एयरबेस के बाद यूक्रेन की एक और ड्रोन स्ट्राइक, न्यूक्लियर प्लांट पर खतरा; रूस की चिंता बढ़ी
रूसी एयरबेस को निशाना बनाने के बाद यूक्रेनी बलों ने रूसी कब्जे वाले न्यूक्लियर प्लांट के पास ऊर्जा ढांचे को निशाना बनाया है। रूसी अधिकारियों ने कहा कि न्यूक्लियर प्लांट नियंत्रण में है, लेकिन हालात जटिल बने हुए हैं।

रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से चल रहा युद्ध एक नई और खतरनाक करवट ले चुका है। इस्तांबुल वार्ता के कुछ ही घंटों बाद यूक्रेन ने अब रूसी कब्ज़े वाले इलाकों में गहरे और सामरिक रूप से संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। दो दिन पहले रूसी एयरबेसों पर हुए भीषण ड्रोन हमले में यूक्रेन ने कम से कम 40 आधुनिक फाइटर जेट तबाह कर दिए थे, जिससे रूस को बड़ा झटका लगा। अब, आगे बढ़ते हुए यूक्रेन ने ज़ापोरिझिया और खेरसॉन क्षेत्रों में बिजली ढांचों पर हमला कर दिया है, हमले का सबसे गंभीर असर ज़ापोरिझिया परमाणु संयंत्र पर पड़ा है।
ऊर्जा सबस्टेशनों पर हमला, बिना बिजली के लोगों लोग
रूसी अधिकारियों ने बताया कि यूक्रेनी ड्रोन और तोपों के जरिए किए गए हमलों में ज़ापोरिझिया और खेरसॉन क्षेत्रों के बिजली सबस्टेशनों को भारी नुकसान पहुंचा है। इस हमले के बाद कम से कम 700,000 लोग अंधेरे में जीने को मजबूर हैं, जिससे अस्पताल, जलापूर्ति और मोबाइल नेटवर्क जैसी जरूरी सेवाएं भी बाधित हो गईं।
परमाणु संयंत्र पर भी संकट
इन हमलों का सबसे गंभीर असर ज़ापोरिझिया परमाणु संयंत्र पर पड़ा है। यह यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट है और रूसी नियंत्रण में है। रूसी परमाणु एजेंसी रोसएटम के प्रमुख अलेक्सी लिक्हाचेव ने कहा, "स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन बेहद जटिल है।" विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर संयंत्र की बाहरी बिजली सप्लाई बाधित रहती है, तो कूलिंग सिस्टम फेल हो सकता है और परमाणु रिसाव जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
इस हमले पर यूक्रेन की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पश्चिमी मीडिया के मुताबिक यह 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी कब्ज़े वाले इलाकों पर सबसे बड़ा हमला हो सकता है।
हमले से ठीक पहले तुर्की में शांति वार्ता
गौर करने वाली बात यह है कि यह हमला तुर्की में हुई रूस-यूक्रेन वार्ता के चंद घंटों बाद ही हुआ। वार्ता में रूस ने कहा कि वह तभी युद्ध समाप्त करेगा, अगर यूक्रेन नए बड़े क्षेत्र सौंपे और अपनी सेना के आकार पर सीमाएं स्वीकार करे। वहीं यूक्रेन ने इस मांग को 'औपनिवेशिक सोच से प्रेरित ज़मीनी कब्ज़ा' बताया और दो टूक कहा कि वह कूटनीति और सैन्य बल दोनों से अपनी जमीन वापस लेगा।
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