बोले सीवान : बंद पड़े चीनी मिल चालू होंगे तो बढ़ेगी गन्ना उत्पादक किसानों की आमदनी
सीवान जिला, जो पहले गन्ना उत्पादन में अग्रणी था, अब मिलों के बंद होने से किसान परेशान हैं। गन्ने की उचित कीमत नहीं मिल रही और परिवहन की समस्या भी है। किसानों को राज्य से सहायता नहीं मिल रही, जिससे...
सीवान जिला कभी गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में पूरे बिहार में अपना स्थान रखता था। खास करके जिले के दक्षिणाखंड दरौली से लेकर सिसवन तक 75 किलोमीटर के दायरे में नदी के तटीय इलाके गन्ना के उत्पादन में जिले में अव्वल हुआ करता था। जिले की चंवरी अथवा दहतर इलाके जहां एक ही फसल का उत्पादन होता था। वहां भी बड़े पैमाने पर गन्ना की खेती होती थी। यही कारण है कि अजादी के पूर्व ही जिले में तीन चीनी मिलों की स्थापना की गई। लेकिन धीरे-धीरे किसान गन्ना की खेती से अपना मुंह मोड़ने लगे क्योंकि उनके सामने कोई समस्याएं आने लगी। सीवान में गन्ना किसानों की मुख्य समस्याओं में चीनी मिलों का बंद होना है। चीनी मिलों के बंद होने से गन्ने की उचित कीमत नहीं मिलता। अगर उत्पादन करे तो दूसरी जगह भेजने में परिवहन की समस्या आती है। बैंक या सहकारी समितियों से किसानों को सहायता या अनुदान नहीं मिलता है। चीनी मिलें बंद होने के कारण किसानों को अपने गन्ने को बेचने में परेशानी होने के कारण उन्हे खेती छोड़ना पड़ा। किसानों का कहना है सरकार से नि:शुल्क गन्ना बीज, सिंचाई के लिए बिजली और रियायती दर पर उर्वरक और कीटनाशक उपलब्ध नही होना भी किसानो की तकलीफ बढाया। गन्ना उत्पादकों को सबसे बडा झटका चीनी मिलों का बंद होने पर लगा। यहां तीन चीनी मिलें थी जो बंद हो गई हैं। मिलें जब बंद हुई, उस वक्त बहुत से किसानों ने खेतों में लगे गन्ने के जला दिया। क्योंकि, इसके खरीदारी कौन करे। किसान इसे कहां बेचे। इस नुकसान पर कोई सहायता भी नही मिले।
इससे किसानों को अपना गन्ना बेचने में परेशानी आने लगी। उन्हें कम कीमत मिलने से नुकसान उठाना पड़ा। फिर भी किसान गन्ने की खेती आज भी करते है। किसानों को गन्ने की उचित कीमत नहीं मिल पाने से उनकी आय कम होने लगी है। गन्ने की खेती की लागत बढ़ गई है। लेकिन किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है। पर्याप्त परिवहन की व्यवस्था नहीं है, जिससे किसानों को अपनी फसल को दूसरे जगह समय पर पहुंचाने में दिक्कत हो रही है। जिले के दक्षिणाखंड में अभी भी किसानों द्वारा गन्ने की खेती की की जाती है। इन गन्नों से किसान कई उत्पाद बनाते है जिसका सही कीमत किसानो को नही मिलता। गन्ना से मीठा या गुड़, राब, सिरका सहित अन्य का उत्पादन करते है। लेकिन इन उत्पादों के लिए बड़े पैमाने पर बाजार के नहीं होने से किसानों को आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता।
चीनी मिलों को चालू करने की मांग
बंद चीनी मिलों को फिर से चालू करके किसानों को आर्थिक मदद की जा सकती है। किसानो को अपनी फसल बेचने का एक उचित माध्यम मिलता अगर चीनी मिलें चालू हो। सरकारी सुनिश्चित दर का लाभ मिलता तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता। चीनी मीले चालू होना चाहिए। किसानों ने कहा कि जो किसान आज भी गन्ने की खेती करते हैं, उन्हे गन्ने की खेती के लिए उन्नत तकनीक और जानकारी प्रदान करनी चाहिए। सरकार को किसानों को नि:शुल्क गन्ना बीज, सिंचाई के लिए बिजली, और रियायती दर पर उर्वरक और कीटनाशक उपलब्ध कराना चाहिए। कई बार चीनी मिलों के बंद होने के मुद्दे पर हाय तौबा मचा। विपक्ष व सरकार इस मुद्दे पर लगातार एक - दूसरे पर आरोप - प्रत्यारोप लगाते रही। सरकार सबकी बनी मगर किसी ने इसे चालू नही किया। क्योंकि, चीनी मिलों के बंद होने की वजह से किसानों और मिलों में काम करने वाले कर्मियों की जिंदगी बदहाल हो गयी। इन मिलों से हजारों कामगार और किसानों का जुड़ाव थे। लेकिन मिल के बंद हो जाने से मजदूर, कर्मचारी और गन्ने की खेती करने वाले किसान बेरोजगार हो गए हैं। उस समय सीवान में अनुमानतः 15 से 20 हजार हेक्टेयर तक गन्ने की खेती हुआ करती थी। लेकिन, एक-एक कर 1994 के आसपास तीनों चीनी मिल बंद हो गईं और इससे जुड़े हजारों किसानो ने खेती छोड़ दी। यहां के किसान करीब 90 लाख क्विंटल तक गन्ने का उत्पादन करते तो जो अब घट कर काफी कम हो गया है।
लवारिस पशुओं से फसल को मिले सुरक्षा
गन्ना का उत्पादन बढ़ाने और इसका लाभ किसानों को मिले, इस पर कई काम करने होंगे। किसानो ने कहा कि यहां गन्ना आधारित प्रोसेसिंग यूनिट की आवश्यकता है। बंद चीनी मीलो को पुनः चालू करने की जरूरत है। वैसे इलाके जहां उत्पादन नहीं है। वहां प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर इसका बढावा हो। जिन क्षेत्रों में इसका उत्पादन होता है। वहा की फसल की सुरक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है। लवारिस मवेशियों व सुअरो की वजह से किसान परेशान हैं। इससे निजात दिलाने में स्थानीय प्रशासन को आगे आने की जरूरत है। पंचायतों को भी किसानो को मदद करनी चाहिए। किसानों के लिए उचित व सरकारी दर पर खाद-बीज की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
चीनी मिल बंद होने सें हुआ व्यापक प्रभाव
सीवान के तीनों चीनी मिलों बंद होने के कारण जहां मिलों में काम करने वाले कर्मचारी बदहाल हुए वहीं किसान भी इस समस्या से काफी परेशानी हैं। जिले की भूमि गन्ने की खेती के लिए काफी उपजाऊ है। जिसके कारण जिले में तीन-तीन चीनी मिलों की स्थापना कराई गई थी। लेकिन अब गन्ने की खेती करने वाले किसान बदहाली का दंश झेल रहे हैं। गन्ना उत्पादन के कारण जिला कभी एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। आज यहां एक छोटा कारखाना भी नहीं है। तीन-तीन चीनी मील बंद पड़ी हुई हैं। ऐसे में अगर आज भी सरकार इस तरफ योजनाबद्ध तरीके से पहल करती तो किसानो को बड़े-बड़े न सही छोटे उद्योगों के रूप में रोजगार मुहैया कराया जा सकता है।
प्रस्तुति- शैलेश कुमार सिंह, रितेश कुमार ।
शिकायतेः ---
1--गन्ने की खेती में ज़्यादा निवेश करना पड़ता है, लागत अधिक व बचत कम होता है।
2--गन्ने की खेती में दो और फ़सलें नहीं लगाई जा सकतीं,
3--गन्ने की कटाई का समय बारिश के मौसम में आता है, जिससे गन्ने का वज़न कम हो जाता है।
4--गन्ने की खेती के बाद गन्ना बेचने में दिक्कत आती है। खरीदार नही मिलते।
5--गन्ना किसानों की समस्याओं का समाधान सरकारी स्तर पर नही है।
सुझावः--
1-- उत्पादित गन्ने का उचित दाम मिले व किसानों को प्रोत्साहन राशि
2--गन्ने की खेती में होने वाले खर्चों को कम करने के लिए सरकारी सहायता मिले।
3--गन्ने की कटाई में लगने वाले श्रम की लागत कम हो।
4--गन्ने की खेती में होने वाले पानी की खर्चे को कम करने के लिए कम दर पर बिजली मिले।
5--बंद चीनी मिलों को जल्द से जल्द चालू करने की जरूरत है।
हमारी भी सुनिए
1. सीवान में गन्ने की खेती अच्छी-खासी किसान कर लेते हैं। लेकिन इसके उत्पादन करनेवाले किसानों को सरकारी स्तर से अनुदान नहीं दिया जाता है। इस वजह से किसान गन्ने की बुआई कम कर दिए हैं।
शंकर यादव
2. गन्ने की फसल की खरीदारी भी सरकारी दर पर होती तो बेहतर होता। किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराया जाए। इससे गन्ना की पैदावार में वृद्धि होगी और किसानों को उचित लाभ मिलेगा।
सीताराम माली
3. सीवान में भी एक गन्ना अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र होना चाहिए। जिससे समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जा सके। कृषि विज्ञान केन्द्र भगवानपुर हाट से किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
विनोद कुमार यादव
4. गन्ना उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए क्रय केन्द्र और प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना की जानी चाहिए। इससे किसानों का समय पर फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी।
जितेंद्र शर्मा
5. गन्ना के उत्पादन करने वाले किसानों के लिए सरकार को सहायता उपलब्ध करानी चाहिए। समय से किसानो के गन्ने का उठाव हो, खेतों में ही गन्ना बेचकर इसका सीधा लाभ प्राप्त कर सके।
सुशील कुमार
6. जिले के दियारे इलाके में गन्ना की पैदावार अच्छी होती है। खेतो में एक बार गन्ना लगाने पर तीन साल तक फसल मिलती है। किसानों को प्रमाणित बीज नही मिल पाता है।
रामनाथ साह
7. उचित मूल्य पर सही बीज की उपलब्धता से गन्ना उत्पादन में वृद्धि होगी। यहां गन्ना आधारित उद्योग लगाने से किसानों को सही कीमत मिल सकेगा। सहकारी समितियों को भी इसमें दिलचस्पी लेनी चाहिए।
अक्षयलाल यादव
8. गन्ना आधारित उद्योग लगने से यहां के कई लोगों को इसमें रोजगार भी प्राप्त होगा। इससे यहां के किसानों को तो फायदा होगा ही पशुपालकों को भी चारा मिलेगा। इससे क्षेत्र की आर्थिक रूप से तरक्की भी होगी।
आमेरिकन यादव
9. रघुनाथपुर, सिसवन, आंदर, दरौली और गुठनी प्रखंड क्षेत्र में फैला दियारे एक बहुत बड़ा हिस्सा गन्ना की खेती के लिए योग्य है। दियारे के किसान खरीफ एवं रबी सीजन के साथ-साथ गन्ने की बुआई करते है।
पिन्टु सिंह
10. जिले में पशुपालन भी होता है। इस लिहाज से यहा रहा गन्ना खेती को बढावा की जरूरत है। गन्ना सें गुड़ व अन्य उत्पाद तैयार करने के लिए यहां पर एक यूनिट की स्थापना जरूरी है। इससे गन्ना से जुड़े किसानों को भी फायदा मिलेगा।
ई. ओमप्रकाश यादव
11. गन्ने की फसल को लवारिस मवेशियों और जंगली सुअरों से इन दिनों खतरा बढ़ गया है। झुंड के झुंड सुअर खेतों में पहुंचकर गन्ने की फसल को बर्बाद कर रही हैं। ऐसे में खेतों की घेराबंदी भी अब जरूरी हो गया है।
नन्दजी प्रसाद
12. जंगली सुअर के आतंक से परेशान किसान गन्ने की खेती भी दियारे में कम करना शुरू कर दिए हैं। अवार पशुओं व जंगली सुअरों से गन्ने की फसल को बचाना जरूरी है।
राजेश कुमार
13. सरकार किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है। सुअरों को मारने में विभाग की दिलचस्पी नही है और नही कोई कारगर दवा जिससे इन पर किसान काबू पा सके।
सुरेश यादव
14. गन्ना में गलन, फफुंद, व कीट से बीमारी किसान के लिए बना चिंता का विषय बनते जा रहा है। कुछ साल से इस बीमारी से किसान परेशान है। इसका समाधान कृषि वैज्ञानिकों को करके किसानों को बताना चाहिए।
ब्रज किशोर यादव
15. जिले के बंद पड़े तीनों चीनी मिलों को चालू किया जाना चाहिए। मिल चालू होगी तो किसानों को आर्थिक लाभ होगा। गन्ना का उत्पादन पर किसान का ध्यान जाएगा।
चन्द्रशेखर
16. चीनी मिल बंद होने से किसानो का ध्यान व्यवसायिक फसलों के उत्पादन से हटा है। किसानों का दर्द नही सरकार समझ रही है और न ही इसके लिए जिम्मेदार कोई अधिकारी समझ रहे हैं।
बिरेन्द्र यादव
17. गन्ना की फसल के लिए सात से आठ सिंचाई की जरूरत होती है। पानी आजकल महंगा हो गया है। प्रतिघंटे 200 रुपये या इससे अधिक खर्च करना पड़ता है। ऐसे में सरकार किसानों को बोरिंग और पंपसेट का लाभ दे।
आदित्य नारायण सिंह
18. जिले के चंवरी इलाके की भूमि बहुत ही उर्वरा है। सरकार आर्थिक लाभ मुहैया कराए तो किसान गन्ना की खेती बड़े पैमाने पर कर सकते है। किसान भी प्रयास करेंगे। और उनकी आर्थिक तंगी खत्म होगी।
सुनील कुमार सिंह
19. गन्ना और उससे बने उत्पाद सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है। छठपूजा व विभिन्न त्योहारों पर इसके उत्पाद बेचे जाते है। कई तरह के व्यंजन इससे बनते है। व्यवसायिक फहलो की श्रेणी में गन्ना भी आता है।
अखिलेश बहादुर
20. गन्ना की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक और खर-पतवार नाशक दवा की खरीद पर अनुदान की व्यवस्था होनी चाहिए। तभी हम गन्ना का अधिक से अधिक हिस्से में उत्पादन कर सकेंगे।
अनिल सिंह
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प्रस्तुति- शैलेश कुमार सिंह, रितेश कुमार ।
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