सुपौल : अधर में लटका है झील का निर्माण कार्य
वीरपुर में मानसरोवर झील परियोजना पांच सालों से अधूरी है। यह झील क्षेत्रवासियों के लिए रोजगार और पर्यटन का स्रोत बन सकती थी, लेकिन फंड की कमी से काम रुका हुआ है। 2020 में जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हुआ...
वीरपुर, एक संवाददाता। वीरपुर को पर्यटन के मानचत्रि पर पहचान दिलाने वाली परियोजना मानसरोवर झील पांच साल का वक्त गुजर जाने के बाद आज भी अधूरा पड़ा है। यह मानसरोवर झील क्षेत्रवासियों के लिए आकर्षण और रोजगार का स्रोत बन सकती थी, लेकिन काम पूरा नहीं होने के कारण यहां के लोगों का यह सपना फिलहाल अधूरा है। लोग इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं किये जाने से निराश हैं। साल 2020 में स्थानीय विधायक सह तत्कालीन वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार सिंह के प्रयास से मानसरोवर झील के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हुआ। इसके लिए शुरुआती तौर पर 10 करोड़ रुपये मिले और बाद में चहारदिवारी नर्मिाण के लिए 1.2 करोड़ की अतिरक्ति राशि का प्रावधान किया गया। राशि की कमी के चलते परियोजना का काम बार-बार बाधित हुआ। वर्तमान में झील का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, लेकिन फंड की कमी के कारण दो साल से काम ठप पड़ा है। लोगों को उम्मीद थी कि नए साल 2025 में झील का उद्घाटन होगा और वे झील परिसर में नए साल का पिकनिक मनाएंगे, लेकिन अधूरे काम के चलते यह मुमकिन नहीं हो पाया। झील के जीर्णोद्धार से कई प्रकार की संभावनाएं: 1987 में सहरसा के तत्कालीन डीएम ने 32 एकड़ भूमि पर मानसरोवर झील (पहले मैत्री झील) का नर्मिाण कराया था। अब झील के कायाकल्प की योजना में वोटिंग घाट, मेडिसिनल गार्डन, बटरफ्लाई गार्डन, जापानी गार्डन, कैफेटेरिया और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं। इसके अलावा लेक आईलैंड और लिली पाउंड जैसे आकर्षण झील को पर्यटकों के लिए और खास बनाए जाने की योजना है। झील का विकास वीरपुर को पर्यटन के मानचत्रि पर स्थापित कर सकता है। बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने से व्यापार और रोजगार में उन्नति की राह मिल सकती है। नेपाल से सटे होने के कारण यहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटकों को आकर्षित करने की संभावना है।
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