संस्मरण : विकट परिस्थिति में भी जवानों ने संभाला था मोर्चा
पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद, पूर्व सैनिकों ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की मांग की है। रिटायर्ड सूबेदार भूपेंद्र कुमार तिवारी ने कारगिल युद्ध के अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने पाकिस्तानी...

गुठनी, एक संवाददाता। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सरकार द्वारा पाकिस्तान पर किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर पूर्व सैनिकों ने अपनी मनसा और राय प्रकट की है। प्रखंड के बलुआ गांव निवासी रिटायर्ड सूबेदार भूपेंद्र कुमार तिवारी ने भी कारगिल युद्ध के यादों को साझा किया है। उन्होंने उस विकट परिस्थिति को याद करते हुए कहा कि अचानक पंजाब से उनकी फौज को राजस्थान के पोखरण में मूव करने का हेड क्वार्टर से आर्डर आया। उनकी यूनिट की एक कंपनी पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों के लिए रवाना हो गई। हालांकि, पाकिस्तान द्वारा राजस्थान के एरिया में किसी तरह की कोई सैन्य कारवाई नहीं की गई।
लेकिन, कारगिल में किसी भी फौजी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि दुश्मनों की पोजिशन क्या है। उनकी संख्या कितनी है। वह किन-किन चोटियों पर कब्जा किए हुए हैं। वे उसे रात की घटना को याद करके सिहर जाते हैं। जिसमें कई सैनिक अपने जीवन की आहुति दे दिए। उन्होंने कहा कि कारगिल में सरकार द्वारा काउंटर इनसरजेंशी का आदेश दिया गया था। इसके बाद कई चोटियों को पाकिस्तानी सैनिकों से मुक्त कराया गया। उन्होंने इस युद्ध में बढ़-चढ़कर भी हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि उन्होंने कुपवाड़ा जिले के रामबन में नवीन राष्ट्रीय राइफल में भी अपनी सेवाएं दी है। उसे समय आतंक अपनी चरम सीमा पर था। उन्होंने केंद्र सरकार से ऑपरेशन सिंदूर की तहत पाकिस्तान में सीधी कार्रवाई की मांग की। और कहा कि पाकिस्तान से किसी तरह की समझौता और बातचीत उचित नहीं होगा। उन्होंने पाकिस्तान द्वारा भारतीय क्षेत्र पर लगातार हो रहे हमले पर भी आपत्ति जताई। कहा कि अब सेना को खुली छूट दी जानी चाहिए।
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