गले की फांस बना परिवहन विभाग का यह नियम, लाखों गाडियां कबाड़ बनने के कगार पर
गाड़ियों की रि-रजिस्ट्रेशन के लिए खरीद के कागजात मांगे जा रहे है। पुराना पेपर नहीं दे पाने पर फिटनेस टेस्ट पास होने के बावजूद राज्य मुख्यालय से आवेदन अटक जा रहे या लौटा दिए जा रहे हैं।

परिवहन विभाग का पुरानी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर नया नियम वाहन मालिकों के गले की फांस बन गया है। रि-रजिस्ट्रेशन के लिए उनसे पहली बार कराए गए बीमा और सेल डीड के कागजात मांगे जा रहे हैं। इतना पुराना पेपर नहीं दे पाने पर फिटनेस टेस्ट पास होने के बावजूद राज्य मुख्यालय से आवेदन अटक जा रहे या लौटा दिए जा रहे हैं। सिर्फ में दो हजार से अधिक वाहन मालिकों का आवेदन छह महीने से लटका हुआ है। राज्य में इनकी संख्या लाख में है। इन गाड़ियों का रि-रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो कबाड़ बन जाएंगी। वाहन मालिकों को काफी नुकसान होगा।
केंद्रीयकृत व्यवस्था होने के कारण अब इस पर मुख्यालय स्तर पर ही निर्णय लिया जा रहा है। एक महीने में ही ऐसे एक सौ आवेदनों को मुख्यालय स्तर से निरस्त कर दिया गया है। विभाग से जुड़े कर्मियों ने बताया कि अब रि-रजिस्ट्रेशन के दौरान एक भी कागजात कम होने पर स्वीकृति मुख्यालय स्तर से लेनी होती है। वाहन मालिकों द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज स्कैन कर विभाग की साइट पर अपलोड कर दिया जाता है। अंतिम निर्णय मुख्यालय से ही होता है।
5 माह बाद लौटाया आवेदन
अंडीगोला निवासी सेवानिवृत्त बैंककर्मी राजेंद्र प्रसाद के चारपहिया वाहन के पहले रजिस्ट्रेशन की मान्याता अप्रैल में समाप्त हो गई। उन्होंने नवंबर में ही इसके लिए आवेदन दिया था। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में उनका आवेदन यह कह कर लौटा दिया गया कि इसके साथ पहली बार कराए गए बीमा के दस्तावेज नहीं हैं। प्रसाद ने बताया कि उनके पास गाड़ी का वर्तमान बीमा और प्रदूषण प्रमाणपत्र होने के बावजूद आवेदन निरस्त किया जाना समझ से परे है।
कहां से लाएं कागजात ?
आमगोला के कुमार आशुतोष ने बताया कि वे अपनी पुरानी बाइक के रि-रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने डीटीओ कार्यालय गए। पहली बीमा के अलावा इनवॉयस और सेल डीड के कागजात मांगे गए, जो उनके पास नहीं हैं। सेल डीड तो गाड़ी खरीदने के बाद रजिस्ट्रेशन कराते समय ही वाहन डीलर द्वारा विभाग को भेज दिया जाता है। ऐसे में बाइक का रि-रजिस्ट्रेशन मुश्किल लग रहा है। इनके अलावा कुल 2368 वाहन मालिक अपने आवेदन के स्वीकृति का इंतजार कर रहे हैं।
पहली बीमा के कागजात मांगने से लोगों को परेशानी आ रही है। पहले जिला स्तर पर ही ऐसे आवेदनों का निपटारा हो जाता था। रि-रजिस्ट्रेशन के नाम पर पिछले दिनों हुई कई गड़बड़ियों को देखते हुए विभाग ने अब मुख्यालय स्तर से ही इसका निर्णय लेने का आदेश दिया है। - कुमार सत्येंद्र यादव, जिला परिवहन पदाधिकारी