Godhra incident could have been prevented says Gujarat HC upholding removal of 9 constables आप लोगों ने लापरवाही की, रोका जा सकता था गोधरा कांड; गुजरात HC की बड़ी टिप्पणी, Gujarat Hindi News - Hindustan
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आप लोगों ने लापरवाही की, रोका जा सकता था गोधरा कांड; गुजरात HC की बड़ी टिप्पणी

ागुजरात हाई कोर्ट ने9 कॉन्सटेबल की बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाओं को करते हुए कहा कि लापरवाही के कारण ट्रेन में उनकी गैरमौजूदगी ने गोधरा कांड में अहम भूमिका निभाई।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तानFri, 2 May 2025 10:09 PM
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आप लोगों ने लापरवाही की, रोका जा सकता था गोधरा कांड; गुजरात HC की बड़ी टिप्पणी

गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 के गोधरा ट्रेन हमले के दौरान ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए नौ पुलिस कांस्टेबलों को हटाए जाने के फैसले को बरकरार रखा है। इस हमले में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में 58 यात्री जिंदा जल गए थे। कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाओं को करते हुए कहा कि लापरवाही के कारण ट्रेन में उनकी गैरमौजूदगी ने गोधरा कांड में अहम भूमिका निभाई। इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि अगर वह साबरमती ट्रेन में मौजूद होते थे तो गोधरा कांड को रोका जा सकता था।

जस्टिस वैभवी डी. नानावती ने अपने फैसले में कहा, याचिकाकर्ताओं ने रजिस्टर में फर्जी एंटी की और शांति एक्सप्रेस से अहमदाबाद लौट आए। अगर कॉन्सटेबल अहमदाबाद पहुंचने के लिए साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन से ही रवाना होते, तो गोधरा में हुई घटना को रोका जा सकता था। कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने अपने ड्यूटी में लापरवाही और असावधानी दिखाई है। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप सिद्ध हो चुके हैं और इसी आधार पर उन्हें हटाने का आदेश पारित किया गया। हालांकि, यह भी साफ किया गया कि याचिकाकर्ताओं पर किसी आपराधिक साजिश में शामिल होने का आरोप नहीं लगाया गया है।

बता दें, गोधरा कांड को 27 फरवरी 2002 में गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर अंजाम दिया गया था। इसमें भीड़ ने साबरती एक्सप्रेस के S6 कोच में आग लगा दी थी। इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे थे। याचिकाकर्ता, जिनमें चार निहत्थे कांस्टेबल और पांच सशस्त्र कांस्टेबल शामिल थे, गुजरात रेलवे पुलिस के मोबाइल स्क्वाड का हिस्सा थे। 26-27 फरवरी को उनकी ड्यूटी लगी थी जिसमें उन्हें अहमदाबाद से दाहोद तक राजकोट भोपाल एक्सपेस में पेट्रोलिंग करनी थी और फिर साबरमती एक्सप्रेस से वापस आना था। हालांकि वह जब दाहोद पहुंचे तो उन्हें पता चला कि साबरमती एक्सप्रेस लेट चल रही है। ऐसे में ट्रेन का इंतजार करने के बजाय वह शांति एक्सप्रेस से वापस लौट आए। इतना ही नहीं उन्होंने स्टेशन डायरी में गलत एंट्री भी की कि वह साबरमती एक्सप्रेस से वापस आए हैं। इसके अगली सुबह हमला हो गया।

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