गुजरात में ग्राम पंचायतों के लिए चुनावी डेट का ऐलान, OBC के लिए कोटा और क्या खास?
गुजरात राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) ने सूबे की 8,326 ग्राम पंचायतों में 22 जून को चुनाव कराए जाने का ऐलान किया। इसमें 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ सरपंचों के साथ पंचायत सदस्यों का चुनाव किया जाएगा।
गुजरात में सरपंचों के साथ-साथ पंचायत सदस्य चुनने के लिए 8,326 ग्राम पंचायतों में चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। वोट 22 जून को डाले जाएंगे। इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी कोटा लागू होगा। यह घोषणा राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने बुधवार को की। ग्राम पंचायत के चुनाव आमतौर पर गैर-दलीय आधार पर लड़े जाते हैं। ग्राम पंचायत चुनाव लगभग 2 साल की देरी से हो रहे हैं।
इसकी वजह ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण से जुड़े मुद्दे को बताया जा रहा है। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही गुजरात में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इस चुनाव के लिए मतगणना 25 जून को होगी।
साल 2023 में जावेरी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों जैसे स्थानीय निकायों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की गुजरात सरकार द्वारा घोषणा के बाद राज्य में इतने बड़े पैमाने पर ग्राम पंचायत चुनाव पहली बार हो रहे हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग ने गांधीनगर में एक विज्ञप्ति में कहा कि इन 8,326 ग्राम पंचायतों में से 4,688 में आम या मध्यावधि चुनाव होंगे जबकि 3,638 ग्राम परिषदों में उपचुनाव होंगे। बता दें कि पंचायत चुनाव में उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से खड़े होते हैं। ये किसी पार्टी टिकट पर चुनाव नहीं लड़ते हैं लेकिन राजनीतिक संगठनों से जुड़े हो सकते हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मतदान 22 जून को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा जबकि 25 जून को मतगणना होगी। पर्चा भरने की आखिरी तारीख 9 जून है जबकि नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 11 जून है।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि चुनाव बैलेट पेपर के जरिए कराए जाएंगे। मतदाताओं को नोटा (इनमें से कोई नहीं) का विकल्प दिया जाएगा। भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों ने ग्राम पंचायत चुनावों की घोषणा का स्वागत किया है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा ने पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक नियुक्त करके लोगों की शक्ति छीन ली थी। गुजरात भाजपा ने कांग्रेस के इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि चुनाव में देरी इसलिए हुई क्योंकि आयोग को 27 फीसदी आरक्षण को लागू करने के लिए हर वार्ड में ओबीसी आबादी की गणना का काम करना था।
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