आंखों के सामने पिता की मौत और वो रणजी का मैच...विराट कोहली से जानिए वो दर्दनाक किस्सा
विराट कोहली टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद से ही चर्चाओं में हैं। उनका टेस्ट करियर बहुत ही शानदार रहा है। लेकिन विराट कोहली यूं ही विराट नहीं बने, वह अलग ही मिट्टी के हैं। पिता की मौत के समय भी जो लड़का टीम के लिए रणजी मैच खेलने चला जाए और उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए आए, वो अलग ही मिट्टी का होगा।

दिल्ली का एक 18 वर्ष का लड़का। भोर में अपने आंखों के सामने पिता को असमय आखिरी सांस लेते हुए देखता है। सुबह रणजी ट्रॉफी मैच के अगले दिन का खेल होना है। उसकी टीम संकट में है। फॉलोऑन का खतरा है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा। पिता के अचानक निधन से टूटा वह लड़का जैसे-तैसे खुद को संभालता है। फैसला करता है कि मैच तो खेलूंगा। अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए। उनके अरमानों को पूरा करने के लिए। सपना ये कि बेटा एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम में खेले। यह किस्सा किसी को भी रुला देगा। वह लड़का कोई और नहीं, क्रिकेट के आसमान का सबसे जगमगाता सितारा विराट कोहली थे।
किंग कोहली वाकई अलग ही मिट्टी के बने हुए हैं। साल 2006 की बात है। दिल्ली में दिल्ली और कर्नाटक के बीच रणजी ट्रॉफी मैच चल रहा था। तब 18 साल के विराट कोहली दिल्ली की तरफ से खेल रहे थे। दिन का खेल खत्म होने तक कोहली 40 रन बनाकर नाबाद थे। उनकी टीम दिल्ली गहरे संकट में थी। उस पर फॉलोऑन का खतरा मंडरा रहा था। कोहली के मन में बस यही चल रहा था कि टीम को संकट से कैसे उबारे। वह रात बीती नहीं थी कि उनके पिता प्रेम कोहली की अचानक कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई।
ग्राहम बेन्सिंगर को दिए एक इंटरव्यू में कोहली ने उस मनहूस घड़ी को इन शब्दों में याद किया था, ‘मैं उस समय 4 दिन का मैच खेल रहा था और मुझे अगले दिन बैटिंग जारी करने जाना था। तभी यह (पिता की मौत) हो गया। तड़के ढाई बजे। हम सभी जागे हुए थे और कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। मैंने अपनी आंखों के सामने उन्हें आखिरी सांस लेते हुए देखा था।’
घर पर पिता का शव पड़ा हुआ है और विराट कोहली सुबह रणजी मैच खेलने निकल गए। उन्होंने 50 रन और बनाए और टीम को फॉलोआन से बचाया। आउट होते ही वह पिता का अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं। वहां भाई से वादा करते हैं कि देखना, मैं भारत के लिए जरूर खेलूंगा।
ग्राहम बेन्सिंगर को दिए उस इंटरव्यू में कोहली यह भी बताते हैं कि पिता के सपने को ही पूरा करने के लिए उन्होंने मैच खेलने का फैसला किया था। उन्होंने कहा, 'मेरे पिता चाहते थे कि मैं इंडिया के लिए खेलूं। इसी वजह से मेरे लिए जिंदगी की हर बात गौण हो गई। क्रिकेट मेरी पहली प्राथमिकता बन गया।' यह दिखाता है कि विराट कोहली कुछ अलग ही मिट्टी के बने हुए हैं।