कोर यूनिट के कुछ गद्दारों के 'विश्वासघात' से मारा गया बसवराजू, नक्सली संगठन का दावा
सीपीआई (माओवादी) ने अपने चीफ बसवराजू की मौत के लिए माड क्षेत्र में एक्टिव अपने 'कोर' नक्सली गुटों के कुछ लोगों द्वारा किए गए विश्वासघात को जिम्मेदार ठहराया है।

सीपीआई (माओवादी) ने अपने चीफ बसवराजू की मौत के लिए माड क्षेत्र में एक्टिव अपने 'कोर' नक्सली गुटों के कुछ लोगों द्वारा किए गए विश्वासघात को जिम्मेदार ठहराया है। संगठन का मानना है कि इसमें पीएलजीए कंपनी नंबर 7 भी शामिल है, जिसे बसवराजू की सुरक्षा कवर का काम सौंपा गया था। सीपीआई (माओवादी) ने यह भी माना है कि ऑपरेशन में 27 नहीं बल्कि 28 'कॉमरेड' मारे गए। इसके साथ ही पुलिस द्वारा मारे गए दो नक्सलियों की गलत पहचान की ओर इशारा किया गया।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) की ओर से जारी बयान में बसवराजू की हत्या के लिए अंदर के ही लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस बीच, छत्तीसगढ़ पुलिस ने सोमवार को नारायणपुर में सीपीआई (माओवादी) के जनरल सेक्रेटरी और 7 अन्य लोगों का अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस की ओर से उनके शवों को लेने के लिए किसी स्पष्ट कानूनी दावेदार की कमी का हवाला दिया गया था।
पुलिस ने बसवराजू को जिंदा पकड़ने के दावे को किया खारिज
पुलिस ने नक्सली संगठन के उस दावे को नकार दिया कि बसवराजू को जिंदा पकड़ा गया था। सोमवार को टीओआई की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में बताया गया था कि छत्तीसगढ़ पुलिस बसवराजू के शव को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में अंतिम संस्कार के लिए उसके परिजनों या परिचितों को सौंपने के लिए इच्छुक नहीं थी, क्योंकि पुलिस को डर था कि बसवराजू के सार्वजनिक अंतिम संस्कार से उसका महिमामंडन होगा। वह सैकड़ों लोगों और सुरक्षा कर्मियों की हत्या का मास्टरमाइंड था। हालांकि, छत्तीसगढ़ पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड विंग द्वारा 21 मई को किए गए ऑपरेशन में मारे गए शेष 19 नक्सलियों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए।
25 मई को जारी और 'विकल्प' द्वारा साइन किए गए डीकेएसजेडसी के बयान में माड़ में एक्टिव कुछ 'विश्वासघातियों' और सरेंडर करने वाले नेताओं और नक्सलियों को पिछले छह महीनों से बसवराजू की गतिविधियों के बारे में छत्तीसगढ़ पुलिस और खुफिया एजेंसियों को लगातार जानकारी देने के लिए दोषी ठहराया गया है।
बयान में कहा गया है, "माड़ क्षेत्र में अलग-अलग यूनिटों के कैडर गद्दार बन गए और हमारे सीक्रेट मैसेजों को पुलिस के साथ शेयर करने लगे। बसवराजू तक पहुंचने के लिए जनवरी और मार्च में उनके लीक के आधार पर ऑपरेशन चलाए गए। पिछले डेढ़ महीने में छह और लोगों ने सरेंडर कर दिया, जिनमें बसवराजू की सुरक्षा में शामिल एक शीर्ष कैडर का सरेंडर भी शामिल है, जिससे पुलिस का काम आसान हो गया।''
सीपीआई (माओवादी) के बयान में कहा गया है कि डीआरजी कर्मियों ने बसवराजू की सुरक्षा टीम में सेंध लगाकर उसे घेर लिया और उसे निष्क्रिय कर दिया। साथ ही, उसे जिंदा पकड़ा गया और फिर उसकी हत्या की गई। हालांकि, बस्तर के आईजी पी सुंदरराज ने इस दावे को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, "यह झूठ अपनी छवि बचाने के लिए है। यह बयान हमारे सटीक और बिल्कुल सही समय पर किए गए हमले को प्रमाणित करता है, कि कैसे 35 माओवादियों में से 28 को मार गिराया गया और कैसे माओवादियों ने ही पहले गोलीबारी में एक डीआरजी जवान को मार डाला और ऑपरेशन खत्म होने के बाद एक आईईडी विस्फोट में दूसरे जवान को मार डाला।"
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