ट्रंप की 'दवा' से कोमा में शेयर बाजार, मिनटों में डूबे निवेशकों के 19 लाख करोड़
- भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट हुई, सेंसेक्स-निफ्टी 5% तक टूटे, जिससे निवेशकों के 19 लाख करोड़ डूब गए। ट्रंप टैरिफ और चीन की जवाबी कार्रवाई ने वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ाई। आईटी, मेटल्स सबसे ज्यादा प्रभावित।

ट्रंप टैरिफ के बाद चीन की जवाबी कार्रवाई से भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में सोमवार को हाहाकार मच गया। ट्रंप ने अमेरिका को एक्सपोर्ट करने वाले देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले को दवा बताया था, लेकिन मौजूदा परिस्थिति में इसके साइड इफेक्ट से मंदी की आशंका पैदा हो गई है और दुनियाभर के बाजारों में भारी बिकवाली हो रही। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी प्री-ओपनिंग में 5% तक लुढ़क गए थे। हालांकि बाजार खुलने के बाद निचले स्तर से थोड़ी रिकवरी हुई, दोनों प्रमुख सूचकांक 3% से अधिक गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे हैं। बाजारों में भारी उथल-पुथल से निवेशकों को करीब ₹19 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। आईटी, मेटल्स के शेयर सबसे अधिक दबाव में हैं। सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के शेयर रेड जोन में ट्रेड कर रहे हैं। टाटा समूह के शेयर्स काफी दबाव में दिखे। टाटा स्टील का शेयर 8 प्रतिशत से अधिक, जबकि टाटा मोटर्स का शेयर 10% की गिरावट में रहा। एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, इन्फोसिस, लार्सन ऐंड टूब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरे भी भारी नुकसान में रहे।
मंदी के डर से सहमे बाजार
एशियाई बाजारों में सोमवार को हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग करीब 11%, जापान का निक्की 225 करीब 7%, चीन का शंघाई एसएसई कंपोजिट 6% से अधिक और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी 5% की गिरावट में रहा। इससे पहले अमेरिकी बाजारों में भी शुक्रवार को भारी गिरावट दर्ज की गई थी। एसऐंडपी 500 में 5.97%, नैस्डैक कंपोजिट में 5.82% और डाउ में 5.50% की गिरावट आई थी। ट्रंप टैरिफों की घोषणा के बाद, जापान का निक्केई सूचकांक 6.5% गिरकर 31,591.84 पर बंद हुआ, जो डेढ़ साल का निचला स्तर है। चीनी ब्लू-चिप शेयरों में लगभग 7% की गिरावट आई और ताइवान के बाजार में 10% की भारी गिरावट दर्ज की गई।
इन गिरावटों के पीछे निवेशकों की यह चिंता है कि टैरिफ के कारण कीमतें बढ़ेंगी, मांग कमजोर होगी और मंदी का खतरा बढ़ेगा। ब्रेंट क्रूड 2.74 प्रतिशत लुढ़ककर 63.78 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।भारतीय शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुक्रवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 3,483.98 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। सेंसेक्स में पिछले सप्ताह 2,050.23 अंक यानी 2.64 प्रतिशत की गिरावट आई थी, जबकि एनएसई निफ्टी 614.8 अंक यानी 2.61 प्रतिशत फिसला था।
जीडीपी घटने का डर
जेपी मॉर्गन के अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि ट्रंप टैरिफ के कारण अमेरिकी जीडीपी में इस वर्ष 0.3% की कमी आ सकती है और बेरोजगारी दर बढ़ सकती है। निवेशकों को इस समय वेट ऐंड वॉच रणनीति अपनाने की सलाह दी गई है। अगर ये संकट बरकरार रहता है तो भारत की जीडीपी को भी आधे प्रतिशत तक के नुकसान का आकलन है। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के संजीव प्रसाद की रिसर्च टीम ने कहा है कि टैरिफ भले ही अस्थायी हों, लेकिन इससे कंपनियों और निवेशकों के लिए अनिश्चितता बढ़ रही हैं। उन्होंने आगे कह कि भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन आने वाले हफ्तों में इस बात पर निर्भर करेगा कि टैरिफ को लेकर सुलह होती है या फिर जवाबी कार्रवाई। इसके साथ ही घरेलू रिटेल और संस्थागत निवेशकों का रुख भी अहम रहेगा।
अब निवेशक क्या करें?
दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका अगर मंदी की चपेट में आता है, तो इसका असर पूरी दुनिया में होगा। विश्लेषकों का मानना है कि टैरिफ वॉर की शुरुआत तो हो चुकी है, लेकिन इसका अंत कब और कैसे होगा, यह कहना बेहद मुश्किल है। विभिन्न देश किस हद तक जवाबी कदम उठाएंगे और किन शर्तों पर समझौते होंगे, यह तय करेगा कि दुनियाभर के बाजार कब स्थिर होंगे। एक्सपर्ट्स सलाह दे रहे हैं कि वर्तमान हालात में निवेशकों को उन कपंनियों के शेयर से दूर रहना चाहिए जिनके बिजनेस में एक्सपोर्ट का बड़ा रोल है। आईटी, ऑटो, ऑटो एंसिलरी, मेटल्स और केमिकल सेक्टर्स पर दबाव बना रहेगा, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से फायदा उठाने वाले सेक्टर्स जैसे कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां, एविएशन और पेंट इंडस्ट्री में जोखिम कम है। बाजार में रिकवरी शुरू होने पर बैंक और NBFC सेक्टर सबसे आगे रह सकते हैं।
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