CG में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, 33 नक्सलियों ने किया सरेंडर; आधों पर था कुल 49 लाख रुपए का इनाम
- आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली राज्य सरकार की नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के अलावा 'नियाद नेल्लनार' (आपका अच्छा गांव) योजना से भी प्रभावित हुए, जिसका उद्देश्य दूरदराज के गांवों में विकास कार्य करना है।

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में शुक्रवार को सुरक्षाबलों को उस वक्त बड़ी सफलता मिली जब 11 महिलाओं समेत कम से कम 33 नक्सलियों ने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया, इनमें से लगभग आधे यानी 17 पर 49 लाख रुपए का इनाम घोषित था। इस बारे में जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि नौ महिलाओं समेत 22 नक्सलियों ने पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष हथियार डाले, जबकि बाद में दो महिलाओं समेत 11 अन्य नक्सलियों ने भी पुलिस अधिकारियों के सामने सरेंडर कर दिया। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली सुरक्षा बलों पर कई हमलों में भी शामिल रह चुके हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि हथियार डालने वाले माओवादियों में माड़ डिवीजन के तहत PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) कंपनी नंबर 1 में डिप्टी कमांडर मुचाकी जोगा (33) और उसी दस्ते की सदस्य व उसकी पत्नी मुचाकी जोगी (28) शामिल हैं, जिन पर 8-8 लाख रुपए का इनाम घोषित था। साथ ही उन्होंने बताया कि अन्य नक्सलियों में किकिद देवे (30) और मनोज उर्फ दुधी बुधरा (28) शामिल हैं, जो कि माओवादियों के एरिया कमेटी के सदस्य हैं और जिन पर 5-5 लाख रुपए का इनाम था। अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सात अन्य नक्सलियों पर 2-2 लाख रुपए का इनाम था, जबकि एक अन्य नक्सली पर 50,000 रुपए का इनाम था।
पुलिस अधिकारी ने आगे बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने माओवादियों की खोखली और अमानवीय विचारधारा और स्थानीय आदिवासियों पर अत्याचारों से निराश होकर सरेंडर किया। साथ ही उन्होंने बताया कि वे राज्य सरकार की नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के अलावा 'नियाद नेल्लनार' (आपका अच्छा गांव) योजना से भी प्रभावित हुए, जिसका उद्देश्य दूरदराज के गांवों में विकास कार्यों को सुविधाजनक बनाना है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली माओवादियों के माड़ (छत्तीसगढ़) और नुआपाड़ा (ओडिशा) डिवीजनों में सक्रिय थे। जबकि आत्मसमर्पण करने वाले 11 अन्य नक्सली फुलबगड़ी पुलिस स्टेशन की सीमा के अंतर्गत बड़ेसत्ती ग्राम पंचायत में सक्रिय थे। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही बड़ेसत्ती एक नक्सल-मुक्त ग्राम पंचायत बन गई है।
अधिकारी ने बताया कि जिला पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), सीआरपीएफ और इसकी विशिष्ट इकाई कोबरा ने माओवादियों का आत्मसमर्पण कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि हथियार डालने वाले सभी नक्सलियों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
अधिकारी ने कहा कि नई छत्तीसगढ़ नक्सल आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत और पुनर्वास नीति-2025 के तहत, राज्य सरकार ने 'एलवद पंचायत योजना' शुरू की है, जिसमें उन ग्राम पंचायतों को 1 करोड़ रुपए के विकास कार्यों को मंजूरी देने का प्रावधान है जो अपने क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों के आत्मसमर्पण की सुविधा प्रदान करते हैं और खुद को माओवादी मुक्त घोषित करने का प्रस्ताव पारित करते हैं।
पुलिस अधीक्षक चव्हाण ने आगे कहा, 'पिछले 15 दिनों से पुलिस बड़ेसत्ती गांव को निशाना बना रही है और प्रतिबंधित संगठन के मिलिशिया और क्रांतिकारी पार्टी समिति जैसे ग्राम-स्तरीय सदस्यों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के संपर्क में है।'
चव्हाण ने कहा कि बड़ेसत्ती में सक्रिय 11 नक्सलियों की पहचान की गई और उनके आत्मसमर्पण के साथ ही पंचायत माओवाद-मुक्त हो गई है। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को 50,000 रुपये की सहायता प्रदान की गई है और सरकार की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास किया जाएगा। पिछले साल सुकमा सहित सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था।
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