जेईई एडवांस्ड टॉपर ने ठुकराया IIT बॉम्बे का मलाईदार BTech CSE कोर्स, किया वर्ल्ड की नंबर 1 यूनिवर्सिटी का रुख
जेईई एडवांस्ड परीक्षा 2025 में ऑल इंडिया रैंक 8 हासिल करने वाले देवेश भैया ने आईआईटी बॉम्बे के बीटेक कंप्यूटर साइंस जैसे मलाईदार कोर्स को छोड़कर अमेरिका की प्रतिष्ठित एमआईटी यूनिवर्सिटी जाने का निर्णय लिया है।

जेईई एडवांस्ड टॉपरों का देश के दिग्गज इंजीनियरिंग संस्थान आईआईटी को छोड़ दुनिया की नंबर 1 यूनिवर्सिटी एमआईटी में दाखिला लेने का सिलसिला इस साल भी जारी है। जेईई एडवांस्ड परीक्षा 2025 में ऑल इंडिया रैंक 8 हासिल करने वाले देवेश भैया ने आईआईटी बॉम्बे के बीटेक कंप्यूटर साइंस जैसे मलाईदार कोर्स को छोड़कर अमेरिका की प्रतिष्ठित एमआईटी यूनिवर्सिटी जाने का निर्णय लिया है। आपको बता दें कि आईआईटी बॉम्बे का बीटेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग डिग्री कोर्स हर साल जेईई एडवांस्ड के टॉपरों की टॉप चॉइस रहता है। देश-विदेश की प्रतिष्ठित आईटी कंपनियों की ओर से मिलने वाले मोटे सैलरी पैकेज इसकी बड़ी वजह रही है। वहीं एमआईटी को क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में दुनिया की नंबर वन यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त है।
हालांकि देवेश भैया इस साल एमआईटी का रुख करने वाले अकेले छात्र नहीं होंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबक पिछले साल जेईई एडवांस्ड में ऑल इंडिया रैंक 1 पाने वाले और हाल फिलहाल में आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सबसे अधिक अंक (352/360) पाने वाले वेद लाहोटी भी एमआईटी में फुल्ली फंडेड स्कॉलरशिप के लिए आईआईटी बॉम्बे पवई कैंपस में एक साल पढ़ाई करने के बाद इसे छोड़ने जा रहा है।
बीते कुछ सालों से जेईई एडवांस्ड टॉपरों का एमआईटी रुख करना एक ट्रेंड बन गया है। पिछले वर्षों में चिराग फालोर (जेईई एडवांस्ड 2020 टॉपर) और चित्रांग मुर्डिया (जेईई एडवांस्ड 2014 टॉपर) जैसे छात्रों ने भी इसी तरह के निर्णय लिए थे। मुर्डिया ने एमआईटी जाने से पहले आईआईटी बॉम्बे में एक साल बिताया और बाद में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से पीएचडी पूरी की।
देवेश का रिकॉर्ड जबरदस्त
जलगांव के देवेश का रिकॉर्ड जेईई रैंक से कहीं आगे है। तीन स्वर्ण पदक, 2021 और 2022 में अंतर्राष्ट्रीय जूनियर विज्ञान ओलंपियाड से दो, और 2024 में अंतर्राष्ट्रीय केमिस्ट्री साइंस ओलंपियाड से एक। 2020 में उन्हें बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
12 वर्ष की उम्र में जब अधिकांश बच्चे आकाश में तारामंडलों का पता लगा रहे होते हैं, देवेश उनके लुप्त होने की मैपिंग कर रहे थे और लाइट पॉल्यूशन पर एक पेपर लिख रहे थे।
बैकअप के तौर पर दिया था जेईई एडवांस्ड
देवेश को मार्च में ही एमआईटी में दाखिला मिल गया था, लेकिन फिर भी उन्होंने जेईई एडवांस की परीक्षा दी। जेईई एडवांस्ड को उन्होंने अपना बैकअप बताया। कई अन्य स्टूडेंट्स ने विदेश जाने से पहले भारतीय कैंपसों की नब्ज टटोलने के लिए एक साल तक यहीं रहने का फैसला किया। एक्सपर्ट्स के मुताबिक एमआईटी के दरवाजे ओलंपियाड विजेताओं और जेईई एडवांस्ड जैसी चुनौतिपूर्ण परीक्षा में हाई स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स के लिए खुले रहते हैं।
क्यों छोड़ रहे आईआईटी बॉम्बे
अपने फैसले पर वेद लोहाटी कहते है, 'मैं आईआईटी बॉम्बे से पूरी तरह संतुष्ट हूं। लेकिन यह रिसर्च में पीछे है। वैश्विक स्तर पर यह शीर्ष 100 में भी नहीं है। इसलिए मैंने एमआईटी में आवेदन किया - और जब यह पास हुआ, तो मैंने इसे स्वीकार कर लिया। बहुत से छात्रों ने एमआईटी में ट्रांसफर लिया है और जब मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि ट्रांसफर का फैसला वास्तव में सही था।' हालांकि लाहोटी का कहना है कि उनकी अमेरिका में बसने की कोई योजना नहीं है।
2023 में साहिल अख्तर ने जेईई एडवांस्ड 2023 परीक्षा में 99वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन साहिल ने आईआईटी की बजाय अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में एडमिशन लेने का फैसला किया था। साहिल का कहना था कि वह रिसर्च में अपना करियर बनाना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने एमआईटी को चुना।
निशंक अभंगी ने भी MIT के लिए पैकिंग करने से पहले 2019-2020 आईआईटी बॉम्बे में कुछ समय बिताया। 2022 में रैंक 9 महित गढ़ेवाला ने भी आईआईटी-बी को एक साल के बाद छोड़ दिया।
वर्ल्ड का नंबर वन इंस्टीट्यूट है एमआईटी
आपको बता दें कि वर्ल्ड क्यूएस रैंकिंग 2025 में एमआईटी पिछले कई वर्षों से पहले स्थान पर काबिज है। एमआईटी के बाद इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (यूके), हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (अमेरिका), यूनिवर्सिटी ऑफ कैंम्ब्रिज (यूके), स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (अमेरिका) का नंबर आता है। इसमें आईआईटी बॉम्बे 118वें, आईआईटी दिल्ली 150वें, आईआईएससी बेंगलुरु 211वें, आईआईटी खड़गपुर 222वें, आईआईटी कानपुर 263वें और आईआईटी मद्रास 227वें स्थान पर है।