चयन की है। इसका उद्देश्य जिले में बेकार पड़ी चंवरों की जमीन में तालाब बनाकर मछली पालन को बढ़ावा देना व चंवर क्षेत्र की बेकार पड़ी जमीनों को उपयोगी बनाना है। इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए जिले में चंवर क्षेत्र को विकसित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।
मछली उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार सृजित कर मछली पालकों को आत्मनिर्भर बनाने के अवसर तलाशे जा रहे हैं। योजना के सफल होने से जहां सीवान जिला मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा वहीं दूसरी तरफ अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। चंवर क्षेत्र के विकसित होने से मछली पालन के साथ-साथ कृषि बागवानी व कृषि वानिकी के क्षेत्र में उत्पादन व उत्पादकता में भी वृद्धि की जा सकेगी। तीन दिवसीय दौरे पर सीवान पहुंची टीम कर रही चंवरी क्षेत्र का निरीक्षण जिले के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है कि केन्द्र सरकार ने चंवर विकास योजना के तहत सीवान जिले के चंवरों का चयन किया है। अब वैज्ञानिकों की टीम चंवर क्षेत्र का निरीक्षण कर तकनीकी व भौगोलिक जानकारी प्राप्त कर रही है। बताते हैं कि इन दिनों वैज्ञानिकों की टीम तीन दिवसीय दौर पर है। सीवान जिला के तहत चौर मात्स्यिकी के विकास के लिए गैप एनालिसिस स्टडी फॉर क्लस्टर वेटलैंड डेवलपमेंट इन सीवान के लिए आईसीएआर सीआईएफआरआई बैरकपुर पश्चिम बंगाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ए के दास व वरीय वैज्ञानिक डॉ. लिआंथुअलमुइया तीन दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम के दौरान जिला मत्स्य पदाधिकारी अर्पणा कुमारी गोरेयाकोठी के दुधड़ा व भगवानपुर हाट के विभिन्न चंवरों का निरीक्षण की। इसके लिए दुधड़ा चौर स्थित लगभग 60 -70 तालाबों का भौतिक निरीक्षण किया गया है। 40 की संख्या में उपस्थित किसानों के बीच तालाब के पानी की जांच व मिट्टी जांच की गयी है। इसकी ड्रोन से सभी एक्टिविटी की वीडियोग्राफी ली गयी। इस दौरान डॉ. एके दास ने बताया कि केन्द्र सरकार बिहार के सीवान जिला में चौर भूमि की अधिकता को देखते हुए चौर मात्स्यिकी विकास कार्य परियोजना तैयार कर रही है। इसका मुख्य उद्देश्य अविकसित व अव्यवह्रत निजी चौर भूमि को विकसित कर मत्स्य पालन योग्य बनाना है। सरकार इस योजना को धरातल पर उतार कर मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार सृजित कर मछली पालकों को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। उन्होंने बताया कि इस योजना के सफल क्रियान्वयन होने से जहां एक तरफ सीवान जिला मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा वहीं दूसरी तरफ अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इससे मछली पालन के साथ-साथ कृषि बागवानी व कृषि वानिकी की कर उत्पादन व उत्पादकता में भी वृद्धि की जा सकेगी। वैज्ञानिकों ने बताया कि तीन दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम के दौरान सीवान जिला के सभी चौर से संबंधित किसानों में जागरुकता अभियान व संसाधनों की पहचान कर क्रियान्वयन परियोजना तैयार किया जाना है। इसी क्रम में किसानों ने अपनी -अपनी समस्याएं वैज्ञानिकों के बीच रखी। किसानों की समस्याओं का निदान वैज्ञानिकों ने आंन द स्पॉट किया गया। किसानों को उनकी आमदनी बढ़ाने व मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के सुझाव दिए गए। मौके पर उप मत्स्य निदेशक सारण परिक्षेत्र छपरा सुमन कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी अर्पणा कुमारी, नाबार्ड के डीडीएम शशांक शेखर, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी मत्स्य निदेशालय अमरजीत कुमार, मत्स्य विकास पदाधिकारी अभिजीत कुमार, प्रणव शंकर प्रवीण व मनोज कुमार आदि उपस्थित थे। भगवानपुर में चंवरों की जमीन का केन्द्रीय टीम ने किया निरीक्षण भगवानपुर प्रखंड की प्रखंड की बेकार पड़ी चंवरों की जमीन में तालाब बनाकर मछली पालन कर उपयोगी बनाने को लेकर केन्द्रीय टीम ने चंवर मत्स्कीय विकास योजना के तहत बुधवार को विभिन्न चंवरों का निरीक्षण किया। टीम के सदस्यों ने प्रखंड क्षेत्र के महम्मदपुर चंवर, कौड़िया चंवर, नगवां चंवर तथा बहियारा चंवर का निरीक्षण किया। वैज्ञानिकों ने महम्मदपुर व बहियारा चंवरों में बनाए गए तालाबों का निरीक्षण कर पानी व मिट्टी की जांच की। मछली पालन कर रहे किसानों ने मत्स्य उत्पादन और बिक्री में आने वाली समस्या को साझा किया। मौके पर मत्स्य प्रसार पदाधिकारी अमरजीत कुमार, मत्स्य विकास पदाधिकारी अभिजीत कुमार व अन्य लोग थे। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अर्चन कुमार दास ने बताया कि केन्द्र सरकार ने बिहार राज्य के सीवान जिला में अत्यधिक चंवर भूमि होने के कारण चंवर मत्स्कीय विकास के लिए कार्ययोजना तैयार कर रही है। इसका मुख्य उद्वेश्य अविकसित एवं बेकार पड़ी चंवर की निजी भूमि को विकसित कर मछली पालन योग्य बनाना है। सरकार इस योजना को धरातल पर उतार कर मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार सृजित कर किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है।
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