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Groww IPO: एक स्टार्टअप का स्टॉक मार्केट में डेब्यू की तैयारी, गोपनीय तरीके से किया आवेदन

Groww IPO: ग्रो की मूल कंपनी बिलियनब्रेन्स गैरेज वेंचर्स ने सेबी के साथ अपने IPO के लिए गोपनीय तरीके से आवेदन किया है। यह आवेदन एक ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के रूप में था।

Drigraj Madheshia लाइव हिन्दुस्तानMon, 26 May 2025 11:02 AM
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Groww IPO: एक स्टार्टअप का स्टॉक मार्केट में डेब्यू की तैयारी, गोपनीय तरीके से किया आवेदन

Groww IPO: ग्रो की मूल कंपनी बिलियनब्रेन्स गैरेज वेंचर्स ने 24 मई, 2025 को एक बड़ा कदम उठाया। इसने सेबी के साथ अपने IPO के लिए गोपनीय तरीके से आवेदन किया। यह आवेदन एक "ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस" (DRHP) के रूप में था। इसका मतलब है कि कंपनी ने अपने IPO की योजना को अभी सार्वजनिक नहीं किया है, बल्कि सेबी से चुपचाप मंजूरी लेने की कोशिश की है।

बेंगलुरु में 2016 में फ्लिपकार्ट के पूर्व कर्मचारियों हर्ष जैन, ललित केशरे, नीरज सिंह और ईशान बंसल ने एक निवेश प्लेटफॉर्म ग्रो की शुरुआत की। यह प्लेटफॉर्म छोटे निवेशकों को शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और डिजिटल गोल्ड में निवेश करने में मदद करता है। आज, ग्रो भारत का सबसे तेजी से बढ़ता रिटेल ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म बन चुका है। एक छोटे स्टार्टअप ने मेहनत और तकनीक की ताकत से बाजार में धूम मचा दी। अब वह दुनिया को दिखाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।

लक्ष्य: कंपनी ₹5,800 करोड़ से ₹8,300 करोड़ ($700 मिलियन से $1 बिलियन) जुटाना चाहती है।

शेयरों का प्रकार: इसमें नए शेयर (फ्रेश इश्यू) और मौजूदा शेयरधारकों की बिक्री (OFS) शामिल होगी।

पैसे का उपयोग: टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करने और बिजनेस को बढ़ाने में।

वित्तीय उतार-चढ़ाव

2023-24 के साल में ग्रो ने रेवेन्यू में 119% की छलांग लगाई (₹1,435 करोड़ से ₹3,145 करोड़)। ऑपरेटिंग प्रॉफिट भी ₹458 करोड़ से बढ़कर ₹535 करोड़ हो गया। लेकिन, कंपनी को ₹805 करोड़ का नुकसान हुआ। इसकी वजह थी अमेरिका से भारत में अपना मुख्यालय शिफ्ट करने पर ₹1,340 करोड़ का टैक्स लगा। यानी, असल में कंपनी मुनाफे में थी, लेकिन टैक्स के कारण नुकसान दिखा।

बड़े निवेशक

ग्रो के पीछे हैं दुनिया की बड़ी कंपनियां

पीक XV (पहले सीक्वोया कैपिटल)

टाइगर ग्लोबल

माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्या नडेला।

हाल ही में सिंगापुर का सरकारी वेल्थ फंड GIC ने ग्रो में 2.14% हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई है।

ये भी पढ़ें:आज से खुल रहे हैं 2 कंपनियों के IPO, 6300 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी

क्यों गोपनीय आवेदन?

ग्रो ने जिस कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग रूट को चुना, वह आजकल भारतीय कंपनियों में ट्रेंड बन रहा है। इसके निम्नलिखित फायदे हैं...

1. सेबी से फीडबैक मिलता है, लेकिन योजना गुप्त रहती है।

2. IPO लॉन्च करने के लिए 18 महीने का समय मिलता है (पहले 12 महीने था)।

3. फंड की मात्रा को आखिरी समय तक 50% तक बदल सकते हैं।

इस रूट का इस्तेमाल टाटा कैपिटल, फिजिक्सवाला और बोट जैसी कंपनियों ने भी किया है।

Groww के मार्च 2025 तक 1.29 करोड़ एक्टिव यूजर्स थे। यह रिटेल ब्रोकिंग में नंबर 1 है और बाजार हिस्सेदारी 26.26% है। कंपनी ने हालिया अधिग्रहण के रूप में वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी फिसडॉम को खरीदकर सेवाओं का विस्तार किया है।

आगे की राह

ग्रो के IPO को जेपी मॉर्गन, कोटक महिंद्रा, और सिटीग्रुप जैसे बड़े बैंक संभाल रहे हैं। शेयरों की लिस्टिंग NSE और BSE पर होगी। अगर यह IPO सफल रहा तो यह भारतीय फिनटेक सेक्टर का सबसे बड़ा IPO बन सकता है।

बता दें गोपनीय आवेदन का मतलब यह नहीं कि IPO जरूर आएगा। बाजार की स्थिति देखकर कंपनी फैसला करेगी। पर अगर सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही आप ग्रो के शेयरों में निवेश कर पाएंगे।

कंपनी की सार्वजनिक घोषणा

यह सार्वजनिक घोषणा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ICDR नियम, 2018 के नियम 59C(5) के तहत जारी की जा रही है, ताकि जनता को सूचित किया जा सके कि कंपनी ने अपने इक्विटी शेयरों (हर एक का फेस वैल्यू ₹2) के प्रस्तावित प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के संबंध में "प्री-फाइल्ड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस" (Pre-filed Draft Red Herring Prospectus) सेबी और स्टॉक एक्सचेंजों के साथ जमा किया है। यह निर्गम स्टॉक एक्सचेंजों के मुख्य बोर्ड पर किया जाएगा। इस प्रॉस्पेक्टस को जमा करने का मतलब यह नहीं है कि कंपनी IPO अवश्य करेगी।

अमेरिका या अन्य देशों में प्रतिभूतियों की बिक्री के लिए यह कोई प्रस्ताव नहीं है। यह घोषणा केवल भारत में प्रकाशन के लिए तैयार की गई है। इसे अमेरिका या किसी अन्य देश में प्रकाशित या वितरित नहीं किया जाएगा। इक्विटी शेयर अमेरिकी प्रतिभूति अधिनियम, 1933 ("U.S. Securities Act") के तहत पंजीकृत नहीं हैं और न ही भविष्य में पंजीकृत किए जाएंगे।

अमेरिका या अमेरिकी नागरिकों (U.S. Persons) को इन शेयरों की बिक्री केवल नियम 144A और "योग्य संस्थागत खरीदारों" (Qualified Institutional Buyers) तक सीमित होगी। अमेरिका के बाहर, गैर-अमेरिकी निवेशकों को नियमन (Regulation S) के तहत प्रतिभूतियां प्रदान की जाएंगी। अमेरिका में कोई सार्वजनिक निर्गम नहीं होगा।

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